Saturday, March 7, 2015

मेरी पसंद डिफरेंट नहीं है

मेरी पसंद डिफरेंट नहीं.

मुझे पसंद हैं रंग, राग, ताल, शब्द.
मुझे पसंद हैं गीत, बोल, लय, छंद.
मुझे पसंद हैं गुनगुनाना, खिलखिलाना,
सावन की झमाझम बारिश में पोर पोर भीग जाना,

मगर यह सब तो सबको पसंद है,
मेरी पसंद डिफरेंट नहीं

मुझे पसंद हैं हरियाली, फूल, पहाड़, समन्दर,
मुझे पसंद हैं धूप, ओस, हवा, चिकने गोल पत्थर,
मुझे पसंद है अपनी कविताओं में बहकना,
और जिंदगी में सम्भलना.
मुझे पसंद है अपनी हदों तक उछाल मार मार कर जाना,
और फिर भी हदों के भीतर रह जाना.
मुझे पसंद है समन्दर भर रोना,
और हवा भर खुश होना.
मुझे पसंद है खुद का औरत होना,

मगर यह तो शायद सबको पसंद है,
मेरी पसंद डिफरेंट नहीं है.

मुझे पसंद है ईश्वर,
मुझे पसंद है प्रेम,
मुझे पसंद है समझना ईश्वर और प्रेम की गूढ़ता,
इन दोनों के अस्तित्वहीन होने के तथ्य,
और इन दोनों से ही हर चीज़ के अस्तित्व में होने का सत्य.
मुझे पसंद है सुबह की आरती,
शाम की अगरबत्ती,
कृष्ण का रास,
शिव का लास,
मुझे पसंद है बाज़ार का चाकचिक्य,
होली का हुडदंग,
दीपावली की जगमग,
एक सामान्य से उथले व्यक्ति की सारी पसंद मुझे पसंद है,
मेरी पसंद डिफरेंट नहीं,

मुझे पसंद हो तुम....
तुम तो सबको पसंद हो.

मेरी पसंद डिफरेंट नहीं...!

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