यह पोस्ट मुझे पिछले हफ्ते ही दे देनी थी और मन की गति देखूँ तो अभी भी नही।
कुछ पारिवारिक और मानसिक उलझनो के चलते ना दे सकी। फिलहाल ब्लॉग परिवार ऐसा परिवार है जिसकी याद अब अपने अपनो के साथ ही आती है और इस बार भी आई और जितनी मदद हो सकती थी मिली भी। डॉ० अनुराग से, नीरज जी और अनीता दी से। चूँकि मेडिकल प्रॉबलम थी, तो अनुराग जी से सबसे अधिक और फिर कहना पड़ा ये डॉ० चमड़े के नही दिल के ही हैं, बल्कि भावनाओं के। समस्या लंबी है समाधान शायद देर से हो..!
खैर आप स्वागत कीजिये इस http://ajeetfirdausi.blogspot.com/का जिसके कर्ता धर्ता हैं श्री अजीत श्रीवास्तव (अजित नही लिखूँगी, क्योंकि वे स्वयं ee का प्रयोग करते हैं।)
अजीत जी को मैं जानती थी आर्कुट के माध्यम से। तब, जब ये जर्मनी में थे किसी स्कॉलरशिप के लिये। इनके मित्र अनुज वर्मा ने मुझे सर्फिग में कहीं पाया और वहीं से शायद इन्हे भी मेरा पता चला। अजीत जी का पहला ही स्क्रैप इनकी संवेदनशीलता का परिचायक था। मैने ढूँढ़ने की कोशिश की मगर शायद किसी दिन सफाई में मैने वो हटा दिया होगा। अजीत जी से स्क्रैप्स का आदान प्रदान कभी भी नियमित नही रहा, मगर जितना रहा उस से ये लगा कि अत्यंत संवेदनशील एवं विनम्र शख्स हैं (जैसे मैं, जिन्हे इर्द गिर्द के लोग ही समझ सकते हैं)
कभी कभार इनकी रचनाओं से अवगत होने पर मैने इन्हे ब्लॉग बनाने का सुझाव दिया। मगर ये अपनी पढ़ाई का बहाना बना कर टालते रहे।
लगेहाथ ये भी बता दूँ कि सुल्तानपुर की सरज़मी पर जन्मे अजीत जी ने एन०आई०टी०. रुड़की से बी०टेक० आई०आई०टी०, कानपुर से एम०टेक० किया है और इस समय आई०आइ०टी०,चेन्नई से रिसर्च कर रहे हैं। जर्मनी में ये स्कॉलरशिप के लिये गये थे
अजीत जी मेरे जैसे लोगो में नही है, जिन्होने पहले ब्लॉग बनाया और फिर ब्लॉगजगत को जाना। ये लगभग डेढ़ साल से ब्लॉग जगत को जान रहे हैं और टिप्पणी भी करते हैं कभी कभी।
और तो और दिग्गजों की पोस्ट पर छद्म नाम से अधिक सच वाली टिप्पणी करने वाले इन सज्जन के कारण विवाद भी हो चुके हैं। अब नाम नही बताऊँगी अन्यथा वो लोग पूर्वाग्रह से ग्रसित हो जायेंगे :) :)।
खैर अब ज्याद कुछ मैं नही कहूँगी...कहेंगे अजीत जी के लेख...! आप बस उत्साहवर्द्धन कीजिये....! और पहुँचिये प्रेरणा पर
15 comments:
चलिये, अजीत जी की ब्लाग पर घूम कर आता हूं।
main to bhaee ghum aaya ajeet jee ke ghar se ... achha intazaam karaa hai unhone... chaay bhi pee maine to...badhaayee aapka... milwaane ke liye...
arsh
मन संवेदन भी अजब है दुनिया के किसी भी कोने से तलाश लाता है अपनत्व के धागे. अजित का स्वागत है !
तब ठीक है, हम भी अजीत जी के ब्लौग को देखने के लिये उत्सुक हैं.
अरे ये तो अपने जान पहचान वाले भी हो सकते हैं !
कंचन जी, मै तो एक चक्कर लगा आया और 'प्रेरणा' पर अपनी मौजूदगी के निशान भी छोड़ आया।
तुम ठीक तो हो ना?
मेल करो...
प्रेरणा से होकर आता हूँ तब तक..
ये सच है कंचन जी कि इस ब्लोग परिवार कुछ इंसान वाकई सच्चे और अच्छे है। जहाँ दरवाजे नही है दीवारे नही है। बस है तो प्यार ही प्यार है। वैसे आप कैसी है। बताए। तबतक मैं अजित जी के घर होकर आता हूँ।
स्वागत है अजीत जी का...........और स्वस्थ की शुभकामनाएं...............
prerna ke bare mein jankar achcha laga.....abhi wahin ghoom kar aayi hun.
मैं भी स्वागत कर आई। अब स्वास्थ्य कैसा है?
घुघूती बासूती
मैं भी स्वागत कर आता हूँ ....आप सही है न
मेरी कलम - मेरी अभिव्यक्ति
कंचन जी, मेरे पास कहने के लिए कोई शब्द नहीं है. आपकी उम्मीदों पर खरा उतरने की पूरी कोशिश करूँगा.
आपकी तबियत ठीक तो है न..
होकर आ गए वहां.. आपका भी शुक्रिया एक नए ब्लॉग से परिचय करवाने के लिए
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