कभी कभी आश्चर्य होता है कि सारी दुनिया को कोई बात मालूम होती है और हमको नही..वही कुछ इस गीत के साथ भी है। ये गीत सुना मैने सब से पहले अपनी भाभी के कज़िन के मुँह से। गीत के बोल सहज भावनओं को लिये , सहज शब्दों को लिये और कान से मन तक अच्छे लगने वाले लगे। और मुझे लगा कि पूरी दुनिया में उसे ही ये गीत आता है और जब भी वो आता मैं उससे ये गीत ज़रूर सुनवाती...लेकिन खल के तब रह जाती जब सबको इस गीत के बारे में पहले से जानकारी रहती..और वो कहते कि हाँ एक उम्र में हमने ये गीत बहुत सुना है... जैसे मुझसे बताया जा रहा हो कि तुम्हारी उम्र नही रही अब ऐसे गाने सुनने की :)। अब हम क्या करें जब हमको ये गीत इसी उमर में सुनने को मिला।
अपनी सखी माला मुखर्जी से पूँछा तो उनका भी यही जवाब था। मैने पूँछा पता नही कौन सी फिल्म का होगा ये गीत ???? तो उन्होने बिना सोचे समझे कहा... एक नज़र...अमिताभ और जया की फिल्म है.... बी०आर० इशारा डायरेक्टर हैं और किशोर कुमार का गाया हुआ है। मैने सोचा कि संगीत निदेशक और गीतकार का नाम ही क्यों छोड़ दिया..ब्लॉग मित्र तो छूटा देख लेंगे तो ज़रूर पूँछेगे :) खैर नेट पर पता चला कि १९७२ में प्रदर्शित इस फिल्म के संगीतकार लक्ष्मीकांत प्यारेलाल हैं और गीतकार मुझे नही पता चले।
जो भी हो ये गीत लखनऊ में मेरे अद्यतन तीन लोगो के परिवार के हर सदस्य का यह प्रिय गीत है। क्योंकि मैने भले इस उम्र में सुना हो बाकि दोनो की तो उम्र ही यही है..। नेट पर खोज करते समय ये भी पता चला कि इसके अन्य तीन गीत
भी मुझे बहुत प्रिय है पहला
पहले सौ बार इधर और उधर देखा है,
तब कहीं जा के उसे एक नज़र देखा है।
दूसरा
पत्ता पत्ता, बूटा बूटा हाल हमारा जाने है,
जाने न जाने गुल ही ना जाने बाग तो सार जाने है
और तीसरा
हमी करे कोई सूरत उन्हे भुलाने की,
सुना है उनको तो आदत है भूल जाने की....!
तो आप भी सुनिये मेरे साथ ये गीत
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हम्म्म् एक नज़र, एक नज़र
प्यार को चाहिये क्या, एक नज़र, एक नज़र
देर से तू मेरे अरमानो के आइने में.
बंद पलकें लिये बैठी है मेरे सीने में,
ऐ मेरी जान-ए-हया देख इधर, देख इधर
प्यार को चाहिये क्या, एक नज़र, एक नज़र
बेकरारों की दवा, एक नज़र एक नज़र
चैन दे कर के जो बेचैन बना देती हो,
हो तो शबनम सी मगर आग लगा देती हो,
जब मिले शोर उठे, हाय रे दिल, हाय जिगर
बेकरारों की दवा, एक नज़र एक नज़र
दर्दमंदों की सदा, एक नज़र एक नज़र
शिकवा बाकि ना रहे दूर गिला हो जाये,
इस तरह मिल कि दिवाने का भला हो जाये
चाहने वालों में हाँ देर न कर, देर न कर
दर्दमंदों की सदा, एक नज़र एक नज़र
इश्क़ माँगे है दुआ, एक नज़र एक नज़र
खून-ए-दिल से बढ़े रुख्सार की लाली तेरी,
मेरी आहों से पलक और हो काली तेरी,
मेरी हालत पे ना जा और सँवर, और सँवर
इश्क़ माँगे है दुआ, एक नज़र एक नज़र
प्यार को चाहिये क्या, एक नज़र, एक नज़र
20 comments:
हमने तो सुना नही... पर सुनेंगे ज़रूर.. अब आपने इतनी तारीफ़ जो कर दी है..
सुबह सुबह गाना सुना। शुक्रिया।
एक नजर फिल्म का यह टाईटल गीत मुझे भी काफी पसंद है....जो कलेक्शन मेरे पास आया था उसमें By default यह गीत सबसे उपर था, उसे मैने कभी Modify भी नहीं किया और जब कभी यह कलेक्शन Windows के लिस्टिंग में बजता है तो पहले यही गाना सुनाई देता है....एक नजर.....एक नजर।
पत्ता पत्ता बूटा बूटा .सुना है बाकी नही.....आप तारीफ कर रही है तो सुनना पड़ेगा !
'एक नज़र, एक नज़र' तो कई बार सुना है. पर बाकी याद नहीं आ रहे. आज सुनता हूँ इस फ़िल्म के बाकी गाने.
कंचन जी, गाना पसंद आया। खुछ पुरानी पंक्तियाँ कभी पढ़ी थी याद आ गई एक नजर के जिक्र से-
उनको इक बार फ़िर से देखा है
**********************
यूँ तो देखा है पहले भी उन्हे
आज जानो-जिगर से देखा है
*********************
डूबोनेवाले हैं अक्सर साहिल ही
ये नजारा लहर से देखा है
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यूँ तो देखा है घड़ी भर को उन्हे
पर लगे उम्र भर से देखा है
***********************
ल्फ़्जों के दायरे हैं कितने छोटे
ये लफ़्जों से गुजर के देखा है
उनको इक बार फ़िर से देखा है
"एक नज़र" फिल्म उस समय सफल नहीँ हो पाई थी - परँतु
सँगीत कर्णप्रिय होने से आज तक नित नये चाहनेवाले ,
इसके गीत सुनना पसँद करते हैँ - आपकी पसँद की दाद देती हूँ कँचन जी !
स्नेह,
- लावण्या
sundar man bhavak geet
ये गीत मुझे किशोर के गीतों में so-so लगता है। इस फिल्म के अन्य गीतों और इसके बोलों से परिचित कराने का शुक्रिया ।
पत्ता - पत्ता बुटा-बुटा तो सुना है हमने भी डाक्टर साब की तरह....गज़लों के पितामह मीर तक़ी मीर की लिखी हुई है
शेष गानों को सुनने का उद्यम करना ही पड़ेगा,अब आपने इतनी तारीफ की है तो
पहले सौ बार इधर और उधर देखा है,
तब कहीं जा के उसे एक नज़र देखा है।
कितने सुंदर शब्द हैं..वाह...एक नजर फ़िल्म तो नहीं चली लेकिन उसके गीत बहुत प्रसिद्द हुए...हमारे ज़माने की फ़िल्म है इसलिए हमारे दिल के करीब भी है...पुरानी यादों को ताजा करने का शुक्रिया...
नीरज
"प्यार को चाहिए क्या ....."
पसंदीदा गाना है मेरा.
अभी सुन नहीं पाये लेकिन सुन्दर पोस्ट! कुछ गड़बड़ है हमारा सिस्टम! सुनकर दुबारा तारीफ़ करेंगे।:)
अईसा है कि ये गाने मजरूह ने लिखे हैं । और पत्ता पत्ता बूटा बूटा वाला जो मिसरा है वो हमारी याददाश्त के मुताबिक मीर तकी मीर का है ।
बाकी खेल मजरूह ने किया है उस गाने में ।
रही बात इन गानों की तो इस फिल्म के सभी मशहूर गीत हमें पसंद हैं ।
abhi tak nahi suna hai...par ab zarur sunenge.
बहुत बढ़िया
यूनुस जी शुक्रिया और कंचन को डबल शुक्रिया
gaano
kaa umr se kya vaastaa hai bhayi?..pehley sau baar..khuub acchha lagta hai..aur agar dance dekh lo kahin jaya ji ka ismey ..to hans hans kar dher ho jaaogi ..ye vada hai...:)..is gaaney ka shukriyaa
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thank you
शुक्रिया आप बहुत खूब लिंखती है । अच्छा लगा
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