"हाँ इसीलिये तो हम लोग बिगड़ रहे हैं..जैसी माँ वैसे बच्चे..!" तुरंत तर्क दिया मेरी लाड़ली ने। मुझे थोड़ी शर्म आई..! वो बोल रही थी "मैने first wish किया ना मौसी" हाँ बोलते हुए मैं सोच रही थी " ओह.. तभी पिंटू का फोन सुबह बज रहा था और मैने सोचा अबी जगूँगी तो कॉल कर लूँगी.." और तब तक उससे फोन लेकर नेहा (बड़ी दी की बेटी) बोली "happy mother's Day मौसी..मैं second..!" ये सब कानपुर गए हुए हैं आजकल। मै मन में सोच रही थी कि यार अगर अबी तुरंत माँ को विश किया जाता है तो mother's Day धरा रह जाएगा डाँट सुबह सुबह ज़रूर मिल जाएगी मेरी उनींदी आवाज को सुन कर..!
मैने नेहा से पूँछा " अम्मा क्या कर रही हैं..?" उसने बताया पूजा कर रही हैं। सुबह जब मौसी ने उनसे कहा कि अम्मा आज mother's Day है तो कहने लगी कि हाँ अबी कंचन फोन करेंगी, उन्ही को ये सब ज्याद याद रहता है, आज पता नही कैसे पिछड़ गईं" सुन कर मुझे हँसी आ गई, ये सोच कर कि जब भी मैँ अम्मा को विश करत हूँ mother's Day का वो कहती हैं कि खुश रहो लेकिन ये नया नया रिवाज अंग्रेजी सभ्यता का ...माँ का कोई एक दिन नही होता ... मैं हँसती रहती हूँ और अगली बार फिर विश करती हूँ..लेकिन अम्मा मुँह से चाहे जो कहें मन से इंतजार करती हैं मेरे फोन का ये मैं यूँ भी जानती हूँ...!मैने तुरंत मुँह धो कर अपनी आवाज फ्रेश की..और उन्हे फोन किया। आज उन्होने कुथ नही कहा बल्कि बोलीं "Thank you" इसके साथ ही मैने दोनो दीदियों को फोन किया जो मैं हमेशा करती हूँ, क्योंकि वो मेरी यशोदा माँए हैं...वहाँ बी वही बात आज तो तुम बहुत पिछड़ गई..! खुद पर शर्म आ रही थी..! लेकिन क्या करती..!
जाते जाते मन हो रहा है आपके साथ ये गीत सुनने का जो कि जिंदगी जिंदगी फिल्म का है और एस०डी० वर्मन साहब की आवाज़ में है ..,मुझे पता नही क्यों उनकी आवाज सुफियानी सी लगती है। वर्मन साहब द्वारा ही संगीतबद्ध और आनंदबक्षी के बोलो से सजा ये गीत मेरे मन के बहुत क़रीब है
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मेरी दुनिया है माँ तेरे आँचल में
शीतल छाया तू, दुख के जंगल में।
मेरी राहों के दिये, तेरी दो अँखियाँ,तेरी दो अँखियाँ
मुझे गीता सी कहीं, तेरी जो बतियाँ,तेरी जो बतियाँ
युग में मिलता जो वो मिला इक पल में।
मेरी दुनिया है माँ तेरे आँचल में
मेरी दुनिया है माँ तेरे आँचल में
शीतल छाया तू, दुख के जंगल में।
मैने आँसू भी दिये पर तू रोई ना, पर तू रोई ना
मेरी निंदिया के लिये बरसों सोई ना, बरसों सोई ना
ममता गाती रही, मन की हल चल में।
मेरी दुनिया है माँ तेरे आँचल में
शीतल छाया तू, दुख के जंगल में।
काहें न धो के तरें, ये चरन तेरे माँ,
देवता प्याला लिये, दर पे खड़े माँ
अमृत सबका है इस गंगाजल में।
मेरी दुनिया है माँ तेरे आँचल में
शीतल छाया तू, दुख के जंगल में।
6 comments:
माँ से कहिएगा की जो बात खुश रहो में है वो थॅंक यू में नही..
थेक्यू सुनकर कैसा लगा?? :)
माता जी को हमारी तरफ से भी मातृ दिवस की बधाई दें.
गीत अच्छा सुनाया, आभार.
सोच ही रहा था की वो लड़की जिसने अपने ब्लॉग पे माँ की फोटो लगा रखी है उसने कुछ लिखा नही .....कल व्यस्त दिन गया ......आज फुरसत मे आपका गाना सुना ......पहली बार ध्यान से .....माती जो प्रणाम कहियेगा....
derr se hi sahi maan ko mera pranam kahiyega.
achchi parivarik post :)
Is khoobsoorat ehsaas ko mera sallam.
सबसे पहले तो मां को मेरा भी प्रणाम। मैं सोच रहा था कि मातृदिवस पर आपने कुछ लिखा क्यों नहीं, लेकिन देर से ही सही आपने यह कमी पूरी कर दी। गाना अभी नहीं सुना है क्योंकि दफ्तर में गाना सुनने की मनाही है। बाद में सुनूंगा। जब काम से फ्री हो जाऊंगा।
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