उसके जन्मदिन पर जो पता नही कहाँ है, लेकिन जहाँ भी है मेरी बहुत सारी दुआएं आज भी उसी तरह वहाँ पहुँचती होंगी जैसे तब, जब टीका लगा के मैं सामने आशीर्वाद देती थी....! उसकी बहुत सारी भूलों को क्षमा करने की प्रार्थना तब भी करती थी और अब भी..जब ६ साल हो गए उसने शकल नही दिखाई..!
तुम जहाँ भी हो वहाँ पहुँचे मेरी शुभकामना..!
काश ईश्वर मान लें अबकी मेरी ये प्रार्थना...!
जन्म जन्मों तक तुम्हें विधि दे हृदय की शांति
अब ग्रसित ना करने पाये तुमको कोई भ्रांति!
पूर्व सा भावुक हृदय हो, प्रेम स्वजनो के लिये,
खुद पे हो विश्वास अद्भुत, साहसी मन में लिये।
किंतु अबकी मानना मानव धरम का मर्म तुम,
धैर्य धारण करके प्यारे, करना अपना कर्म तुम
तेरी भूलों को भुला दे वो पतित पावन प्रभू,
दीनबंधु ये है मेरी दीन सी इक आरजू।
वो जहाँ भी है, अकेला है उसे तुम देखना,
बद्दुआओं से बचा लेना, ये है मेरी दुआ।
माँ के आँखों की नमी तुमसे सही जाती नही,
कैसे सहते हो मेरे आँखों की ये बहती नदी
आसुओं के अर्घ्य मेरे, दिल की मेरी प्रार्थना,
शेष अब कुछ भी नही है, शेष है ये चाहना,
तुम जहाँ भी हो वहाँ पहुँचे मेरी शुभकामना..!
काश ईश्वर मान लें अबकी मेरी ये प्रार्थना....!
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12 comments:
कंचन जी
आँख की कोरों को भिगो देने वाली बहुत मार्मिक कविता. इश्वर आप की प्रार्थना जरूर सुने.
नीरज
bahut mun se kahi hai tumney..us tak pahuchegi zaruur...
God bless you kanchan....
अभी कुछ कह नही पा रहा हूँ इसे पढ़कर......
इतने मन से कही शुभकामनाऐं निश्चित ही पहुँच रही होंगी.
आँखें नम हो आई.....
बहुत ही मार्मिक लिखा है यह दुआ तो जरुर जायेगी .
मार्मिक ....आँखें नम हो आई.....
asha hai aapki prarthana ikshit jagah pahucheingi ...
sun lia tera kaha, main moun phir bhi hun.
teri dua ka hai karam,main theek se to hun..
bhagwan aapki prarthna zarur sunega...man ko kaheen gahre tak chhoo gayi ye kavita.
दिल से लिखे गए भाव दिल को छू जाते हैं और मन की कामना भी पूरी होती है...
God bless him.
कंचन दी! दिल से निकली प्रार्थना ईश्वर तक जरूर, जरूर पहुँचती है! निश्चित रूप से पहुँचती है। संदीप को आदरांजलि।
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