वो गीत जो चलता रहा मेरे मन में मेरे आँसुओं के साथ, वो गीत जो एक दिन यूँ ही पूरे दिन सुनने के बाद ऐसे ही डर गई थी कि कभी किसी के साथ ये सत्य हो जाये तो क्या होगा और पूरी रात क्या दो दिन नही सो पाई थी.... वो गीत जो सिसकियों के साथ जुबान पर आया जाता था उस दिन...! शायद सुना हो तुमने भी...!
ना ले के जाओ, मेरे दोस्त का जनाजा है,
अभी तो गर्म है मिट्ती ये जिस्म ताज़ा है,
उलझ गई है कहीं साँस खोल दो इसकी,
लबों पे आई है जो बात पूरी करने दो,
अभी उमीद भी जिंदा है, ग़म भी ताज़ा है
ना ले के जाओ, मेरे दोस्त का जनाजा है,
अभी तो गर्म है मिट्ती ये जिस्म ताज़ा है,
जगाओ इसको गले लग के अलविदा तो कहूँ,
ये कैसी रुखसती, ये क्या सलीका है,
अभी तो जीने का हर एक ज़ख्म ताजा है
ना ले के जाओ, मेरे दोस्त का जनाजा है,
अभी तो गर्म है मिट्ती ये जिस्म ताज़ा है,
32 comments:
bahut accha
जगाओ इसको गले लग के अलविदा तो कहूँ,
ये कैसी रुखसती, ये क्या सलीका है,
अभी तो जीने का हर एक ज़ख्म ताजा है
ना ले के जाओ, मेरे दोस्त का जनाजा है,
अभी तो गर्म है मिट्ती ये जिस्म ताज़ा है,
बेहद मार्मिक रचना है...
bahut hi dil ko chhuta hua geet hai ye.....poori tarah se maine ise mahsoos kiya hai.isliye aapko kuchh likhne se khud ko na rok paai ........waise main parul ki frnd hoon aur uske blog ke thrugh akser aapka blog bhi padhti hoon...
sabhar.......
कंचन क्या ये वही गीत है जो फिजा फ़िल्म में है ?तुम बहुत सेंटी बंदी हो यार....
दिल को छू लिया इस गीत ने और इसकी गायकी ने।
बहुत सुंदर ..सुनवाने का शुक्रिया
बेहद मार्मिक रचना है...
sakhi ho kar rulati ho??
भावुक कर देने वाला गीत !
सचमुच बहुत ही मार्मिक दिल हिला देने वाली पंक्तियाँ.
गीत बहुत अच्छा है.इस गीत के गायक का कुछ पता तो दीजिए.
Vimmi Ji baat kuchh aisi hi thi ki ye geet mahasus poori tarah se maine bhi kiya hai.aur jis ke liye kiya aaj us ki 7th death anniversary hai.
ji ha.n anurag ji sahi kah rahe hai ye vahi geet hai.senti bato pe senti hona hi padta hai kya karu.n?
Siddheshwar kuchh baat karne kaa man nahi ho raha tha, isiliye kuchh bhi nahi likha... asal me post ka uddeshya gana sunvana tha hai nahi bas baat ye thi ki mai use aise yaad karna chahati thi...!
aap sabhi logo se kshamam jinhe post adhuri lagi.
बहुत मार्मिक और संवेदनाओं से परिपूर्ण रचना, विस्तार से टिप्पणी फिर..
बहुत मार्मिक और संवेदनाओं से परिपूर्ण रचना, विस्तार से टिप्पणी फिर..
आपकी रचना, एवं टिप्पणी द्वारा उसकी पृष्ठभूमि देने, के लिये आभार !!
-- शास्त्री जे सी फिलिप
-- समय पर प्रोत्साहन मिले तो मिट्टी का घरोंदा भी आसमान छू सकता है. कृपया रोज कम से कम 10 हिन्दी चिट्ठों पर टिप्पणी कर उनको प्रोत्साहित करें!! (सारथी: http://www.Sarathi.info)
पढ़ लिया सुन लिया। हमारी संवेदनायें।
मार्मिक सिहरादेनेवाली पुकार है दिल को चिरकर उठती हुई :-(
ओह ! ये क्या सुना दिया कंचन ? ये तो गूंजता रहेगा दिमाग में बहुत देर तक .... It's too good. It haunts...
अच्छी लगी आपकी रचना. पिछला गीत भी सुन्दर था. पिछले गीत में (?) हैं. जिन्हे भाआड ंऎम फॊऒचःऒऒम्घाआ
arre wah.. pahli baar sunda.. lekin bahut acha laga.. ab Kanchan ji yeh bataye ki yeh song ab hume milega kaha se?
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I don’t want to love you… but I do....
ये कैसी रुखसती, ये क्या सलीका है,
अभी तो जीने का हर एक ज़ख्म ताजा है
Maarmik
संवेदनाऒं को झकझोरती प्रस्तुित
बहुत खूबसुरत रचना है। सुनवाने का शुक्रिया।
जगाओ इसको गले लग के अलविदा तो कहूँ,
ये कैसी रुखसती, ये क्या सलीका है,
अभी तो जीने का हर एक ज़ख्म ताजा है।
मार्मिक गीत है, उपरोक्त पंक्तियॉं सीधे दिल में उतर गयीं।
http://literatureindia.com/hindi/content/view/15/28/
आपका शुक्रिया...
दुर्भाग्य से मैने पहले यह गीत कभी नहीं सुना था। इतने अच्छे गीत से रूबरू कराने का बहुत-बहुत शुक्रिया।
wahhhhhh kya jazbaat ko lafzon ki chadar chadhayi gayi hai is geet main, sab kuch keh gaya aur sab baaqi hai
अरे वाह, आप भी लखनउ की हैं, यह जानकर खुशी हुई।
.....आज फ़ुरसत में एक पोस्टियाने के बाद आपकी तमाम प्रस्तुती को पढ़ा. दिल छुने वाली रचनायें.खास कर ये "अभी तो गर्म है मिट्ती ये जिस्म ताज़ा है" वाली....उफ़्!!!!
...और मेरे ब्लौग पे आके दुबारा तारिफ़ करने के लिये नवाजिश करम,शुक्रिया मेहरबानी.....
कंचनजी ! मेरे गीत पर टिप्पणी के लिए धन्यवाद !आज आपका प्रस्तुत गीत सुना जो अंतस को हिलाकर रख देता है !सच कहूँ तो मैं आपको ऐसे दर्दनाक गीत पोस्ट न करने के लिए लिखना चाहता था परन्तु लेबल "श्रद्धांजलि" और आपकी टिप्पणी पढ़कर सन्न रह गया हूँ कि क्या कहूँ और क्या न कहूँ ! वेदना भी जीवन का हिस्सा है परन्तु पर्याय नही !आपके सकारात्मक और आशापूर्ण गीतों की प्रतीक्षा है !
Aapko itne achhe compliments milen hain ki mera to kaheen kho jayega...Lekin padhke dil bhar aaya...aisahee ek prasang mujhpe guzraa tha...laga wahee jee rahi hun phirse...!
जगाओ इसको गले लग के अलविदा तो कहूँ,
ये कैसी रुखसती, ये क्या सलीका है,
अभी तो जीने का हर एक ज़ख्म ताजा है
उम्दा प्रस्तुति :
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