नित्य समय की आग में जलना, नित्य सिद्ध सच्चा होना है। माँ ने दिया नाम जब कंचन, मुझको और खरा होना है...!
Thursday, July 10, 2008
मत करें ऐसा
घर और आफिस की दौड़भाग में लाख चाहेने के बावजूद कोई भी पोस्ट दे पाना संभव नही हो पा रहा था.....! आज के फास्टफूड कल्चर में समस्याएं भी रोज इंस्टैंट आती हैं, शाम तक का समय हल ढूढ़ने में निकल जाता है सुबह दूसरी समस्या...! लिखूँ तो क्या लिखूँ...! कविता की संवेदनशीलताओं तक मन पहुँच ही नही पाता।
दो दिन से कंप्यूटर मे नेट कनेख्शन खराब पड़ा था। किसी तरह दूसरे किसी के कंप्यूटर पर मेल चेक कर रही थी ऐसे में परसों शाम को जब एक लेटर का प्रिंटआउट निकालने पहुँची तो देखा इंटरनेट कनेक्शन काम करने लगा है। आदतानुसार अपने मूल एकाउंट याहू पर लाग इन किया तो पाया कि मेरे ब्लॉग पर पोस्ट आई है। मामला समझने के लिये अपने ब्लॉग की लिंक क्लिक की तो दिमाग से सन्नन्न्न की आवाज़ आने लगी, थोड़ी देर को किंकर्तव्यविमूढ़ सी जहाँ की तहाँ बैठ गई। मेरे ब्लॉग पर अंग्रेजी में एक फालतू बातों से भर हुई पोस्ट पड़ी हुई थी। अब तक कितने लोग क्लिक कर चुके होंगे...? कितनो की निगाह पड़ी होगी..?
कुछ सूझ ही नही रहा था कि क्या करूँ क्या करूँ...सबके संज्ञान में लानी चाहिये ये बात या बस खतम करूँ यहीं पर..कुछ नही समझ मे आ रहा था। जैसा कि हमेशा होता है कि ब्लॉग से संबंधित कोई भी परेशानी होने पर मैं तुरंत मनीष जी को फोन करती हूँ, वही किया। हैलो के साथ मैने उनसे पूँछा
"मेरा ब्लॉग देखा है आज"
" नही, सुबह से काम में लगा हूँ, समय ही नही मिला" उन्होने सोचा कि शायद मैं अपनी कोई नई पोस्ट पढ़ने को कह रही हूँ।
" मेरे ब्लॉग पर किसी ने पोस्ट डाल रखी है।"
"क्या.????"
"हाँ..और मुझे बहुत रोना आ रहा है।" कह कर मैं रोने लगी।
" let me see, I'll call you latter" कह कर उन्होने फोन काट दिया।
अभी मैं किंकर्तव्यविमूढ़ सी बैठी ही थी कि मीत जी का नंबर मोबाइल पर डिस्प्ले होने लगा। मैने फोन उठाया
"हैलो"
"कंचन..! ये क्या है..?"
"मैने नही पोस्ट किया है" मैने रुआँसे स्वर मे कहा
"obviously you have not written it, but delete it immediately first"
"O.K." कह कर मैने फोन काट दिया।
पोस्ट तो डिलीट हो गई, कुछ देर तक लोग ब्लोगवाणी के जरिये आते रहे। लेकिन मैं उतनी ही देर में कितने तनाव से गुजरी ये मैं ही जानती हूँ।
क्यों करते हैं ऐसा प्रकृति ने, आज की लाइफ स्टाइल ने पहले ही बहुत सारे तनावों की व्यवस्था कर दी है,फिर अलग से आप लोग क्यों एफर्ट्स करते है। इस बात का प्रत्यक्ष उदाहरण दे दूँ कि कल से ये पोस्ट पब्लिश करने की सोच रही हूँ और अब जा के कर पा रही हूँ।
फिलहाल मैं तकनीकी लोगों से पूँछना चाहूँगी कि ऐसी सावधानियाँ बताएं जिनसे इस तरह की समस्याओं से मेरे साथ अन्य लोग बच सकें
चलते चलते दो कविताओं के अंश, जो कि कल मुझसे मिलने आये सज्जन ने मुझे सुनाई..(पूरी उन्हे भी नही पता थी)
जीवन संगति का नाम नही,
यह सूत्र असंगति का पहला।
हम सींच थके मधु से वलरी,
फल हाथ लगा केवल जहरी,
जो द्वार लगी सुख की देहरी
वह पीर जगा लाई गहरी
अपवाद न सीता शकुंतला
(कविः महिपाल, फूल आपके लिये से)
अफसोस नही इसका हमको,
जीवन में हम कुछ कर न सके।
झोलियाँ किसी की भर न सके,
संताप किसी का हर ना सके
अपने प्रति सच्चा रहने का,
जीवन भर हमने यत्न किया,
देखा देखी हम जी न सके,
देखा देखी हम मर न सके
(कविः गोपाल सिंह नेपाली)
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19 comments:
वही मै सोच रहा था की कंचन ने क्या पोस्ट किया है जो मेरा ब्लॉग दिखा रहा है....होता है इस भागदौड़ भरी जिंदगी में ....पर कुछ न कुछ डालते रहिये ,हमें अच्छा लगता है...शुक्र मानिये उसने कुछ उल्टा सीधा पोस्ट नही किया ...उन सज्जन से कहियेगा कविताएं अच्छी है......
आप शायद समझे नही अनुराग जी, उसने उल्टा सीधा ही पोस्ट किया था...! वर्ना मीत जी जैसे लोग सकते में क्यों आ गये होते.... ! आपने शायद मेरी पोस्ट ध्यान से नही पढ़ी..! मैने लिखा है न...!
मेरे ब्लॉग पर अंग्रेजी में एक फालतू बातों से भर हुई पोस्ट पड़ी हुई थी। अब तक कितने लोग क्लिक कर चुके होंगे...? कितनो की निगाह पड़ी होगी..?
उसने तो जो किया सो किया ..लेकिन आप ऐसा क्यों कर रहे हैं कि मेरी पोस्ट ध्यान से नही पढ़ रहे :)
कंचन जी, आपकी ये पोस्ट वायरस के द्वारा की गयी है. आपने किसी एसे कम्यूटर से लागिन किया जहां वायरस सक्रिय था और उस वायरस ने ई-मेल को आपके ब्लाग पर भेज डाला.
सिर्फ आप ही अकेली इसकी शिकार नहीं है, आज हिन्दी के तीन और ब्लाग इसके शिकार हुये हैं.
समझ सकती हूँ कि आप कितनी परेशान हुई होंगी। कुछ लोगों को न जाने ऐसे ऊंटपटांग काम करने में क्या मजा आता है। न जाने कितना खाली उनका अपना जीवन होता होगा जो यह सब करते होंगे। आप भाग्यवान हैं कि आपके इतने अच्छे मित्र हैं कि आप झट से उनसे अपना कष्ट कह पाईं। आशा है हल भी निकल जाएगा और हम सब भी चौंकन्ने हो जाएँगे।
घुघूती बासूती
कंचन जी
आप की पोस्ट पढ़ कर डर लग रहा है....ना जाने अगली बार किस के ब्लॉग का नंबर आजाये... वायरस का क्या है कहीं से भी टपक जाता है....इस से निपटने का कोई स्थाई विकल्प तो होगा अगर कोई जानकार है तो जरूर बताये
नीरज
kancanji, mene aapki pahale vali post nahi padi. par is vali post ko padhkar samjh aaya ki aap bhut pareshan ho rhi hai. pareshan na ho. khuch logo ko galat kam karne me shayad maja aata hai. lekin jo galat karta hai uske sath bhi galat hi hota hai. ek bar mere lekh par bhi kisi ne aese hi tipani karke mujhe paresan kiya tha. par aap pareshan na ho. sab thik ho jayega.
आज सुबह चोखेरबाली के साथ भी ऐसा ही हुआ था। वहॉं एक नहीं कम से कम 10-15 अनर्गल पोस्टें अंग्रेजी में थीं...
जहॉं तक मैं समझ पाया हूँ इसका संबंध किसी अन्य से नहीं आपके कंप्यूटर में ही बसे किसी माल्वेयर से है। जो आपकी जानकारी के बिना ही लॉगइन करके पोस्ट कर रहा है।- स्पैमिंग में ऐसा लोग करते हैं। आप सोचते हैं कि कोई आपको स्पैम मेल कर रहा है जबकि दरअसल आपकार खुद का कंप्यूटर आपको स्पैम भेज रहा होता है।
कंप्यूटर को स्कैन करें- अगर पोस्ट अंगेजी में थी तो भला ब्लॉगवाधी पर क्यों आनी चाहिए.. नहीं आई होगी।
और हॉं हर बार काम खत्म होन पर साइन आऊट तो किया ही करें।
और हॉं ये रोना क्यों था...क्या हासिल करने के लिए ?
मान लीजिए किसी ने आपका ब्लॉग हैक कर ही लिया तो क्या आप ऑंसुओं के रास्ते जीना शुरू करेंगी ? वाह।।
आभासी जगत में इस तरह की चीजें होती हैं..होती ही रहती हैं... चिंता छोडों सुख से जीओ
kanchan
naari blog par lovely kae naam sae 30 blog post thee english mae .
sabko delete kiya , lovely kaa acount bhii delete karna padaa . internet kee era mae yae sab hotaa hee haen . hamesha dyaan rakehy ki jo aap ko samjhtey haen woh aap ko galat nahin samjhegaey aur jo samjhtey hee nahin haen aap unkii chinta hee kyon kartee haen . aansu kamjori kii nishani haen aap toh is blog jagat ki sabsey bahadur mahila haen jiskii jevisha kae aagey sab natmastak haen phir aansu kyon
jindgee haen sahuliyaetey haen , aur logo kae paas fijul time haen so hotaa haen .
कंचन जी, आपको रोने की जरूरत नहीं है. पोस्ट देखकर ही लग गया कि कुछ गड़बड़ हुई है. किसी ने आपका ब्लॉग हैक कर लिया है. लेकिन उसके बाद जो बात मन में आई वह ये थी कि इसके कारण आपकी मानसिक स्थिति क्या हुई होगी. लेकिन हम सभी आपको जानते हैं. इसलिए हमलोग क्या सोचेंगे इसकी फ़िक्र में रोने की जरूरत नहीं है. इन्टरनेट पर ऐसा होता है.
कंचन जी, जो लोग आपको जानते हैं वे आपके बारे में ऐसा कुछ नहीं समझेंगे। देखिए तकनीकी समस्याएं तो आती ही रहती हैं और हैकिंग वगैरहा भी हो सकती है लेकिन रोना किसी समस्या का हल नहीं है।
मेरे साथ भी हुआ मेरे चैटबाक्स में किसी ने मेरे बास के नाम से भद्दी मैसेज छोड़े हुए थे और तब मैंने भी तीन दिन बाद अपना ब्लाग देखा था बहुत खराब लगा और सबसे ज्यादा चिंता इसी बात की थी कि लोग मेरे बारे में क्या सोचेंगे, पर जो आपको जानते हैं वो आपके बारे में कुछ गलत सोच ही नहीं सकते,जो आपको नहीं पहचानते वो क्या सोचते हैं इससे कोई फर्क पड़ना ही नहीं चाहिए।
सब के सुझाव ध्यान में रखिए ,मस्त रहिए.....
मैंने फोन पर जब आपकी बात सुनी तो पहला ख्याल आया पोस्ट डिलीट होनी चाहिए और जल्द से जल्द आपका पासवर्ड बदलना होगा। इसीलिए आपके दुखड़े को पूरा ना सुनकर फोन काट दिया। जब दस मिनट में सारा काम हो गया तब लगा कि आपका चिट्ठा अब सुरक्षित है। मैंने लोगों को पासवर्ड हैक कर पूरा ब्लॉग डिलीट करते देखा है। और मुझे सबसे ज्यादा चिंता उसी की हो रही थी। post का कानटेन्ट देख के ही माज़रा समझ में आ गया।
जैसा कि लोगों ने सही बताया कि आप auto spamming की शिकार हुईं जिसका उल्लेख सबने किया है।
गूगल रीडर में हमने देखा लेकिन जानते थे कि यह कोई वायरस ही है...आपकी तो दो मेल दिखीं लेकिन नारी और चोखोरबाली की तो 30-40 तक दिखाई दीं.. ..ऐसी स्थिति मे बिना खोले जल्दी ही डिलीट कर देना चाहिए...
dont worry ....ye sab ho jata hai.bas dar ye hai ki kahi koi poora blog hi delete na kar de. isliye apni rachnaayen kahi aur bhi hamesha save karke rakhen.
मैं तो अपने एक ब्लाग के हक़-ओ-हूक़ूक गँवा चुका हूँ,
सावधानी रखने कि आवश्यकता है...
निराश न हुआ करो, कम से कम..तुम तो !
वैसे यहीं पर पहली टिप्पणी पर निग़ाह डालो, कार लोन कलकुलेटर साहब कुछ और ही फ़रमा रहे हैं !
कोई रो रहा है..और यह ब्लाग की पसंदगी की सनद पेश कर रहे हैं ।
स्पष्टतः यह रोबोट जेनेरेटेड संदेश ही है !
कार लोन वाले भईया जी..! सबसे पहले तो आप ही को धन्यवाद दे दूँ, क्योंकि आप ही जेसे किसी शुभचिंतक की कृपा से यह पोस्ट अस्तित्व में आई है
अनुराग जी इस रोने धोने में कविता के अस्तित्व को सिर्फ आपने याद रखा, इसके साथ शायद मैने ही नाइंसाफी कर दी, फिर भी आप ने ध्यान रखा इसका शुक्रिया।
अज्ञात जी...! आप की सलाह का धन्यवाद
बसूती दी ...! एक बात जो मेरे जीवन के हर संघर्ष पर भारी पड़ती है, वो ये है कि मुझे जिंदगी में लोग हमेशा अच्छे मिले, वो चाहे परिवार हो या मित्र ...और आप भी तो उन्ही में से एक हैं।
नीरज जी इतने सारे लोगों ने सलाह दी, उम्मीद है आप भी सचेत हो गए होंगे।
रश्मि जी सांत्वना का धन्यवाद..!
मसिजीवी जी :)))))
रचना दी लवली जी के बारे में सुन के खुद से अधिक कष्ट हुआ...और आपका स्नेह पा के खुशी..!
शिव जी, नीलिमा जी, आभा जी, मनीष जी, मीनाक्षी दी, पल्लवी जी और अमर जी आप सब के साथ और विश्वास का शुक्रिया....!!!
Di, apko yad hoga kuchh din pahle ap mujhse boli thi ki tumhare orkut profile me kya link hai blog ki, lagbhag esa hi apke sath hua, ye virouses hain jo humare karya badhit karte hain, aap apne system me internet options me ja kar all cookies delete karen, aur jo temp. files system load kar raha hai unko bhi samay-dar delete karte raha karen, aur rona to koi hal nahi hai....
tum sada muskaraya karo,
prikriti ko hara rahne me,
malay ko sheetal bahne me,
yahi to zururri hai,
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