Sunday, March 8, 2009

अंतर्राष्ट्री महिला दिवस पर मुझे बतायें ?


८ मार्च ...अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस के आते वही अखबारो, पत्र, पत्रिकाओं में कितने ही लेख आने लगते है। महिला अधिकार, महिला दशा, महिला उत्पीणन, महिला सशक्तिकरण के साथ एक कोमन लेख होता है ललिजेन्ड्रीज़ से पूँछा जाना कि आपकी जिंदगी में स्थान रखने वाली वो तीन महिलाएं जिन्हे आप आदर्श मानते हैं या जिनका आपके व्यक्तित्व निर्माण में बहुत बड़ा हाथ रहा है। तुरंत ही हम भी ये प्रश्न अपने आप से करने लगते हैं।

और आज यही प्रश्न हम आप से पूँछना चाह रहे हैं। अपने सारे ब्लॉगर मित्रों से ........आज नही कल सही कल नही परसों सही जब भी आप पढ़ें इस पोस्ट को मुझे बताये कि आपकी जिंदगी में स्थान रखने वाली वो तीन महिलाएं जिन्हे आप आदर्श मानते हैं या जिनका आपके व्यक्तित्व निर्माण में बहुत बड़ा हाथ रहा है। अब चूँकि मेरा अपना व्यक्तिगत मानना ये है कि स्त्री और पुरुष दोनो ही सृष्टि के दो आवश्यक स्तंभ है तो साथ ही यह भी पूछूँगी आपकी जिंदगी में स्थान रखने वाले उन तीन पुरुषों का भी नाम लें जिन्हे आप आदर्श मानते हैं या जिनका आपके व्यक्तित्व निर्माण में बहुत बड़ा हाथ रहा है।

शुरुआत करती हूँ मैं खुद...!

पहली है मेरी माँ, जिन्होने मुझे जिंदगी के उसूल सिखाये दूसरी मेरी बड़ी दीदी जिन्होने मुझे प्रेम और सामाजिकता सिखाई और तीसरी मेरी छोटी दीदी जिनसे मुझमे दर्शन और व्यवहारिकता की समझ आई।

और अब वो तीन पुरुष जिनका मेरे व्यक्तित्व निर्माण में हाथ है उनमें भी सबसे पहले हैं मेरे बाबूजी जिनका मानाना था कि मानव मात्र सभी समाना हैं। जो बात मायने रखती है वो है आपका स्वभाव। जाति भेद, लिंग भेद से ऊपर। समानता का पाठ उन्होने पढ़ाया।

दूसरे है मेरे छोटे भईया जिनसे सीखती हूँ कर्तव्यबोध। हर रिश्ते के प्रति। सब को ले कर चलना। सब से निभाना। आदर्श बाते ना कर के आदर्श कर्म में उतारना।

और तीसरा संदीप। जो बहुत दिन नही रहा मेरी जिंदगी में। मुझे मौसी कह कर माँ, बहन और दोस्त का रिश्ता निभाने वाले संदीप ने मुझे बताया कि प्रेम बहुत ही विस्तृत शब्द है। उसने मुझे महात्वाकांक्षी बनाया। उसने मुझे सपने देखना सिखाया। लेकिन उसकी ही जिंदगी से मैने ये भी सीखा कि सपनों के पीछे अंधी दौड़ आपको कहीं का नही छोड़ती।

तो आप भी बताइये ना आपकी जिंदगी में स्थान रखने वाली वो तीन महिलाएं और वो तीन पुरुष कौन हैं जिन्हे आप आदर्श मानते हैं या जिनका आपके व्यक्तित्व निर्माण में बहुत बड़ा हाथ रहा है।

29 comments:

Manoshi Chatterjee मानोशी चटर्जी said...

इस दिन बहुत सुलझी हुई पोस्ट कंचन। नारी दिवस के बहाने न तो शोषित नारी का चित्रण और सहानुभूति या कोई आंदोलन, न ही पुरुष को हैवान बताने की कोशिश।

लावण्यम्` ~ अन्तर्मन्` said...

कँचन आपके जीवन के ३ादर्श पुरुष व ३ आदर्श स्त्रियाँ हमारे मन मेँ भी उनके प्रति सन्मान का भाव भर गई
आपके प्रश्नोँ के उत्तर १ नई पोस्ट के जरीये देती हूँ :)
बहुत स्नेह , महिला दिवस तथा होली , दोनोँ के लिये
- लावण्या

रविकांत पाण्डेय said...

अच्छी पोस्ट है। प्रश्न तो बेहद गंभीर कर दिया आपने.....दत्तात्रेय ने अपने व्यक्तित्व निर्माण में 24 गुरूओं के नाम गिनाये हैं जिसमे पृथ्वी, सर्प, पिंगला वेश्या आदि शामिल हैं। तात्पर्य यह कि यदि आप receptive हैं तो संपूर्ण अस्तित्व ही सहयोगी है। किसका नाम लें और किसे छोड़ें-
"ऐ वाइजे नादाँ करता है तू एक कयामत का चर्चा
यहां रोज निगाहें मिलती हैं यहां रोज कयामत होती है"
तो मेरे लिये तो तीन की गिनती बहुत मुश्किल है। और फ़िर तीन हों कि तीस मेरे देखे तो सिर्फ़ नाम ही बदलता है शेष तो.....
"हम रूह-ए-सफ़र हैं हमें नामों से ना पहचान
कल किसी और नाम से आ जायेंगे हम लोग"
मेरे लिये तो एक गीत गाते पक्षी का भी उतना ही योगदान है जितना खिलते हुये गुलाब का। माता-पिता का उतना ही योगदान है जितना उगते सूरज का। दोस्त का भी उतना ही जितना दुश्मन का-
"दिन को न लूटता तो कब रात को यूँ बेखबर सोता
खटका नहीं चोरी का दुआ देता हूँ रहजन को"

संगीता पुरी said...

बहुत अच्‍छी लगी आपकी यह पोस्‍ट .... शायद सभी को आपके प्रश्‍न का उत्‍तर देने के लिए कुछ समय चाहिए ।

मीनाक्षी said...

नारी दिवस पर एक खूबसूरत पोस्ट पढ़कर अच्छा लगा..जल्दी ही हम भी एक पोस्ट के ज़रिए सभी प्रश्नो का उत्तर देने की कोशिश करेगे... नारी दिवस और होली के शुभ पर्व पर स्नेह और शुभकामनाएँ

ताऊ रामपुरिया said...

आपने इस पोस्ट के जरिये एक रोचक और सार्थक प्रश्न दे दिया है. और जवाब भी दिया जा सकता है. पर जवाब इतना सहज नही है कि नाम गिना दिये जायें?

इसके लिये जैसा कि अन्य टिपणीकारों ने कहा एक पोस्ट ही लिखनी पडेगी और ये पोस्ट एक तरह का आत्म अवलोकन होगी.

बहुत सार्थक पोस्ट है. ्धन्यवाद.

रामराम.

के सी said...

अदम्य सहस की आवश्यकता होगी आपके इस प्रश्न का उत्तर देने में ऐसा मैंने पोस्ट को पढ़ते पढ़ते ही अनुमान लगा लिया था. टिप्पणियों ने मेरे अंदेशे को सच ठहराया, अक्सर जब भी मैं आपकी किसी पोस्ट पर टिप्पणी करने पहुंचता था मुझे बीस तीस टिप्पणियां दिखाई दे जाती थी इस बार महिला दिवस पर आपने बड़ी सादगी से वो तीर चलाया कि उत्तर देते न बने टिप्पणी लिखते न बने.
मैं अपनी बात करू तो मेरी माँ और आभा ने मुझे सिखाया "किस तरह गलतियां माफ़ की जाये " पोस्ट बहुत सुन्दर है. बधाई

कुश said...

कोई भी तीन नाम लेना मुमकिन नही.. कोई वरीयता है भी नही.. बहुत सारे लोग है जो बढ़ते ही जा रहे है.. अगर मैं जवाब दे भी दू तो वो ईमानदार जवाब नही होंगे.. और बेईमानी तो अपनी फ़ितरत ही नही.. :)

बहरहाल होली शुभकामनाए स्वीकार करे..

ghughutibasuti said...

आदर्श तो शायद कोई भी नहीं हो सकता। यह आशा करना ही गलत होगा।
मेरे जीवन व मेरे व्यक्तित्व पर जिनकी अमिट छाप है वे मेरी बेटियाँ, मेरी दीदी व माँ हैं।
वैसे प्रश्न बहुत ही निजी है। सभी के लिए उत्तर देना कठिन होगा।
होली की शुभकामनाएँ। सुखी जीवन के लिए शुभकामनाएँ।
घुघूती बासूती

Ek ziddi dhun said...

बस तीन तो बेईमाना होगा....हां आलोक धन्वा की एक कविता याद आ गई जिसमें वे उन महिलओं के आभारी हैं जिन्होंने उन्हें चौराहा पार करना सिखाया। तलाशकर उसे ब्लाग पर लगाता हूं

varsha said...

behtar post badhai.

सुशील छौक्कर said...

कल के महिला दिवस पर की गई ये पोस्ट बहुत ही अच्छी लगी। सच एक अलग पोस्ट है। और हाँ आपके सवाल के जवाब में क्या लिखूँ थोड़ा सोचना पडेगा। और आफिस में सोचने का मौका नही मिलता। फिर भी एक नाम मैं बेझिक ले सकता हूँ क्योंकि उनसे मैंने बहुत कुछ सीखा। मसलन सादा रहन सहन,इंसान से प्यार करना आदि। वो हैं मेरे गुरु सी.डी सिंधू जी। आपकी पोस्ट पढकर सोचता हूँ कि मैं भी एक पोस्ट कर दूँ कि मुझे किस किस ने बिगाड़ा और मेरा जीवन सवांरा।

कंचन सिंह चौहान said...

प्रश्न का उत्तर सच में बहुत आसान भी था और बहुत मुश्किल भी। आसान इतना कि मन में हमेशा घुमड़ता रहे और मुश्किल इतना कि जुबाँ पर लाते ना बने। समझ सकती हूँ। दिया जा सकता था, इसका जवाब...... मेरी माँ, मेरी बीवी, मेरी बहन, मेरे पिता, मेरे भाई, मेरे गुरु......!

लेकिन इतनी बड़ी बात इतने हलके तरीके से कोई कैसे कह सकता है ??? बहुत सारा मंथन, बहुत सारा विश्लेषण, बहुत सारे भाव एक पोस्ट तो हो ही जायेगी।

बहुत ही अच्छा लगा इस पोस्ट को लिखने के बाद। कमेंट कितने आये इसका कभी भी बहुत ज्यादा महत्व नही होता, महत्व बस इसका होता है कि कितने दिलों पर असर हुआ। सभी का स्वागत..!!

मानोशी जी हौसला अफ़ज़ाई का शुक्रिया।

लावण्या जी, संगीता जी, मीनाक्षी जी, ताऊ जी, ज़िद्दी धुन जी :) और सुशील जी आप सब की पोस्ट आने और पढ़ने को बेताब हूँ मैं। यहाँ नहीं वहाँ सही, अपने अपने ब्लॉग पर...लेकिन ज़वाब दीजियेगा ज़रूर। मेरे साथ बहुत सारे लोग प्रतीक्षा में हैं।

रविकांत जी जवाब ना दे कर भी बहुत अच्छा जवाब दिया आपने...बहुत ही तार्किक, बहुत ही दार्शनिक, बहुत ही काव्यत्मक। सुब्हानअल्लाह।

किशोर जी ने जिस ने इतना पाठ पढ़ाया हो वो सच में बहुत बड़ा होगा। बेबाक व्यक्ति के बेबाक बयाँ....! मगर हुजू़र पुरुषों का नाम भी लेना था :)

कुश जी बात आपकी सही है। असलियत तो ये है कि पोस्ट लिखने के बाद मैं खुद घबड़ा रही थी। मेरे जीवन की नारियाँ तो सारी ही सहनशील हैं,कसी का नाम लो ना लो कोई फर्क नही। लेकिन सिर्फ तीन पुरुषों का नाम ले कर मैने अपने सर के बाल कम कराने का काम किया है :) हर व्यक्ति का अपना अपना और महत्वपूर्ण महत्व होता है....! किसी का प्रमुख और गौड़ भी नही।

घुघूती दी मुझे पता था कि आप को बहुत देर नही लगेगी इस बात के जवाब में। शुभकामनाओं हेतु धन्यवाद।

वर्षा जी बात को टाल गई आप...! :)

Vinay said...

रंगों के त्योहार होली पर आपको एवं आपके समस्त परिवार को हार्दिक शुभकामनाएँ

---
चाँद, बादल और शाम
गुलाबी कोंपलें

सागर नाहर said...

मैं भी बड़े संकोच में पड़ गया हूं, किन किन का नाम लूं?
मम्मी-पापा, बड़ी बहने, भाई, पत्नी, दोस्त ( जिन्हें देखा भी नहीं वे तक) बहुत लम्बी सुची हो सकती है।
वरीयता क्रम तो दे पाना असंभव है।

राकेश जैन said...

bahut hote hain,kam hote hain,
kai nam lete nahi bante,

kai ese ki har dum hote hain..

Teen mahila shakhsiyat-

1. Maa (Mrs. Sushma Kamal Jain)

2. Kanchan Di,

3. Meri Preyashi (jo ab kisi ki dharm patni hai atah nam nahi likhunga).

Purush sambal-

1. papa (Mr. Kamal kumar Jain)

2. 108 Jain Muni shri Kshama Sagar Ji Mahraj

3. My Previous Boss (Mr. Niranjan S. Mudliar)

Upar likhe nam mere jeevan me amulya hain, par inke alava aur bhi bahut se chehre (M/F) ese hain jinke jeevan me hone ka main abhari hun...niyati ke prati.

pallavi trivedi said...

इस पोस्ट के जरिये आपने अपने प्रिय लोगो को सम्मान दिया है...और ख़ुशी भी!अपने प्रिय लोगो के बारे में बताना एक कमेन्ट में संभव नहीं है....होली मुबारक!

Anonymous said...

सीधे जवाब देता हूँ

माँ - जिसके रूप में परम्परा की शिकार भारतीय महिला का साक्षात्कार हुआ

मेरी दोस्त और कामरेड रूपाली & जिसने लडना सिखाया

मेरी हमसफ़र किरण जिसने प्यार करना सिखाया

और बिटिया वेरा जिसने सपने देखना

Ashok Kumar pandey said...

अरे मेरा कमेन्ट अनानिमस कैसे लगगया

अशोक कुमार पाण्डेय

दिगम्बर नासवा said...

नारी दिवस पर सुन्दर पोस्ट, सुन्दर लेख
नारी का स्थान उच्च है और ऊंचा ही रहना चाहिए, इसमें दो राय नहीं हो सकती.

मेरे जीवन में भी मेरी माँ, पत्नी, बेटियाँ, और सभी नारियां जिनको जानता हूँ, उनका बहुत महत्त्व है
प्रणाम है नारी शक्ति को

आपको और सबको होली की शुभ कामनाएं

Mumukshh Ki Rachanain said...

नारी दिवस पर शायद इससे सुन्दर पोस्ट और कुछ हो ही नहीं सकती थी. भावः पूर्ण रचना के लिये हम आपके आभारी हैं.

होली के इस शुभ अवसर पर आपको हमारी हार्दिक शुभकामनाये.

Unknown said...

अभी सोच रहा हूं। कुछ छह नाम बताने हैं। मुझे तो वक्त चाहिए। सोचने के लिए।

गौतम राजऋषि said...

मैं तो देर से आया हूँ आदतन...
पहले तो आपका सवाल देख कर घबड़ा गया फिर तसल्ली से जब सारी टिप्पणियां पढ़ी तो चैन आया कि अकेला मैं ही नहीं घबड़ाया हुआ हूँ...
तीन तक सीमित रखना ज्यादती है। आपक्यों नहीं एक और पोस्ट लगाती हैं और इस सिलसिले को आगे बढ़ाते हैं.....
क्योंकि मेरी लिस्ट तो बड़ी लंबी है

daanish said...

महिला-दिवस के मौके पर एक बहुत ही achhe, विचारणीय, मननीय विषय से साक्षात्कार हुआ ,
आपका दृष्टिकोण साफ़ है, सटीक है , और....
बड़े ही मनोवैज्ञानिक ढंग से अंतर-मन के किसी प्रशन को आंदोलित किया गया है.....
करीब करीब सभी के मन की बात जुबां पर आते-आते संभल-सी गयी लगती है .....
और ये सच है ....
इतना भी आसान कहाँ होता है
ये सब कह पाना ..........
आप ka साहस , निष्ठां और इमानदार-नज़रिया प्रशंसनीय है ......
अभिवादन स्वीकारें . . . . .
रंगों के त्यौहार पर शुभ-कामनाएं
---मुफलिस---

सुनीता शानू said...

कंचन जी नारी दिवस पर एक खूबसूरत पोस्ट पढ़कर अच्छा लगा...
आपको व आपके पूरे परिवार को होली की शुभकामनाएं...

ताऊ रामपुरिया said...

होली पर्व की आपको परिवार सहित हार्दिक बधाई एवम शुभकामनाएं.

योगेन्द्र मौदगिल said...

होली पर इस संवेदी पोस्ट से बढ़िया और क्या हो सकता है भई...... मुझे अच्छा लगा लेकिन मैं उत्तर नहीं दे पाऊंगा और हां कंचन अपने ब्लाग पर एक पोस्ट मैंने आपको समर्पित की थी पर आपने उसे टिप्पणी योग्य भी नहीं समझा...?
बहरहाल होली मुबारक... देर से सही पर होली तो होली है..

neera said...

अपनों की छाया से बढ़कर दुनिया में कुछ नहीं, जो हम अपनों से सीखते हैं वही जीवन में काम आता है आपने कितने प्यारे ढंग से खा है यह सब!

Puja Upadhyay said...

teen teen me to main bhi nahin samet sakungi...aur na tippani ke itne chote se bakse me...han ek post jaroor likhungi ispar.
aapne bade acche se likha hai.