बहुत दिन से सोच रही थी नीरज जी का कोई गीत पोस्ट करने को.. सिद्धेश्वर जी ने उस चिंगारी को हवा दे दी...तो फिलहाल तो सुनिये वो गीत जो मुझे बहुत पसंद है..खण्डहर ताजमहल हो जाता, गंगाजल आँखों का पानी.. सुनने के बाद प्रेम की पवित्रता की पराकाष्ठा महसूस करती थी, सोचती थी कि इसे शब्दों में उतारने वाला कौन होगा...और बहुत दिनो बाद पता चला कि वो नीरज थे..! ऐसा कई बार हो जाता है, कल जब इस गाने को तलाश कर रही थी तब भी ऐसे कई गीत मिले जिनके विषय में मुझे ये तो नही पता था कि ये गीत नीरज का है लेकिन पसंद मुझे वो गीत बहुत थे...! तो ऐसे ही गीतों के साथ आती रहूँगी ..मगर आज तो सुनिये ये गीत...!
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सुबह न आई, शाम ना आई,(2)
जिस दिन तेरी याद न आई ,याद न आई,
सुबह न आई, शाम ना आई
कैसी लगन लगी ये तुझसे, कैसी लगन लगी ये,
हँसी खो गई, खुशी खो गई,
आँसू तक सब रहन हो गए,
अर्थी तक नीलाम हो गई(2)
दुनिया ने दुश्मनी निभाई,याद न आई
सुबह न आई, शाम ना आई
तुम मिल जाते तो हो जाती, पूरी अपनी राम कहानी,
खण्डहर ताज़महल हो जाता, गंगाजल आँखों का पानी,
साँसों ने हथकड़ी लगाई,याद न आई
सुबह न आई, शाम ना आई
जैसे भी हो तुम आ जाओ, (2)
आग लगी है तन में और मन में
एक तार की दूरी है (2)
बस दामन और कफन में
हुई मौत के संग सगाई,याद न आई
आ जाओ. आ जाओ, आ जाओ
5 comments:
सुंदर गीत । नीरज के कई गाने मिल जाएंगे । जारी रखो ।
लायिये और लायिये. :) सुनने वालों की कमी नहीं होने देंगे.
प्रेम पुजारी के सारे गीतों की चर्चा कीजिये वे सारे ही अद्भुत हैं । और चर्चा कीजिये अभी कुछ ही साल पहले आएग गीत आंखों से दिल में उतर कर तू मेरे दिल में हैं की जो कि विश्वास ही नहीं होता कि नीरज जी का है । चर्चा कीजिये कई सारे गीत हैं
बहुत मधुर गीत चुना आपने। अच्छा लगा बहुत दिनों बाद इसे सुन कर। पर गीत की चर्चा हो तो संगीतकार और फिल्म का नाम भी आना चाहिए ना..
Thanks for thiis
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