
पिछले १० वर्षों से साथ रहने के बावज़ूद.... वो ये नही समझा कि ये परिवर्तन जो उसे सुखद लग रहे हैं, वो किसी की जीवंतता की समाप्ति का लक्षण है। उसे नही पता चल रहा कि उसके साथी ने इतना नाटकीय जीवन कभी नही जिया....!
कितना अजीब है ? कि वो समझ भी नही पा रहा कि ऐसा होना तितलियों के रंगीन परों को, जबर्दस्ती सफेद रंग में रंग देने जैसा है। चिड़ियों की चहचहाहट को आँख बंद कर उनींदा बना देने जैसा। चमेली की तेज खुशबू में, कमल की भीनी महक ढूँढ़ने जैसा.....!!
उसने ये तो देखा कि पिछले १ माह से वो उस पर झल्लाई नही, मगर उसने ये नही देखा कि पिछले एक माह से वो चलते फिरते उसके गालों को भी हिला के नही गई। उसने नही देखा कि अचानक आकर टी०वी० बंद करते हुए, वो साड़ी का पल्ला फैला के खड़ी भी नही हुई ये कहती हुई कि " इस साड़ी का आँचल एकदम डिफरेंट है ना ? " उसने नही देखा कि देर रात उसने अपनी फेवरिट आइसक्रीम खाने की ज़िद भी नही की पिछले एक महीने से। उसने नही देखा कि बिंदी अब हफ्तों तक नही बदली जाती माथे पर, लिप्स्टिक आजकल लगाई ही नही जाती और काजल को छुआ भी नही गया पिछले एक माह से। आफिस से आने के बाद पानी का गिलास दे कर उदास आँखों वाली मुस्कान ने पिछले एक महीने से देर से आने का कारण भी नही पूछा और न ही नाराज़ हो कर घर सिर पर उठाया। ध्यान ही नही दिया उसने कि काँधे पर आये हाथ के दो सेकंड बाद ही उसे कोई काम याद आ जाता है और वो उठ के चल देती है, बहुत देर तक वापस ना आने के लिये। न्यूज़ पेपर छीन कर फेंका नही गया, ज्यादा आयली खाने पर आँखें नही तरेरी गईं। प्राणायाम में बंद हुई आँखों को कोई चूम के नही गया.....
और उधर शांत बैठी वो सोच रही थी कि अब करना भी क्या है ? चिल्लाना, रूठना, चीजों को इन्वेस्टीगेट करना ... वो सब तो तब तक था, जब पता था कि तुम मेरे हो। अब.... जब तुम मेरे हो ही नही, अब जब मैने जान ही लिया कि तुम बँट चुके हो, तो तुम पर अधिकार क्या जताना। ये शांति नही, बेबसी थी। किसी अपने की मृत्यु की सूचना के बाद हाहाकार मचाते हुए बिलख बिलख रो लेने के बाद, हिचकियों को भी घोट देने जैसा। अपने ही कटे पैरों को देख कर, चिल्लाते हुए बार बार नज़र हटा लेने के बाद एक टक घूरते रहने जैसा। हड्डियों तक धँसे हुए दर्द का चीख चीख के प्रदर्शन करने के बाद होंठों पर दाँत रख के भींच लेने जैसा। बलात्कार में घोर विरोध से हाथ पैर चला कर नुचे हुए अंग प्रत्यंगो को देख, शिथिल पड़ जाने जैसा............!!!!
कि मैने इतना नाटकीय जीवन कभी नही जिया था.....!!!