वह क्षण जिसमें यह "अहसास" हो जीने योग्य है। इस कविता की खासियत ये है कि कविता के शब्द समाप्त होने के बाद इसके नये अर्थ खुलने शुरू होते है या कहें कि कविता जीवंत हो उठती है।
सच है। बात सिर्फ अहसास की है। है। किसी के होने का अहसास करना वाकई एक सुखद अनुभव है। खुदा करे हर किसी को हो, किसी के पास होने का अहसास। अच्छी लगी आपकी यह रचना।
kanchan ji namaskar bahut badhiya ,kintu thoda aur vistarit karti to aur achhi lagti. (.tippani dene ke liye bahut bahut dhanywad.mujhe bhi aapka email apke blog par nahi mila. mera email hai swvnit@yahoo.co.in)
मैं समझ नहीं पा रहा कि ये अद्भुत कविता इतने पहले आपने पोस्ट की और मेरे ब्लौग पर ये अपडेट क्यों नहीं हुआ... खैर इससे हुआ ये कि इस नये साल की शुरूआत अच्छी हो गयी,,,,,ढ़ेरों शुभकामनायें आपको कंचन जी,ईश्वर करें ये वर्ष आपके लिये समस्त खुशियां लेकर आये और हम आपकी लेखनी के और नये चमत्कारों से परिचित होते रहें
कि तुम हो मेरे गिर्द....!" किसी ने दिया जवाब ....!!!!!!
यह एहसास ही तो होते हैं जो आदमी को जिंदा रखते हैं.....
और आपने अमृता प्रीतम का जिक्र किया है तो मुझे भी रसीदी टिकट याद आया उसमें उनके और साहिर के पाक रिश्ते का जिक्र तो आपने पढ़ा ही होगा. काला गुलाब, लाल गुलाब और सफेद गुलाब का संदर्भ भी याद होगा..........
30 comments:
"कुछ नही......! बस ये अहसास .....!
कि तुम हो मेरे गिर्द....!"
सुन्दरतम रचना !
इस अहसास को थोडा और विस्तार देते... सुन्दर ख्याल है
बहुत ही बढ़िया
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http://prajapativinay.blogspot.com/
आप के ब्लॉग को पढ़ना बहुत अच्छा लगा.
सुन्दर रचना !
सुन्दर रचना !
कही दिल के गहरे से उभरी लगी ये आवाज....भीतर से...
"उदासियों को उठा कागजो पे रखने लगे
कुछ गमजदो ने यूँ बांटा तन्हाई को "
WAAH !
Bahut khoob.
क्या खूब लिखती हो - और चित्र भी नाज़ुक सा मासूम सा बडा प्यारा लगा
गागर में सागर
प्रभावशाली रचना
मैने अपने ब्लाग पर एक लेख िलखा है- आत्मविश्वास के सहारे जीतें जिंदगी की जंग-समय हो तो पढें और कमेंट भी दें-
http://www.ashokvichar.blogspot.com
बहुत सुन्दर ।
घुघूती बासूती
"कुछ नही......! बस ये अहसास ....!
बहुत खूब .दिल से लिखी है बात आपने
कितना खूबसूरत अहसास है जी। बहुत ही गहरे से निकलते हैं ये अहसास।
अद्भुत।
बस ये अहसास .....!
कि तुम हो मेरे गिर्द....!"
वाह कंचन जी इन दो पंकियों में आपने सब कह दिया...बहुत-बहुत बधाई
mann ki baat likh dali aapne to yeh :-) :-) apne blog pe post kar lu?
वह क्षण जिसमें यह "अहसास" हो जीने योग्य है। इस कविता की खासियत ये है कि कविता के शब्द समाप्त होने के बाद इसके नये अर्थ खुलने शुरू होते है या कहें कि कविता जीवंत हो उठती है।
सच है। बात सिर्फ अहसास की है। है। किसी के होने का अहसास करना वाकई एक सुखद अनुभव है। खुदा करे हर किसी को हो, किसी के पास होने का अहसास। अच्छी लगी आपकी यह रचना।
kanchan ji
namaskar
bahut badhiya ,kintu thoda aur vistarit karti to aur achhi lagti.
(.tippani dene ke liye bahut bahut dhanywad.mujhe bhi aapka email apke blog par nahi mila. mera email hai swvnit@yahoo.co.in)
bahut sundar abhivyakti,
choti si kavita mein aapne jeevan ka rahashya daal diya ..
aapko bahut badhai ..
vijay
http://poemsofvijay.blogspot.com/
wo mere ird gird hi hai bhaut bada sambal hai bahut sakun dene wala ehsaas bahut kam logon ko milta hai
aapko padna achha lagta hai
Kanchanji,
Kisi kee smritiyon ko itne kam shabdon men likhana..bahut sundar..abhivyakti..badhai.
Hemant Kumar
गागर में सागर
कुछ कही - अनकही बातें !
कुछ यादें !!
कुछ अहसास !!!
और जिन्दगी है भी क्या ?
नव वर्ष कर्म और चिंतन से परिपूर्ण हो
मेरी हार्दिक शुभ कामनाएं
bahut sundar
khubsoorat kavita, badhai, thanks for coming on my blog and comments.
swapn
आपके एवं आपके प्रियजनों को नव वर्ष की हार्दिक शुभकामनाएँ।
नया साल...नया जोश...नई सोच...नई उमंग...नए सपने...आइये इसी सदभावना से नए साल का स्वागत करें !!! नव वर्ष-२००९ की ढेरों मुबारकवाद !!!
मैं समझ नहीं पा रहा कि ये अद्भुत कविता इतने पहले आपने पोस्ट की और मेरे ब्लौग पर ये अपडेट क्यों नहीं हुआ...
खैर इससे हुआ ये कि इस नये साल की शुरूआत अच्छी हो गयी,,,,,ढ़ेरों शुभकामनायें आपको कंचन जी,ईश्वर करें ये वर्ष आपके लिये समस्त खुशियां लेकर आये और हम आपकी लेखनी के और नये चमत्कारों से परिचित होते रहें
कंचन मैंने आपको आज पहली बार पढ़ा है........
आप ने लिखा है--
दिल के किसी कोने से आई आवाज़
"काश कि तुम होते "
तो बोल उठी ज़ुबाँ...
"तो..?.....तो क्या होता...????"
"कुछ नही......! बस ये अहसास .....!
कि तुम हो मेरे गिर्द....!"
किसी ने दिया जवाब ....!!!!!!
यह एहसास ही तो होते हैं जो आदमी को जिंदा रखते हैं.....
और आपने अमृता प्रीतम का जिक्र किया है तो मुझे भी रसीदी टिकट याद आया
उसमें उनके और साहिर के पाक रिश्ते का जिक्र तो आपने पढ़ा ही होगा. काला गुलाब, लाल गुलाब और सफेद गुलाब का संदर्भ भी याद होगा..........
आप बहुत संवेदनशील जान पड़ती हैं........
ये नाजुक अहसास पसंद आया !
नववर्ष की शुभकामनायें.
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