अभी थोड़े दिन पहले यूनुस जी के ब्लॉग पर गीत आया था "वक्त का ये परिदा रुका है कहाँ"
जिसे पढ़ कर मुझे याद आया कि ये गीत मैने सुना था सिद्धार्थनगर में अपनी दीदी के घर पर...और साथ ही याद आया वो गीत जो मैने वहीं सुना था लेकिन ऐसे समय में सुना था कि मैं रुक कर दोबारा नही सुन सकती थी क्यों कि बस छूटने का समय हो चुका था..अब पता नही उस समय की मानसिक स्थिति थी या अधूरे में छूट गई चीज की तलाश का ज़ुनून कि मुझे इस गीत का मुखड़ा भूला ही नही..जिसके बोल थे
बेक़दरों से कर के प्यार, क़दर गँवाई दिल की यार
तुरंत दिमाग में आया कि यही वक़्त है, जब यूनुस जी के ब्लॉग पर ये बात याद आई है तो यूनुस जी से ही पूँछा जाये .. भई वो तो गीतनिधि हैं स्वयं में...और एक पल न गँवाते हुए मैने लिख भेजी उन्हे अपनी बात बड़े अनुनय विनय के साथ कि भई मेरी १० साल की तलाश है..कृपया मेरी मदद करे....और लो दूसरे दिन थोड़ी spelling गलत होने की समस्या दूर होने के बाद तीसरे दिन गीत था मेरे मेलबाक्स में....! अरे जिसे मैने ढूढ़ा गली गली...वो इतने आसानी से मेरे मेलबॉक्स में मिली..!
और इन सब के बदले में मुझे देना था छोटा सा शुक्रिया... कोई भी चीज, आपको कब क्लिक करेगी ये तो कोई नही जानता और क्यों क्लिक करी ये सिर्फ आप ही जान सकते हैं, सो ऐसी ही एक चीज़ थी ये गीत मेरे लिये..जिसका शुक्रिया मैं यूनुस जी को...थोड़ा विस्तार में देना चाहती थी और अपने ब्लॉगर मित्रों के सामने देना चाहती थी...... तो शुक्रिया यूनुस जी..और आपके ब्लॉग से आपका फोटो चुराने के लिये क्षमा..!
तो अब सुनिये वो गीत जिसे मैने पाया यूनुस जी के कारण...यूनुस जी ने लिख कर भेजा था किये गीत सुखविन्दर सिंह के एलबम 'ग़म के आँसू' से लिया गया है.... अब देखिये इतने दिन से ई स्निप्स पर खोज रही तो नही मिला जब यूनुस जी ने भेज दिया ...तब वहाँ भी मिल गया और पता चला कि १९९१ मे प्रदर्शित फिल्म 'नाचने वाले गाने वाले' मे भी ये गीत है... लीजिये सुनिये..
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लागी से तो छूटी अच्छी, इन बेक़दरों की यारी,
भला हुआ संग जल्दी छूटा, मेरी उम्र न गुजरी सारी।।।
होऽऽऽऽऽऽऽऽऽ
बेक़दरों से कर के प्यार, क़दर गँवाई दिल की यार।
हाय रब्बा क्या उनका हो, मुकर गये जो कर के प्यार।।
बेपरवा आशिक के दिल में, तरस जरा न आया,
हाथ में ले के छूरी शक की कतल हमें करवाया,
हाय तरस न आया..!
सीना छलनी कर के भी जालिम को सबर ना आया,
रह गया था एक दिल बेचारा सो वो भी तुलवाया,
रोते रोते दिल बेचारा बस इतने कह पाया,
होऽऽऽऽऽऽऽऽऽ
बेक़दरों से कर के प्यार, क़दर गँवाई दिल की यार।
तन मन पर मेरे कोड़े बरसे, मेरे रोयें नैन बेचारे,
जितने तन पर मेरे लगे हैं तुझे एक लगे तू जाने,
सजन तू जाने
तूने अच्छा किया ना यार, तूने अच्छा किया ना यार
होऽऽऽऽऽऽऽऽऽ
बेक़दरों से कर के प्यार, क़दर गँवाई दिल की यार।