Friday, July 24, 2009

ज़रा सा और दो पल को.ज़रा सा और दो पल को-१०० वीं पोस्ट



कुछ आम से दिनो को कुछ अपनो का साथ खास बना देता है। उन्ही आम दिनो में ये भी दिन है..आज का दिन। जो खास बस इसलिये हो गया क्योंकि बहुत से अपने आज एक ही दिन दुआयें देते हैं। आज की पोस्ट मेरी १०० वीं पोस्ट है। आप मुस्कुरा रहे होंगे और मन ही मन कह रहे होंगे कि दो साल का ब्लॉगीय सफर और अब जा कर शतक ? शर्मिंदा होने वाली तो बात है ही। मगर क्या करें। सच भी यही है।

तो ये थी एक आम सी बात। मगर खास यूँ हुई कि आज जो गज़ल लगा रही हूँ उसमें बहुत से अपनो का साथ और हाथ है। ये पोस्ट आज ही के दिन डाली जाये ऐसा मेरे छुपेरुस्तम अनुज अर्श का सुझाव था। अब चूँकि इस गज़ल को वो आवाज़ देने वाला था, तो उसका सुझाव तो मानना ही था। ये है पहली बात जो इस पोस्ट को खास बनाती है। दूसरी खास बात ये कि इस गज़ल को गुरु जी ने न सिर्फ सँवारा है, बल्कि आशीष स्वरूप मुझे एक शेर भी भेंट किया है (आखिरी शेर), आप समझ सकते हैं कि ये बात कितनी सुखद है कि मेरे गुरुभाई इससे अवश्य जल रहे होंगे। but who cares ?? :) तीसरी खास बात ये कि इस में एक शेर गूढ़ रहस्यों के ज्ञाता रविकांत जी ने भेंट किया है।(8वाँ ) गूढ़ रहस्यो के ज्ञाता क्यों कहा ये तो आप जान ही रहे हैं और अगर नही जान रहे तो जान लीजिये यहाँ जा कर। And the last but not least reason....ये कि इस गज़ल को जिसने सबसे पहले जिसने दाद दी वो थी हमारी भाभी संजीता राजरिषी और इस गज़ल का 7वाँ शेर समर्पित है उन्ही को।

तो पढ़िये और सुनिये ये पंचमेल खिचड़ी। आवाज़ के विषय में यही कहना बहुत है कि मेरी दीदी ने इस आवाज़ को सुनने के बाद कहा कि तुम्हारे मृत शब्दों को जान दे दी इस आवाज़...! मेरे शब्द मृत...??? भाला ऐसे भी धोते है किसी को :( मगर क्या करे..?? यही तो कहा था उन्होने।

अर्श कहता है कि उसे सुरों का कोई ज्ञान नही है, मगर जिस तरह की शब्दावली उसने रिकॉर्डिंग के समय मुझसे चैट पर प्रयोग की, मैं मान ही नही सकती कि उसे संगीत का ज्ञान नही है। ये इसके छुपेरुस्तम होने का दूसरा उदाहरण गुरु जी के सामने पेश है। और शेष अंदाज़ आप गीत सुन कर ही लगा सकते हैं। अर्श ने इसमें बहुत मुश्किल सुरों का प्रयोग चुना है। और बिना किसी म्यूज़िकल सपोर्ट के ९ शेरों को गाना सभी समझ सकते हैं कितना मुश्किल रहा होगा। मैं इस खूबसूरत उपहार को कभी नही भुला सकती।

सुनिये और गुनिये।









सुबह की नींद जैसा वो, बहुत प्यारा लगे दिल को,
ज़रा सा और दो पल को.ज़रा सा और दो पल को।

तरीक़ा हम में होता ग़र, अगर हम भी अदा रखते,
तो तुम ना छोड़ पाते यूँ, मेरे मन पाक़ निश्छल को।

हमें जीने की आदत है, हर इक पल जी के जीते हैं,
सिसक कर खूब दुक्खों को, विहँस कर हर हसीं पल को।

किसी में कुछ,किसी में कुछ, सभी कुछ तुम में पाना है,
यही उलझन तुम्हे भी है, यही उलझन मेरे दिल को।

वो तुम में है न जाने क्या, कि जो भाने लगा हमको,
समझ पाते नहीं हम, दिल की इस अन्‍जान हलचल को।

कभी सबसे भले हो तुम, कभी सब से बुरे हो तुम,
असल में वो तुम्‍हीं हो जो, बदलते हो हर इक पल को।

किनारा तेरे सीने का, तेरी बाँहों की ये लहरें,
यही सागर है जिसकी प्‍यास थी जुल्‍फों के बादल को।

तुम्‍हें तो महफिलों की रौनकें ही दिख रहीं केवल,
कभी देखो जरा रोती हुई लाचार पायल को।

सलामत तुम रहो सौ साल तक ये है दुआ मेरी
मगर मत भूलना राखी पे अपने बीर पागल को


नोटः बहुत देर तक ढूँढ़ती रही, जैसा चाह रही थी वैसा चित्र नही मिला तो ये चित्र डाल दिया.... मैं और मेरे होने वाले दामाद जी :) (भांजी के होने वाले पति)

57 comments:

Udan Tashtari said...

चलो, दो दो बधाई लो मगर दो केक रखना हमारे लिए..जगह की समस्या पेट में हमारे है नहीं...


जन्म दिन और सौं वी पोस्ट..क्या बात है.

बधाई और अनेक शुभकामनाऐं.

कुश said...

ग़ज़ल लिखी तो उम्दा है..पर सुन नहीं पा सकता..

वैसे आज का दिन और भी एक तरीके से ख़ास बनता है..आज आपका जन्मदिन जो है..उसकी भी बढ़िया ले लीजिये..

कुश said...

बढ़िया नहीं जी बधाई..

अफ़लातून said...

कंचनजी ,
इस दिन को विशेष बनाने वाली दोनों वजहों के लिए हार्दिक शुभ कामनाएं ।
सातत्य का पर्यायवाची हड़बड़ी नहीं है । इसलिए दो वर्षों में सौ पोस्ट्स पर चिन्ता मत कीजिए ।
सविनय,
अफ़लातून.

समयचक्र said...

बढ़िया रचना और सौवी पोस्ट की बधाई . आने वाले समय में जल्दी आप दो सौवी पोस्ट लिखे. शुभकामनाओ के साथ.

पंकज सुबीर said...

हमारे यहां तो रिवाज है कि जिसका जन्‍मदिन होता है वो कक्षा में टाफी लेकर आता है । तो कहां है हमारी चाकलेट । अपनी पसंद बता दें । हमें सबसे जियादह तो पसंद है कैडबरी की फ्रूट एंड नट्स और साथ में डेरी मिल्‍क तथा फाइव स्‍टार भी पसंद है । वैसे हम एक साथ तीनों को खाने में भी परहेज नहीं करते । तो ऐसा करना कि तीनों ही ले आना । हम किसी को परेशानी में डालना नहीं चाहते कि वो ये सोचकर परेशान हो कि कौनसी ले जायें चाकलेट ।
जन्‍मदिन की बधाई ।

पारुल "पुखराज" said...

KHUUB BADHAYI...HASTI -MUSKATI RAHO..

ARSH NE BAHUT ACHHA GAYAA HAI...KAI BAAR SUNA..MUN NAHI BHARAA..

mehek said...

bahut badhai

Rakesh Singh - राकेश सिंह said...

जन्म दिन और सौंवी पोस्ट क्या बात है | जनम दिन की बधाई स्वीकार करें | हम तो ठहरे शुद्ध शाकाहारी तो केक की जगह मिठाई रखियेगा, खाने हम आ ही जायेंगे कभी |

Unknown said...

dabal maza
dabal badhaai !
_______________abhinandan !

संगीता पुरी said...

सबसे पहले तो सौंवी पोस्‍ट की बहुत बहुत बधाई और शुभकामनाएं .. गजल भी बहुत अच्‍छी है !!

संगीता पुरी said...

जन्‍मदिन की बधाई तो भूल ही गयी .. पहले कर्म का दिया .. अब जन्‍म का .. क्‍यूंकि मैं कर्म को जन्‍म से अधिक महत्‍वपूर्ण मानती हूं .. तो जन्‍मदिन की बहुत बहुत बधाई और शुभकामनाएं !!

निर्मला कपिला said...

कंचन जी सब से पहले तो आपक और आपके परिवार जन्म दिन की बहुत बहुत बधाई और आशीर्वाद् दूसरी बधाई आपकी 100वीं पोस्ट के लिये और कामना करती हूँ कि अगला शतक जल्दी ही आये
तीसरी बधाई कि आपके जन्मदिन पर अर्श गायक के रूप मे सब के सामने आया है और इस तरह से एक नये अर्श का जन्म हुआ है उसके लिये भी बहुत बहुत बधाई अर्श की आवाज़ ने एक आशा कगा दी है कि आने वाले दिनों मे वो कमाल करने वाला है आपका कहना बिलकुल सही है कि वो छुपा रुस्तम हैुसे भी बहुत बहुत आशीर्वाद आपकी गज़लों की तारीफ करने के लिये शब्द नहीं है फिर से ढेरों बधाईयां और आशीर्वाद्

रंजू भाटिया said...

कंचन जी जन्मदिन की बहुत बहुत बधाई सौवी पोस्ट की भी ..यह पञ्चमेल बहुत पसंद आई ..बधाई

दर्पण साह said...

janmdin ki bahut bahut badhai...

Vinay said...

हमें भी दोहरी ख़ुशी है, बधाई!
---
चाँद, बादल और शाम

ओम आर्य said...

जन्म दिन की बधाई ..........आपने बहुत ही सुन्दर शेर प्रस्तुत किये ......अतिसुन्दर

vandana gupta said...

100 vi post aur janamdin ki dohri badhayi..........gazal bahut sundar hai.

ताऊ रामपुरिया said...

जन्मदिन और सौवीं पोस्ट. क्या खूबसूरत संयोग है. और उस पर से ये आज की नायाब रचना. कंचन जी मिठाई से कम पर बात बनेगी नही. ऐसी तिकडी कम ही बनती है सो हम सारे ब्लागर भाई बहन..मुंह खोले बैठे हैं मिठाई की उम्मीद मे.

आपको बहुत बहुत बधाई और शुभकामनाएं.

रामराम.

नीरज गोस्वामी said...

कंचन जी
पहली बधाई जन्म दिन की.
दूसरी बधाई सौवीं पोस्ट की
तीसरी बधाई अनूठी ग़ज़ल की
चौथी बधाई अर्श जी की आवाज की
पाँचवीं बधाई संयुक्त प्रयास की
ये सिलसिला यूँ ही चलता रहे....पोस्ट पर पोस्ट पर पोस्ट देती रहें और खूब खूब खूब खुश रहें...
नीरज

गौतम राजऋषि said...

क्या लिखूँ?...इस खास ग़ज़ल को तरन्नुम में सुनने की इतनी इचछा थी, मगर नेट की स्पीड साथ नहीं दे रही।...अब तो भेज सकती हो मेल में?
दिन-विशेष की करोड़ों बधाईयाँ.....ये मुस्कान बनी रहे हमेशा-हमेशा के लिये-बस!

Servesh Dubey said...

कंचन जी ,

आपके जन्मदिवस पर हमारी तरफ़ से ढेर सारी शुभ कामनायें,
सुख समृदि यश वैभव आपके आगे पीछे चक्कर लगाये
आप्के लेखन की चमक श्री राधेकृष्ण की कृपा से हरपल बढती जाये

आज का आपका शतकीय सफ़लता सह्स्त्रो मे परिवर्तित हो जाये

---- नमस्कार ----

अनूप शुक्ल said...

जन्मदिन की बधाई! सौवीं पोस्ट की बधाई! और इस वाली फ़ोटो की बधाई! आवाज की बधाई बाद में जब सुनी जायेगी फ़िलहाल इत्ते में ही मजे करो।

Anonymous said...

happy b day May God bless you

Suneel R. Karmele said...

Janmdin ki hardik shubhkamnaayen.
100th post ki bhi shubhkamnayen.
ghazal achchhi lagi badhai.
yu hi nirantar umda likhati rahe.

रंजना said...

तुमने कहा तो मुझे ख़याल आया कि तुम्हे भरोसा दे दूं,मेरा भी साल पूरा हो गया,लेकी लगता नहीं कि दो साल में भी सौ पोस्ट के आंकडे तक पहुँच पाउंगी....तुम अकेली नहीं.....
लेकिन ये सौ पता नहीं कितने सौ पर भारी हैं,इसलिए चिंता नहीं करने का...माता सरस्वती सदा अपना वरदहस्त तुमपर रखें....

जम्नदिन की अनंत शुभकामनायें....

अर्शजी को बहुत बहुत बहुत धन्यवाद हमारी बहन के इस सुन्दर नगमे को अपना सुमधुर स्वर देने के लिए....

सुशील छौक्कर said...

सबसे पहले जन्मदिन की ढेरो बधाई और शुभकामनाएं और साथ ही सौवी पोस्ट के लिए भी बधाई। खूब सारी खुशियाँ मिलती रहे और खूब जमकर लिखो। चाकलेट निकाल ली है। और ऊपर से एक बहुत ही सुन्दर ग़ज़ल। सुनने और पढने में आनंद आ गया।

किसी में कुछ,किसी में कुछ, सभी कुछ तुम में पाना है,
यही उलझन तुम्हे भी है, यही उलझन मेरे दिल को।

कुछ ज्यादा ही पसंद आया।

ghughutibasuti said...

जन्मदिन की शुभकामानाएँ। बढ़िया गजल व शतक के लिए बधाई। ऐसे ही शतक लगाते रहो। संख्या से अधिक महत्वपूर्ण तुम्हारी रचना की गुणवत्ता है।
फोन बंद कर रखा है क्या?
घुघूती बासूती

उन्मुक्त said...

जन्मदिन और सौवीं चिट्ठी दोनो की बधाई।

नीरज मुसाफ़िर said...

kanchan ji,
happy badde.
or 100th post.
congratulation.

Manish Kumar said...

अर्श की ग़ज़ल गायिकी का एक बेहतरीन नमूना कल उनके चिट्ठे पर देखा था। इसे सुबह नहीं सुन पा रहा था, अभी सुना। बहुत खूबसूरती से निभाया है उन्होंने। जन्मदिन और १०० वीं पोस्ट की एक बार फिर हार्दिक बधाई।

"अर्श" said...

आपको आपके जन्मदिन पे बहोत बहोत बधाईयाँ और शुभकामनाएं.. अल्लाह मियाँ आपको दुनिया की सारी खुशियों से लाद दे... जो कभी ख़तम ना हो... १०० वीं पोस्ट अपने आप में एक मिल का पत्थर है ... इसके लिए भी आप बधाई लेलो जी... और जहां तक ग़ज़ल की बात है तो इसके बारे में कुछ भी नहीं कह पाउँगा ... वाकई एक गाई जाने वाली ग़ज़ल है आपको इसे की बड़े फनकार से गव्वान चाहिए था ,... मगर आपने जो मुझे इज्जत बख्शा है उसके लिए रिनी रहूँगा हमेशा के लिए... और हाँ मिठाईयां तो मुझे भि खूब भाति हैं चौकलेट तो चाहिए है जब गुरु जी को दोगे तो मैं भी लूँगा और साथ में काजू की बर्फी भी चाहिए मुझे अलग से ... सच में आश्रम में गुरु जी के मुझे एक बहन मिल गयी है जिसके साथ खेलता हूँ लड़ता हूँ और वो मुझे बहोत दुलारती है सच में मैं बहोत भाग्यशाली हूँ इस मामले में ... अब तक कहाँ थे तुम ...???


आपका
अर्श

अविनाश वाचस्पति said...

कंचन जी को
चुन कर जन्‍मदिन पर
100 वीं पोस्‍ट के लिए बधाई
और जन्‍मदिन पर शुभकामनाएं
खूब पोस्‍टें लिखें और
ढेरों टिप्‍पणियां पाएं
अगले जन्‍मदिन पर
1000वीं पोस्‍ट लगाएं
मेरी तो यही हैं सच्‍ची आशाएं
बदल जाएंगी इससे जन्‍मदिन की परिभाषाएं।

प्रकाश पाखी said...

बहन को जन्म दिन की अरबों बधाईयाँ...फौजी भाई ने तो सिर्फ करोडों शुभ कामनाएं दी है...पर आज गुरूजी की पोस्ट पर आप दोनों भाई बहन की गजलों को पढ़ कर थोडा भावुक हो गया हूँ इसलिए अभी टिप्पणी में शुभकामनाओं और बधाई देने और मिठाई (वैसे मुझे तो काजू कतली और खीर पसंद है..)खाने के सिवाय और कुछ नहीं...लिखूंगा .
और प्रिय भाई अर्श आपके कंठ से बहन की खूबसूरत गजल सुनकर बहुत आनंद आया..कभी समर्थ हुए तो आपकी आवाज में एल्बम निकालने की मन में आ रही है.
गजल बहुत achchhi लगी..
सौवीं पोस्ट की बहुत बहुत बधाइयां....!
प्रकाश पाखी

वीनस केसरी said...

कंचन जी, आप जब ब्लोगिंग शुरू की तो हमेशा की तरह सबसे पहले गुरु जी का ब्लॉग खोला मगर आज आपको पढने की पूर्व सूचना के चलते मन का उत्साह ही अलग था
vaha अभी कमेन्ट नहीं किया और आपके ब्लॉग पर चला आया और यहाँ तो जैसे खजाना मिल गया
आपका जन्मदिन
ब्लॉग की सौवी पोस्ट
आपकी सुन्दर गजल
विशेष मक्ता गुरु जी की और से
अर्श जी की गायकी
और रवि भाई की भेट आठवा शेर

बाकी आगे नीरज जी को कॉपी कर रहा हूँ आख्हिर मेरे मन का भाव भी तो यही है

पहली बधाई जन्म दिन की.
दूसरी बधाई सौवीं पोस्ट की
तीसरी बधाई अनूठी ग़ज़ल की
चौथी बधाई अर्श जी की आवाज की
पाँचवीं बधाई संयुक्त प्रयास की
ये सिलसिला यूँ ही चलता रहे....पोस्ट पर पोस्ट पर पोस्ट देती रहें और खूब खूब खूब खुश रहें...

आख़री बात, आपको जन्मदिन की बधाई सबसे पहले मैंने दी थी (मगर गलती से गलती ये हो गई की कमेन्ट एक पुरानी पोस्ट पर जा कर कर दिया :)
पता नहीं आपने नोटिस किया या नहीं ???


{मेरे गुरुभाई इससे अवश्य जल रहे होंगे। but who cares ?? :) }
(ये तो वही बात है की खाने को भी ना दीजिये और चीढहाइए भी :)

venus kesari

mani said...

bahut hi sundar abhivaykti. badhai ho.tumahara jivan mangalmaye rahe bahana yehi kamna hai param pita permehwar se

manu said...

MAAF KARNAA............
LATE HO GAYAA....
CAKE TO NIPAT GAYAA HOGAA AB TAK...
MERI BADHAAI SWEEKAAR KARO..
:)

रविकांत पाण्डेय said...

जन्मदिन, सौवीं पोस्ट, बेहतरीन गज़ल और उतनी ही सुंदर आवाज़....इन सब पर पहले ही सबने दाद दे रखी है...उन सबका इकट्ठा जोड़ मेरी तरफ़ से भी समझ लें...पुनश्च,जन्मदिन ही नहीं, आनेवाला हर पल मंगलमय हो, हर क्षण जीवन के प्रति अहोभाव से भर दे, बसंत आए और हृदय-उपवन में शत-शत फूल खिल उठें, ऐसी मंगलकामना करता हूं। तकनीकी कारणों से विस्तृत कुछ भी लिखने में अक्षम हूं।

के सी said...

शर्मिंदगी की ही बात है लोग दिन में एक नया मसला और चार नयी पोस्ट लेके आते हैं फिर भी प्रार्थना यही है कि इसे शर्मिंदगी कहते हैं तो बनी रहे. आप जिसे आम सी बात कहती हैं उसकी बधाई मैंने दी थी, मिल गयी होगी ? शतक की भी बधाई.
जिनका प्यार और आर्शीवाद मिला है, सदा बना रहे. अर्श तो मुझे भी पसंद है और दीदी ठीक कहती हैं प्यार ऐसे ही जताया जाता है. शेर शायरी में मुझे ये वाला शेर पसंद आया
"कभी सबसे भले हो तुम, कभी सब से बुरे हो तुम,
असल में वो तुम्‍हीं हो जो, बदलते हो हर इक पल को।"
आपके दामाद जी तो बड़े क्यूट है अच्छी तरह से पता कर लिया होगा न उनके बारे में .... और वो अर्श की आवाज़ नहीं सुन पा रहा हूँ म्यूजिक प्लेयर कि जगह सफ़ेद पट्टी बन जाती है हर बार ... क्या करूँ ?

ललितमोहन त्रिवेदी said...

किसी में कुछ,किसी में कुछ, सभी कुछ तुम में पाना है,
यही उलझन तुम्हे भी है, यही उलझन मेरे दिल को।
कभी सबसे भले हो तुम, कभी सब से बुरे हो तुम,
असल में वो तुम्‍हीं हो जो, बदलते हो हर इक पल को।
इस मनमोहक ग़ज़ल के लिए और जन्मदिन के लिए अनंत शुभकामनाएँ ! कुछ तकनीकी गडबडी के कारन अर्श जी की मीठी आवाज़ से वंचित हूँ पर सुनूंगा ज़रूर क्योंकि स्वर ग़ज़ल की मारक क्षमता को कई गुना बढा देता है !

दिगम्बर नासवा said...

जन्म दिन और सौंवी पोस्ट के लिए बधाई.....
ग़ज़ल लाजवाब है...........

डिम्पल मल्होत्रा said...

a very happy b`day...n wish u all the best in life......n the post is also nice....congrats once again....

Unknown said...

badhai. yun hi zari rahe ye karwan.

लावण्यम्` ~ अन्तर्मन्` said...

१०० वीं पोस्ट की बधाई आगे के लिए शुभ कामना अर्श भाई की गायकी गज़ब है & Happy Birth Day to you & may Dear Shri Krishna ji Bless you always Kanchan bete ...

affectionately,
- Lavanya

adwet said...

100vin post ke liye badhai

Alpana Verma said...

bahut bahut badhaayee Kanchan ji.

aur umda ghazal aur sabhi sher achche lage..

Arsh ji ne bhi khoob sundar gaya hai is gazal ko...unhen bhi mubaraqen..

kanchan ji,aap apni awaaz mein bhi kuchh sunaayeeyega..main to umeed kar rahi thi ki aap 100th post mein apni awaaz mein bhi kuchh post karengi

hempandey said...

तुम्‍हें तो महफिलों की रौनकें ही दिख रहीं केवल,
कभी देखो जरा रोती हुई लाचार पायल को।

-बहुत सुन्दर पंक्तियाँ हैं.

डॉ .अनुराग said...

कहना अर्श का ...बेवजह की मसरूफियत ...उसी में उलझे हुए थे ..क्या दुआ दूँ तुम्हे .....मुश्किलों से जूझना तो बचपन से सीख गयी हो....पर शायद इन मुश्किलों ने एक अच्छा इन्सान दिया है दुनिया को .....अच्छे तो ओर भी बहुत है....पर . जिंदगी की इतनी तल्खियों के बाद अच्छा इन्सान बना रहना शायद ज्यादा मुश्किल है ....कभी कभी हम जान नहीं पाते है की अनजाने में हमने कितनी जिंदगियों पे कई महत्वपूर्ण प्रभाव डाले है...

पुनश्च :मौके तीन तीन हो .तो केक से काम नहीं चलेगा...चावल -राजमा की दावत .....

कंचन सिंह चौहान said...

समीर जी, दो केक...??? भाभी जी से पूँछा ??

कुश सुना नही तो पढ़े का ही शुक्रिया ले लो।

अफलातून जी आप की कभी कभी की गई टिप्पणी भी १० टिप्पणि के बराबर होती है। सातत्य का पर्यायवाची हड़बड़ी नहीं है। क्या बात है मैं हमेशा याद रखूँगी।
महेंन्द्र जी,अलबेला जी,रंजना जी,दर्पण जी, नज़र जी, ओम जी, वंदना जी, सर्वेश जी, रचना जी, सुनील जी,घुघूती दी, उन्मुक्त जी, नीरज जी, मनीष जी,मणि जी, दिगंबर जी, राज जी, रवींद्र जी, लावण्या दी, अद्वैत जी, हेम जी शुभकामनाओं का धन्यवाद
गुरु जी आप के ऊपर कैडबरी कंपनी न्यौछावर (कौन अपनी है...?? :) )
thanx Parul
eggless cake रखेंगे राकेश जी..! आप आइये तो..!
संगीता जी आप का अंदाज़ अच्छा है जन्म तो बधाई लायक तभी बनता है, जब कर्म अच्छे हों।
निर्मला दी आप की बहुत साड़ि शुभकामनाओं के बदले एक अनुरोध..जी मत कहें मुझे, आशीष दे.. बस..!
ताऊ जी केक तो लगा दिया था इसीलियेपोस्ट के साथ..अबकी मिठाई भी लगाऊँगी।
नीरज जी आपकी पहली,दूसरी, तीसरी, चौथी, पाँचवी बधाई का अलग अलग शुक्रिया।
गीत भेजती हूँ वीर जी।
अनूप जी फोटो की बधाई का विशेष शुक्रिया।
रचना दी..! छोटी बहन को यूँ दुलार दे कर ना बिगाड़िये :)
सुशील जी चाकलेट..भेज दीजिये :)
अर्श...! अब तक जहाँ भी थी..! मगर अब तुम्हारे साथ हूँ..!
अविनाश जी...! २ साल में १०० और १ साल में ९०० पोस्ट..???????? हो सकता है क्या दुआओं में असर :)
प्रकाश जी शुक्रिया और अर्श की आवाज़ में कैसेट निकाला तो घाटे का सौदा कतई नही रहेगा..विश्वास मानिये
वीनस आपकी शुभकामनाएं हमें ठीक १२.०० बजे मिल गई थीं। हमने बिलकुल नोटिस किया था। बस व्यस्तताओं के चलते झवाब नही दे पाए थे।
मनु जी चलिये माफ किया..!
रविकांत जी इतना ही विस्तृत बहुत है।
किशोर जी मैं अर्श की आवाज़ की रिकॉर्डिंग भेज दूँगी..! और दामाद जी को चुने अब तो ५ माह हो गया..! की एक अलग से पोस्ट लगाऊँगी इनके लिये।
ललित जी..! अर्श की आवाज़ जो नही सुनाई दे रही इसका बड़ा अगसोस है मैं फिर से ठीक कर के देखती हूँ।

अल्पना जी मुझ से कहीं बेहतर एक ऐसी आवाज़ मिल गयी, जिस पर मेरा पूरा अधिकार था, तो उसी का प्रयोग कर लिया ।
कभी कभी हम जान नहीं पाते है की अनजाने में हमने कितनी जिंदगियों पे कई महत्वपूर्ण प्रभाव डाले है...
सच कहा आप कहाँ जान पाते हैं डॉ० साहब की आप कितनी जिंदगियों पे कई महत्वपूर्ण प्रभाव डाले हुए हैं, क्योंकि अच्छे तो और भी हैं, मगर जिंदगी की कड़वाहटों को रोज झेलने के बाद भी जो शख्स इतना मीठा बना है, वो बहुत खास होगा। और उस खास की दुआओं का मैं इंतज़ार कर रही थी

योगेन्द्र मौदगिल said...

वाह......
बेहतरीन रचना के साधुवाद
जन्मदिवस की खूब सारी बधाई
देरी के लिये क्षमा
सैंकड़े की पुनर्बधाई

गौतम राजऋषि said...

फिर से आया था इस अनूठी ग़ज़ल को पढ़ने....

और जिस किसी भी श्रीमन ने ये कहा तुमसे कि तुम आउटडेटेड लिखती हो, उसे मेरी ओर से शटअप-काल दे देना...how dare he!

"अर्श" said...

AAJ FIR SE AAPKE BLOG PE AAPKI LIKHI GAZAL PADHNE AAYA THA .... MAN NAHI BHARTAA ISKO PADHTE PADHTE... KYA KARUN KOI CHARA NAHI HAI AUR AAP ROKTI BHI NAHI HAI ISE PADHNE SE ... MAGAR YE HUZUR KAUN SAHIB HAI JO YE KAHTE HAI KE AAP OUTDATED LIKHTI HO .. INKO TO NAMAN HI KARUGA MAIN... KYA PARKHI NAZAR PAYAA HAI USTAAD NE .. WAAH... MAGAR HUZUR YE BHI TO BATAANE KI JAHMAT UTHAYEN KI YE KIDHAR SE OUTDATED LIKHTI HAI .. IS GAZAL ME HAR SHE'R APNE AAP ME MISHAAL KAYAM KARTA HAI .. KYA USTADANA SHE'R KAHE HAIN AAPNE .. KHUB PARVARISH KARTI HAIN AAP APNI GAZALON KI YAHI BAAT HO SAKTI HAI KE OUTDATED HO... JO AB KE LOG SHAYAD NAHI KARTE... MAGAR YAHI PARVARISH AAPKO EK AISE STAR PE LE JAAKAR BITHATA HAI JAHAAN AURON KO PAHUNCHANE KE BAS KI BAAT NAHI HAI .. KAL KA HAR DIN AAPKA HOGAA GAZAL KI DUNIYA KA... SALAAM AAPKI LEKHANI KO ... ASIM KRIPA HAI AAPKE UPAR... FIR SE BADHAYEE AUR KAHUN KI BARFI KHAYE JATA HUN... WAAH BAHOT MITHI HAI.. HUNMMMMM MAJAA AAGAYAA WAAH... SABSE ACHHI BAAT YE HAI KE AAP HAMESHAA HI MERE LIYE YE SWEET RAKHTI HAIN... KYA AAPKO PATAA HOTA HAI KE MAIN AANE WALAA HUN...HA HA HA



AAPKA
ARSH

Neelesh K. Jain said...

Likhana khud ka dihkana hota hai...likhati rahein...dikhati rahein!
neelesh jain, mumbai
http://www.yoursaarathi.blogspot.com/

Unknown said...

wahhh Kanchan ji kya gazal hui hai

so sorry der se aane ke liye
lekin mere dil ki sari dua aapke saath hai
aap khoob khush rahe
janamdin bahut enjoy kiya hi hoga cake bhi khlaiyega

ye gazal sun nahi saki please dubara link de

vikram7 said...

जन्मदिन व सौवीं पोस्ट के लिये मेरी ओर से शुभकामनायें

स्वप्न मञ्जूषा said...

ham to aaj pahli baar aaye hain aapke blog par aur ghazal padh-sun kar bas vibhor ho gaye hain.
jitni sundar ghazal hai utni hi sundar awaaz hai arsh ji..
bahut hi sundar..

Unknown said...

सुबह की नींद जैसा वो, बहुत प्यारा लगे दिल को,
ज़रा सा और दो पल को.ज़रा सा और दो पल को।
wah
bahut hi naya pratyiman ...subah ki neend jaisa wo ....waha wah ....aur do pal...bahut hi badhiya .....kanchan ...badhai