Monday, February 7, 2011

आई लव यू सो एण्ड आई वांट यू टु नो,दैट यू विल आलवेज़ बी राइट हीयर



You're my Honeybunch, Sugarplum
Pumpy-umpy-umpkin, You're my Sweetie Pie
You're my Cuppycake, Gumdrop
Snoogums-Boogums, You're the Apple of my Eye
And I love you so and I want you to know
That I'll always be right here
And I love to sing sweet songs to you
Because you are so dear

(Lyrics and Music by Judianna Castle)



ये सब आज भी उसी उम्र में ले कर चला जाता है....। छोटा सा....! दाढ़ी वाले गाल को हटाता और मन में सोचता ..... एक बार एक और पप्पी मिल जाये...!!

म्म्म्म्म्आऽऽऽ... क्या खाया है ? बड़ी मीठी मीठी है।

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और फिर सबसे नज़र बचा कर बाउंड्री के अंधेरे में थोड़ी सी रोशनी ढूँढ़ कर लिखता हुआ किशोर मन..... छंद, मात्रा, बहर, रदीफ से बेखबर.... दर्द को मुड़े तुड़े पन्नों पर निकालता हुआ........!!

ढूढ़ूँ कभी आकाश में तारों के बीच में,
ढूढ़ूँ कभी मैं रात में सपनो के बीच में,
मुझको गले लगा लो, पास अपने बुला लो,
मैं रह गई अकेली हूँ, इतनों के बीच में,

तुम्हारी लाड़ली ढूँढ़े तुम्हे अपनो के बीच में.....!
नोट : शीर्षक में I'll को U'll लिखने की क्षमा के साथ

13 comments:

डॉ .अनुराग said...

मीनाक्षी की रिंग टोन है ...शायद यही एक तरीका है शायद स्टोर करने का

कुश said...

बिना छंद, मात्रा, बहर, रदीफो का लिखा दिल के ज्यादा करीब होता है.. क्योंकि वो बहुत मासूम होता है.. कुछ गाने कुछ किससे हमारे दिल के बेहद करीब होते है.. अक्सर हमें कोई लम्हा याद दिला जाते है.. और बिना बात के ही रुला जाते है..

रचना said...

oh

रंजना said...

.........

पारुल "पुखराज" said...

खुश हो कर याद रखो उन्हे

सागर said...

छुटकी तुम्हारी हंसी कहाँ कहाँ झरी ? यहाँ यहाँ झरे हैं.

"आज का दिन कितना अच्छा है,
तुम्हारी याद का फूल खिला है. "

ZEAL said...

lovely lines !

विशाल said...

क्या बोलूँ?क्या लिखूं?
बचपन की यादों में खो गया हूँ.
आपका आभार.

Abhishek Ojha said...

नो कमेन्ट !

Udan Tashtari said...

क्या कहें...


हमारी भी श्रद्धांजली!

"अर्श" said...

तो पूरे दिन रोये...?

गौतम राजऋषि said...

"i love you so...please dont go...please dont go" शीर्षक पढ़कर इस प्यारे से गीत की याद आयी थी।

मेरे ख्याल से "पिता" शब्द की सार्थकता जितना बेटियाँ पूरी करती हैं, बेटे नहीं...

Ankit said...

आप के, लिखे पर, कुछ भी कहने के लिए लफ्ज़ ढूँढने पड़ते है, और जो लफ्ज़ जेहन में आते भी हैं तो वो अपने साथ एक नमी लिए होते हैं. एक ज़रा सी बात भी, ख़ुद में बहुत कुछ समेटे होती है और उसपे कुछ भी कहना या टिप्पणी करना बहुत छोटा लगता है.
आप खुश रहें यही कामना करता हूँ.