
किसी ने दिया जवाब ....!!!!!!
नित्य समय की आग में जलना, नित्य सिद्ध सच्चा होना है। माँ ने दिया नाम जब कंचन, मुझको और खरा होना है...!
नेट आज बहुत स्लो होने के कारण गीत अटैच्ड नही हो पा रहा....! शब्दो में मेरी प्रार्थना..!
इतनी शक्ति हमें देना दाता.,
मन का विश्वास कमजोर ना।
हम चलें नेक रस्ते पे हम से
भूल कर भी कोई भूल हो ना।
हर तरफ ज़ुल्म है, बेबसी है,
सहमा सहमा सा हर आदमी है
पाप का बोझ बढ़ता ही जाये,
जाने कैसे ये धरती थमी है,
बोझ ममता से तू ये उठा ले,
तेरी रचना का ही अंत हो ना।
हम अंधेरे में हैं रोशनी में दे,
खो न दें खुद को ही दुश्मनी से,
हम सज़ा पायें अपने किये की,
मौत भी हो तो सह लें खुशी से,
कल जो गुज़रा है, फिर से न गुज़रे
आने वाला वो कल ऐसा हो ना।
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ना ले के जाओ, मेरे दोस्त का जनाजा है,
अभी तो गर्म है मिट्ती ये जिस्म ताज़ा है,
उलझ गई है कहीं साँस खोल दो इसकी,
लबों पे आई है जो बात पूरी करने दो,
अभी उमीद भी जिंदा है, ग़म भी ताज़ा है
ना ले के जाओ, मेरे दोस्त का जनाजा है,
अभी तो गर्म है मिट्ती ये जिस्म ताज़ा है,
जगाओ इसको गले लग के अलविदा तो कहूँ,
ये कैसी रुखसती, ये क्या सलीका है,
अभी तो जीने का हर एक ज़ख्म ताजा है
ना ले के जाओ, मेरे दोस्त का जनाजा है,
अभी तो गर्म है मिट्ती ये जिस्म ताज़ा है,
उपन्यास के सर्ग पात्रों के नाम पर हैं, बीच में तीन बार अंतराल आता है..४१६ पृष्ठ की इस पुस्तक के पत्र आपको निश्चय ही उस जमाने में ले के चले जाएंगे जब पत्रों की प्रतीक्षा बड़ी बेसब्री सेहम करते थे और लिखने में अपना मन सजा देते थे।
उपन्यास के कुछ अन्य उद्धरण जो मुझे पसंद आये