
वो गीत जो चलता रहा मेरे मन में मेरे आँसुओं के साथ, वो गीत जो एक दिन यूँ ही पूरे दिन सुनने के बाद ऐसे ही डर गई थी कि कभी किसी के साथ ये सत्य हो जाये तो क्या होगा और पूरी रात क्या दो दिन नही सो पाई थी.... वो गीत जो सिसकियों के साथ जुबान पर आया जाता था उस दिन...! शायद सुना हो तुमने भी...!
ना ले के जाओ, मेरे दोस्त का जनाजा है,
अभी तो गर्म है मिट्ती ये जिस्म ताज़ा है,
उलझ गई है कहीं साँस खोल दो इसकी,
लबों पे आई है जो बात पूरी करने दो,
अभी उमीद भी जिंदा है, ग़म भी ताज़ा है
ना ले के जाओ, मेरे दोस्त का जनाजा है,
अभी तो गर्म है मिट्ती ये जिस्म ताज़ा है,
जगाओ इसको गले लग के अलविदा तो कहूँ,
ये कैसी रुखसती, ये क्या सलीका है,
अभी तो जीने का हर एक ज़ख्म ताजा है
ना ले के जाओ, मेरे दोस्त का जनाजा है,
अभी तो गर्म है मिट्ती ये जिस्म ताज़ा है,