Sunday, February 14, 2010

तुमने इश्क का नाम सुना है, हम ने इश्क किया है


बेतहाशा चूमते हुए होंठो पर

अपना हाथ रख के,

उस दिन जब पूंछा था तुमने

कि

"अब क्यों नहीं लिखता मै कविता तुम पर"

कहना चाहता था

कि

"लिख ही तो रहा था अभी

जब तुमने अचानक रख दिया हाथ.......!!"


नोट: किसी ने किसी से कहा ऐसा और मैंने जस का तस लिख दिया कभी कभी यूँ भी हो जाती है कविता

18 comments:

पारुल "पुखराज" said...

अच्छा है ...बहुत अच्छा है

मनोज कुमार said...

बहुत अच्छा है।

श्रद्धा जैन said...

waah meetha sa ek khyaal.........
sawal aur jawaab bhi meetha

"अर्श" said...

क्या बात है गुरु ... तुमने इश्क का नाम सुना है हमने इश्क किया है ???.. बहुत अछे ...


अर्श

रावेंद्रकुमार रवि said...

अरे, वाह! बहुत सुंदर!
इस कविता ने तो "रवि मन" चूम लिया!

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कह रहीं बालियाँ गेहूँ की - "वसंत फिर आता है - मेरे लिए,
नवसुर में कोयल गाता है - मीठा-मीठा-मीठा!"
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संपादक : सरस पायस

Himanshu Pandey said...

हर जगह कविता, हर जगह प्रेम !
बहुत अच्छी लगी । बेहतरीन कविता ।
आभार ।

Mithilesh dubey said...

बहुत खूब...........

डिम्पल मल्होत्रा said...

तुमने इश्क का नाम सुना है, हम ने इश्क किया है..अक्सर कविता यूँ ही होती है..
awesome..

रंजू भाटिया said...

बहुत खूब ..

रंजना said...

बाप रे बाप....मैं तो घबरा ही गयी थी...अंतिम लाइन ने जाकर थामा और सम्हाला...
शीर्षक लाजवाब चुना है तुमने...और प्यार का गीत ?????? हा हा हा.... क्या कहूँ ????

निर्मला कपिला said...

नाईस शुभकामनायें

निर्मला कपिला said...

वैसे कंचन तुम बहुत दिल से लिखती हो । हर रचना मे इतनी गहराई होती है कुछ पल मन उसी मे खो जाता है। । लाजवाब रचना बहुत बहुत आशीर्वाद्

राकेश जैन said...

too nice....

कंचन सिंह चौहान said...

@वीर जी nice परंपरा चलाने का धन्यवाद....! वैसे nice गिरोह के अगुवा द्वारा दिया गया nice एक डिलीट कर चुकी हूँ। मगर अब अपनो द्वारा भेंट में मिले इन नाइसों का क्या करे ....??? :( :(

डॉ .अनुराग said...

ओर देखिये "यूँ भी " एक नज़्म कागज से ....कंप्यूटर से ....फिर सीने में दाखिल हो जाती है ......

Razi Shahab said...

waaqai laajawab soch hai...bahut khoobsurat ahsas...bahut achchi kavita ...shabd nahi tareef karne k liye....thnx for this nice poetry......

daanish said...

अनुपम प्यार की
भावनाओं को परिभाषित करती हुई
प्यार-भरी रचना .....
और ...वही ....
Gautam ki tarah...
n i c e .

शरद कोकास said...

नही अभी कविता नही हुई ..कुछ अनावश्यक शब्द हटाने होंगे ।