tag:blogger.com,1999:blog-3468658467196737408.post2365058422439518666..comments2024-02-22T15:46:48.368+05:30Comments on हृदय गवाक्ष: "मुझे मदद चाहिये तुम्हारी"कंचन सिंह चौहानhttp://www.blogger.com/profile/12391291933380719702noreply@blogger.comBlogger47125tag:blogger.com,1999:blog-3468658467196737408.post-35856958525708164072010-12-31T12:26:40.396+05:302010-12-31T12:26:40.396+05:30someone in my family wants me to make a video for ...someone in my family wants me to make a video for them. Its on a sony mini disc. The person lives in canada with the sony Handycam and i cant use that to hook up to computer and get video off that way. so i have about 8 disc i need to get video off of and use on adobe premiere and make the movie. any suggestions on what program i should use? any help would be apprecciated. thanks <br /> [url=http://www.topvideoconverter.com/zune-video-converter/]video to zune converter[/url]Anonymousnoreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-3468658467196737408.post-50042494642752492392010-10-25T04:57:53.682+05:302010-10-25T04:57:53.682+05:30I join. It was and with me. Let's discuss this...I join. It was and with me. Let's discuss this question. Here or in PM.Anonymousnoreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-3468658467196737408.post-79931277096794227802010-10-16T22:13:35.914+05:302010-10-16T22:13:35.914+05:30anonymous se discuss karne ka tareeka ?????anonymous se discuss karne ka tareeka ?????कंचन सिंह चौहानhttps://www.blogger.com/profile/12391291933380719702noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-3468658467196737408.post-75284582588558496172010-10-16T08:03:26.442+05:302010-10-16T08:03:26.442+05:30I apologise, but, in my opinion, you commit an err...I apologise, but, in my opinion, you commit an error. Let's discuss. Write to me in PM, we will talk.Anonymousnoreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-3468658467196737408.post-59496312156894279482009-06-12T12:56:28.433+05:302009-06-12T12:56:28.433+05:30aapki ye post padhne ka aaj hi mauka mila............aapki ye post padhne ka aaj hi mauka mila.........hriday ki ananttam gahraiyon ki thah kab koi pa saka hai, sirf yahi kahna chaungi.lajawaab.vandana guptahttps://www.blogger.com/profile/00019337362157598975noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-3468658467196737408.post-35384431393841365052009-03-23T07:40:00.000+05:302009-03-23T07:40:00.000+05:30खूबसूरत रचना। वाह। कहते हैं कि-नजरें बदलीं तो नजार...खूबसूरत रचना। वाह। कहते हैं कि-<BR/><BR/>नजरें बदलीं तो नजारे बदल गए।<BR/>कश्ती ने रूख मोड़ा तो किनारे बदल गए।। <BR/><BR/><BR/>सादर <BR/>श्यामल सुमन <BR/>09955373288 <BR/>मुश्किलों से भागने की अपनी फितरत है नहीं। <BR/>कोशिशें गर दिल से हो तो जल उठेगी खुद शमां।। <BR/>www.manoramsuman.blogspot.com<BR/>shyamalsuman@gmail.comश्यामल सुमनhttps://www.blogger.com/profile/15174931983584019082noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-3468658467196737408.post-26521771528032246542009-03-21T15:19:00.000+05:302009-03-21T15:19:00.000+05:30लहर उससे अपनी भावना के वेग में टकराई,और उसी वेग से...लहर उससे अपनी भावना के वेग में टकराई,<BR/>और उसी वेग से क्रिया प्रतिक्रिया के नियम से<BR/>पीछे लौट आई peechey chor kar dher saaraa khaaraapan..पारुल "पुखराज"https://www.blogger.com/profile/05288809810207602336noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-3468658467196737408.post-7817747177190354982009-03-19T22:19:00.000+05:302009-03-19T22:19:00.000+05:30Bahut achchi lagi aapki kavita.Bahut achchi lagi aapki kavita.sandhyaguptahttps://www.blogger.com/profile/07094357890013539591noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-3468658467196737408.post-49779398675447537692009-03-19T22:14:00.000+05:302009-03-19T22:14:00.000+05:30Gehara arth liye hue aapki yah kavita bahut achchi...Gehara arth liye hue aapki yah kavita bahut achchi lagi.Badhai.Anonymousnoreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-3468658467196737408.post-76510480462077541712009-03-19T20:37:00.000+05:302009-03-19T20:37:00.000+05:30बहुत प्यारी कविता रची है आपने कंचन जी और आपके स्न...बहुत प्यारी कविता रची है आपने कंचन जी <BR/>और आपके स्नेह और दुआ के लिए बहुत बहुत शुक्रिया <BR/><BR/>--<BR/>गुरुप्रीत सिंहgspablahttps://www.blogger.com/profile/01040693772839179738noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-3468658467196737408.post-86680973458983009762009-03-19T18:59:00.000+05:302009-03-19T18:59:00.000+05:30किनारे ने स्वागत के स्वर में पूछा ..किस चीज़ में द...किनारे ने स्वागत के स्वर में पूछा ..<BR/>किस चीज़ में <BR/>दूसरा किनारा पाने में.......!<BR/><BR/>वाह ! वाह !!<BR/><BR/>मन के अन्तरंग भाव की कोमल-सी दस्तक ....<BR/>प्रकृति के शाश्वत नियम का <BR/>एहसास और एहतराम ....<BR/><BR/>एक-एक शब्द <BR/>काव्य की सम्पूर्णता और गरिमा को <BR/>व्यक्त करता हुआ <BR/><BR/>ह्रदय की कोमल अनुभूतियों से अनुपम साक्षात्कार करवा पाने की सफल कोशिश ...<BR/><BR/>बहुत-बहुत बधाई . . . . .<BR/><BR/>---मुफलिस---daanishhttps://www.blogger.com/profile/15771816049026571278noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-3468658467196737408.post-54207248123779496092009-03-19T09:25:00.000+05:302009-03-19T09:25:00.000+05:30लहर के आने से आये भीगेपन में कुछ खारापन मिल गया था...लहर के आने से आये भीगेपन में <BR/>कुछ खारापन मिल गया था, <BR/><BR/>वाह कंचन जी वाह!<BR/>आज तक तो लोग मीठेपन की बातें किया करते थे किसी के आने पर बदलते समय के साथ लगता है यह तो हाथी का दिखावटी दांत हो गया है और जो हकीकत बन चुकी है वह आपने उपर्युक्त दो पंक्तियों में बहुत खूबसूरती से बयां कर दिया है.................<BR/><BR/>बधाई! बधाई!........................<BR/><BR/>चन्द्र मोहन गुप्तMumukshh Ki Rachanainhttps://www.blogger.com/profile/11100744427595711291noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-3468658467196737408.post-91278856890926156972009-03-19T08:39:00.000+05:302009-03-19T08:39:00.000+05:30बहुत ही सुन्दर रचना. लगता है लहर कि यही नियति होती...बहुत ही सुन्दर रचना. लगता है लहर कि यही नियति होती है. आभार.Anonymousnoreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-3468658467196737408.post-40907797001102550452009-03-19T08:01:00.000+05:302009-03-19T08:01:00.000+05:30अब इस पर क्या कहूँ?? लहर...पत्थर..किनारा सब तो अप...अब इस पर क्या कहूँ?? लहर...पत्थर..किनारा सब तो अपने भीतर ही पाता हूँ...क्रिया भी और प्रतिक्रिया भी...इस सुंदर प्रस्तुति के लिये आभार।रविकांत पाण्डेयhttps://www.blogger.com/profile/14687072907399296450noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-3468658467196737408.post-92041292667632116452009-03-18T17:13:00.000+05:302009-03-18T17:13:00.000+05:30बेहतरीन . दिल छूने वाली रचना.और उसपर लगाया गया चित...बेहतरीन . दिल छूने वाली रचना.<BR/><BR/>और उसपर लगाया गया चित्र .<BR/><BR/>समझ नहीँ पा रहा कि चित्र बाद मेँ लगा या कविता.<BR/>या दोनोँ साथ- साथ ?अनुपम अग्रवालhttps://www.blogger.com/profile/14259746714891353242noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-3468658467196737408.post-84160051904943033922009-03-17T19:29:00.000+05:302009-03-17T19:29:00.000+05:30आपने बहुत सुन्दर कविता लिखी है, मैं तो स्वयं के लि...आपने बहुत सुन्दर कविता लिखी है, मैं तो स्वयं के लिए कुछ शब्द जोड़ लेती हूं और उनकी भी आपने तारीफ़ की तो बहुत अच्छा लगा.Neha Devhttps://www.blogger.com/profile/16949522092615457973noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-3468658467196737408.post-7708325407622390892009-03-17T18:26:00.000+05:302009-03-17T18:26:00.000+05:30कंचन jiसुंदर अभिव्यक्ति है शब्दों की इस रचना मैं, ...कंचन ji<BR/>सुंदर अभिव्यक्ति है शब्दों की इस रचना मैं, इसके बारे में इतनी सुंदर सुंदर प्रतिकिर्या पढ़ने को मिली है की और कुछ कहना जैसे सूरज को दीपक दिखाने वाली बात हैदिगम्बर नासवाhttps://www.blogger.com/profile/11793607017463281505noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-3468658467196737408.post-3520778624109780272009-03-17T15:35:00.000+05:302009-03-17T15:35:00.000+05:30घुघूती जी, संगीता जी, विनय जी, महक जी, नीशू जी, रच...<B>घुघूती जी, संगीता जी, विनय जी, महक जी, नीशू जी, रचना जी, नीरज जी, रवींन्द्र जी, महेंद्र जी, रंजना जी, रंजू जी, लावण्या दी, अनिल जी, हरकीरत जी, ताऊ जी, सिद्धेश्वर जी, सुशील जी, कुश जी, अल्पना जी, आलोक जी, अल्पना जी पूजा जी</B> आप सभी का धन्यवाद<BR/><BR/><B>किशोर जी...</B>आपने जिस तरह समीक्षा की, वाकई इतना मान देने लायक भी नही थी मेरी कविता, परंतु फिर भी आप ने दिया इस हेतु धन्यवाद..!<BR/><BR/><B>मोहिन्दर जी </B> दुआ कीजिये कि मेरी लहर जहाँ भी जाये उसे वही स्वागत, वही भीगी संवेदना मिले जो पहली लहर के पास मिली...! मैं अपनी लहर को पथराए किनारों के पास जाने की कल्पना से ही सिहर जाती हूँ...! वो जहाँ रहे, अपनी चंचलता बरकरार रखे। :)<BR/><BR/><B> मनीष जी</B>असल में हूँ तो मैं मूलरूप से कवयित्री ही, लेकिन सोचती हूँ लोग बोर ना हो जायें, इसलिये गैप देती रहती हूँ :)<BR/><BR/><B>अभिव्यक्ति</B> के माध्यम से मिला दर्शन अच्छा लगा<BR/><B>दोनों किनारे भी मिल जायेंगे <BR/>बचेगी फकत माटी इस राह पे</B> <BR/><BR/>वाक़ई सच तो यही है<BR/><BR/><B>गौतम जी</B> आप जो भी कहें हम तो आपकी लेखनी के मुरीद हैं।<BR/><BR/>और अब बात उन दो टिप्पणियों की जो मेरे दिल को छू गईं....! सबसे बड़ी और सबसे सही बात <B>अनुराग जी</B> की कि <BR/><B>साहिल मगर इन लहरों के बगैर भी उदास होते है कंचन...दोनों ही जरूरी है..एक दुसरे के लिए ..</B><BR/>क्या बात कही अनुराग जी, ये लहरें हैं तो कम से कम सोचने को कुछ तो है, दूसरे किनारो तक उन्हे पहुँचाने का लक्ष्य तो है..उनके जाने के बाद सोचने को, उनके आने पर मिली नमी तो है..वरना तो किनारे बहुत पहले पत्थर हो गये होते<BR/><BR/>और दूसरी बात <B>मीत जी</B> की<BR/><B>पत्थर, पत्थर बना बैठा है ... ये उसकी मजबूरी है ये उसकी ख़ुशी .... पता नहीं. </B><BR/> ये दूसरा सच है, कि कोई चाह कर भी अपनी फितरत नही बदल सकता और जिसे नही बदल सकता उसे अपनी मजबूरी नही खुशी ही मानना चाहिये....!!!!!!!!!!!!!कंचन सिंह चौहानhttps://www.blogger.com/profile/12391291933380719702noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-3468658467196737408.post-90633305588020636282009-03-17T14:42:00.000+05:302009-03-17T14:42:00.000+05:30कमाल का लिखा है...लहरों और साहिल का ये बतियाना दिल...कमाल का लिखा है...लहरों और साहिल का ये बतियाना दिल के बेहद करीब लगा.Puja Upadhyayhttps://www.blogger.com/profile/15506987275954323855noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-3468658467196737408.post-85792892609466778012009-03-17T13:19:00.000+05:302009-03-17T13:19:00.000+05:30कंचन जी,उम्दा रचना, सुँदर अभिव्यक्ति!कंचन जी,<BR/>उम्दा रचना, सुँदर अभिव्यक्ति!Alpana Vermahttps://www.blogger.com/profile/08360043006024019346noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-3468658467196737408.post-17888374822796845012009-03-17T13:14:00.000+05:302009-03-17T13:14:00.000+05:30बहुत सुन्दर रचना लहर खुश थी....बहुत खुश...!बहुत सुन्दर रचना <BR/>लहर खुश थी....बहुत खुश...!आलोक सिंहhttps://www.blogger.com/profile/00082633138533183604noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-3468658467196737408.post-580721927651843752009-03-17T11:50:00.000+05:302009-03-17T11:50:00.000+05:30कंचन जी रचना सुन्दर है !ऎसी ही कविताएं हमें पढवाती...कंचन जी रचना सुन्दर है !ऎसी ही कविताएं हमें पढवाती रहें !Neelimahttps://www.blogger.com/profile/14606208778450390430noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-3468658467196737408.post-71845604097989377662009-03-17T10:43:00.000+05:302009-03-17T10:43:00.000+05:30उम्दा! ये तो था पहला शब्द जो दिमाग़ में आया.. अनुर...उम्दा! ये तो था पहला शब्द जो दिमाग़ में आया.. अनुराग जी का कमेंट टोपिंग्स कि तरह रहा.. बड़ा काम आया.. इस बार कि लिखावट शानदार हैकुशhttps://www.blogger.com/profile/04654390193678034280noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-3468658467196737408.post-58871610403459860222009-03-16T22:50:00.000+05:302009-03-16T22:50:00.000+05:30कंचन जी...मैं तो अवाक सा जाने कितनी बार पढ़ गया आपक...कंचन जी...मैं तो अवाक सा जाने कितनी बार पढ़ गया आपकी इन पंक्तियों को....<BR/><BR/>आपकी लेखनी का तो शुरू से ही कायल रहा हू~म जब से ब्लौग पर आने लगा, किंतु ये सशक्त लेखनी इतनी तीव्र और पैनी है कि...उफ़्फ़गौतम राजऋषिhttps://www.blogger.com/profile/04744633270220517040noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-3468658467196737408.post-16603180650759137042009-03-16T22:13:00.000+05:302009-03-16T22:13:00.000+05:30पत्थर, पत्थर बना बैठा है ... ये उसकी मजबूरी है ये...पत्थर, पत्थर बना बैठा है ... ये उसकी मजबूरी है ये उसकी ख़ुशी .... पता नहीं. पानी का काम बहना है ..... उसकी ख़ुशी शायद इसी में है ...<BR/><BR/>बहुत अच्छा लिखा है.अमिताभ मीतhttps://www.blogger.com/profile/06968972033134794094noreply@blogger.com