बेतहाशा चूमते हुए होंठो पर
अपना हाथ रख के,
उस दिन जब पूंछा था तुमने
कि
"अब क्यों नहीं लिखता मै कविता तुम पर"
कहना चाहता था
कि
"लिख ही तो रहा था अभी
जब तुमने अचानक रख दिया हाथ.......!!"
नोट: किसी ने किसी से कहा ऐसा और मैंने जस का तस लिख दिया कभी कभी यूँ भी हो जाती है कविता
18 comments:
अच्छा है ...बहुत अच्छा है
बहुत अच्छा है।
waah meetha sa ek khyaal.........
sawal aur jawaab bhi meetha
क्या बात है गुरु ... तुमने इश्क का नाम सुना है हमने इश्क किया है ???.. बहुत अछे ...
अर्श
अरे, वाह! बहुत सुंदर!
इस कविता ने तो "रवि मन" चूम लिया!
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कह रहीं बालियाँ गेहूँ की - "वसंत फिर आता है - मेरे लिए,
नवसुर में कोयल गाता है - मीठा-मीठा-मीठा!"
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संपादक : सरस पायस
हर जगह कविता, हर जगह प्रेम !
बहुत अच्छी लगी । बेहतरीन कविता ।
आभार ।
बहुत खूब...........
तुमने इश्क का नाम सुना है, हम ने इश्क किया है..अक्सर कविता यूँ ही होती है..
awesome..
बहुत खूब ..
बाप रे बाप....मैं तो घबरा ही गयी थी...अंतिम लाइन ने जाकर थामा और सम्हाला...
शीर्षक लाजवाब चुना है तुमने...और प्यार का गीत ?????? हा हा हा.... क्या कहूँ ????
नाईस शुभकामनायें
वैसे कंचन तुम बहुत दिल से लिखती हो । हर रचना मे इतनी गहराई होती है कुछ पल मन उसी मे खो जाता है। । लाजवाब रचना बहुत बहुत आशीर्वाद्
too nice....
@वीर जी nice परंपरा चलाने का धन्यवाद....! वैसे nice गिरोह के अगुवा द्वारा दिया गया nice एक डिलीट कर चुकी हूँ। मगर अब अपनो द्वारा भेंट में मिले इन नाइसों का क्या करे ....??? :( :(
ओर देखिये "यूँ भी " एक नज़्म कागज से ....कंप्यूटर से ....फिर सीने में दाखिल हो जाती है ......
waaqai laajawab soch hai...bahut khoobsurat ahsas...bahut achchi kavita ...shabd nahi tareef karne k liye....thnx for this nice poetry......
अनुपम प्यार की
भावनाओं को परिभाषित करती हुई
प्यार-भरी रचना .....
और ...वही ....
Gautam ki tarah...
n i c e .
नही अभी कविता नही हुई ..कुछ अनावश्यक शब्द हटाने होंगे ।
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