tag:blogger.com,1999:blog-3468658467196737408.post9143180134161405339..comments2024-02-22T15:46:48.368+05:30Comments on हृदय गवाक्ष: तुम सा कौन पुजारी होगा,कंचन सिंह चौहानhttp://www.blogger.com/profile/12391291933380719702noreply@blogger.comBlogger43125tag:blogger.com,1999:blog-3468658467196737408.post-5012040546028425232012-05-03T18:31:09.980+05:302012-05-03T18:31:09.980+05:30Today is good ill, isn't it?Today is good ill, isn't it?Anonymousnoreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-3468658467196737408.post-41514777369747294842009-05-31T00:03:54.105+05:302009-05-31T00:03:54.105+05:30behd sundr bhavabhivykti.behd sundr bhavabhivykti.शोभना चौरेhttps://www.blogger.com/profile/03043712108344046108noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-3468658467196737408.post-88374181740989081662009-05-31T00:03:53.052+05:302009-05-31T00:03:53.052+05:30behd sundr bhavabhivykti.behd sundr bhavabhivykti.शोभना चौरेhttps://www.blogger.com/profile/03043712108344046108noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-3468658467196737408.post-4439883988155605942009-05-30T22:05:22.875+05:302009-05-30T22:05:22.875+05:30sach aapki kalam mein jaadu hai..sach aapki kalam mein jaadu hai..Dr. Tripat Mehtahttps://www.blogger.com/profile/06972787985997523606noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-3468658467196737408.post-6172674503397399552009-05-30T04:45:16.223+05:302009-05-30T04:45:16.223+05:30सुंदर भावों से परिपूर्ण रचना,
हमेशा यूं ही लिखते र...सुंदर भावों से परिपूर्ण रचना,<br />हमेशा यूं ही लिखते रहना,<br />ताकि मिल सके हमें भी, <br />जीने और लिखने की प्रेरणा.<br /><br />साभार<br /><A HREF="http://woyaadein.blogspot.com/" REL="nofollow">हमसफ़र यादों का.......</A>Anonymousnoreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-3468658467196737408.post-25944567249350249212009-05-27T10:51:49.979+05:302009-05-27T10:51:49.979+05:30kavita acchi lagi...aur uski bhoomika aur bhi acch...kavita acchi lagi...aur uski bhoomika aur bhi acchi, dil ko chhoone wali,bilkul nishchal aur sacchi.Puja Upadhyayhttps://www.blogger.com/profile/15506987275954323855noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-3468658467196737408.post-37719268205056435382009-05-24T19:40:03.349+05:302009-05-24T19:40:03.349+05:30Sundar bhav di, Kamaal hai.Sundar bhav di, Kamaal hai.राकेश जैनhttps://www.blogger.com/profile/05865088324047258223noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-3468658467196737408.post-69477399559750851342009-05-24T17:45:58.935+05:302009-05-24T17:45:58.935+05:30तुम्हारा चिटठा आज क्यों देख? कुछ दिन पहले देख सका ...तुम्हारा चिटठा आज क्यों देख? कुछ दिन पहले देख सका होता तो १०-११ मई को अयोध्या और १२-१३ को लखनऊ में था...चलो फिर कभी. छोटी सी ये दुनिया पहचाने रास्ते हैं... भावप्रवण रचना के लिए साधुवाद... सुविधा हो तो दिव्यनर्मदा.ब्लागस्पाट.कॉम देखना...जुड़ना.Divya Narmadahttps://www.blogger.com/profile/13664031006179956497noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-3468658467196737408.post-28034659362656681342009-05-24T12:11:06.469+05:302009-05-24T12:11:06.469+05:30बहुत ही भावपूर्ण रचना। आनंद आ गया पढकर। ऐसे ही लिख...बहुत ही भावपूर्ण रचना। आनंद आ गया पढकर। ऐसे ही लिखती रहे आप।सुशील छौक्कर https://www.blogger.com/profile/15272642681409272670noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-3468658467196737408.post-65099165050533897542009-05-24T09:53:20.105+05:302009-05-24T09:53:20.105+05:30अपने साथ बहा ले जाने वाली
अद्वितीय ,
अनुपम ,
अव...अपने साथ बहा ले जाने वाली <br />अद्वितीय , <br />अनुपम , <br />अविस्मर्णीय...<br />भावुक रचना .<br /><br />ढेर सी दुआओं के साथ . . . <br />---मुफलिस---daanishhttps://www.blogger.com/profile/15771816049026571278noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-3468658467196737408.post-81165659526580999202009-05-23T14:29:58.836+05:302009-05-23T14:29:58.836+05:30kanchan ji , is kavita me aapne sabkuch kah diya h...kanchan ji , is kavita me aapne sabkuch kah diya hai aur mere paas shabd nahi hai ,aapki tareef ke liye ......<br /><br />itni acchi aur sacchi kavita ke liye badhai ..<br /><br />meri nayi kavita padhiyenga , aapke comments se mujhe khushi hongi ..<br /><br />www.poemsofvijay.blogspot.comvijay kumar sappattihttps://www.blogger.com/profile/06924893340980797554noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-3468658467196737408.post-64331553138263646532009-05-21T22:36:01.875+05:302009-05-21T22:36:01.875+05:30भगवान् और मीत दोनों की दुहाई इस साथ! बहूत अच्छी लग...भगवान् और मीत दोनों की दुहाई इस साथ! बहूत अच्छी लगी...neerahttps://www.blogger.com/profile/16498659430893935458noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-3468658467196737408.post-73546056728178843182009-05-20T13:04:10.843+05:302009-05-20T13:04:10.843+05:30आप की संवेदनशीलबेहद प्रभावित करती है।आप की संवेदनशीलबेहद प्रभावित करती है।Ashok Kumar pandeyhttps://www.blogger.com/profile/12221654927695297650noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-3468658467196737408.post-59863740548376211662009-05-19T22:01:00.000+05:302009-05-19T22:01:00.000+05:30कंचन तुमशुक्रिया कहूँ क्या? सोचा पहले तुम्हारे ही ...<B>कंचन तुम</B>शुक्रिया कहूँ क्या? सोचा पहले तुम्हारे ही टिप्पणी बक्से से इस बोल्ड वाली करामात का प्रयोग करूँ...<br /><br />sincere thanx for everything sisगौतम राजऋषिhttps://www.blogger.com/profile/04744633270220517040noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-3468658467196737408.post-68021876045628842562009-05-19T14:29:00.000+05:302009-05-19T14:29:00.000+05:30कंचन जी, कम से कम एक बात पर मेरी घोर असहमति है आपस...कंचन जी, कम से कम एक बात पर मेरी घोर असहमति है आपसे। वो ये कि इसे आपने अतीत की कविता कहा है...कुछ है जो समय के साथ पुराना हो जाता है लेकिन कुछ ऐसा भी है जो शाश्वत है और समय की सीमाओं से मुक्त है...अब ये पंक्तुइयां-<br /><br />तुम सा कौन पुजारी होगा, जो ले कर पत्थर अंजान<br />बिना तराशे ही मंदिर में , दे दे देवों का स्थान<br /><br />क्या ये कभी अतीत हो सकता है? ......<br />कभी पढ़ा था, देखें प्रेम का यह रूप-<br /><br />सैकड़ों पाषाण में तू भी एक पाषाण होता<br />मैं न होती भावना तो तू कहां भगवान होता<br /><br />और एक रूप जो आपने प्रस्तुत किया....बस इतना ही कह सकता हूं कि प्रेम तो इंद्रधनुष है जिसमें सभी रंग समाये हुये हैं और मुझे सारे ही प्रिय हैं.......रविकांत पाण्डेयhttps://www.blogger.com/profile/14687072907399296450noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-3468658467196737408.post-38254719033980134662009-05-19T13:37:00.000+05:302009-05-19T13:37:00.000+05:30घुघूती दी..! आप मुझे नास्तिक बना देंगी ...!:)
गु...<B>घुघूती दी..! </B>आप मुझे नास्तिक बना देंगी ...!:) <br /><br /><B>गुरु जी..!</B> पहले तो ये जी शब्द जितनी जल्दी हो सकें हटा लें। जिससे कि हम पाप भागी होने से जितना शीघ्र हो बच सकें :) और ये जो आँगन और चारपाई और अधलेटा....! ये सब मिले तब तो कविता खुद ही हो जाये। मगर मिले कहाँ। दो कमरे के घर में जो आँगन है उस से तो पड़ोसी का बाथरूम अटैच है :) और अधलेटे से लिखने में डर है कि वो पागल ना घोषित कर दें। :) अम्मा के घर में कबी ये सब था..मगर अब वहाँ भी दीवारें बड़ी हो गई हैं, आँगन छोटे मगर कई।<br /><br /><B>अनुराग जी</B>आपके कमेंट मुझ भावुक लड़की को और भावुक कर देते हैं।<br /><br /><B>वीनस जी</B> सही कहा..सोच कर लिखना मेरे लिये तो असंभव ही है।<br /><br /><B>गौतम वीर जी..!</B> आप तो ना बस <B>कंचन तुम</B> ही लिख के छोड़ दो, तो भी नेह उमड़ आता है। ये जो रिश्ता है न वीर और अनुजा का, इसमें यूँ भी डाँटने का मन ज्यादा होता है। तूने खाना खा लिया, तो भी डाँट..तूने खाना नही खाया तो भी डाँट :) इन डाँटों पर तो रिसर्च हो चुकी है मेरी। बड़ा आनंद है इनमें।मगर अनुजा को डाँटना तक ही ठीक है। The word नमन doesn't suit to this relation :) <br /><br /><B>लावण्या दी </B> सही कहा..कुश ने जब ये तसवीर भेजी थी तब लता मंगेशकर और टी० सिरीज दोनो लिखा था इस चित्र पर। फिर उन्होने ही इसे संपादित कर के भेजा। ये कृति ऊषा मंगेशकर की है और गीत पूजनीय पिता जी ने लिखे हैं ये जानना अद्भुत आनंदमयी है।<br /><br /><B>पुनीत</B> मैने गलतियाँ सुधार ली हैं।<br /><br /><B>ऐसा मीत पाने वाले सौभाग्यशाली को और क्या चाहिए कंचन जी ? </B>आप बिलकुल सही कहते हैं त्रिवेदी जी....! मैं माँग भी कहाँ रही हूँ..! बस ऐसे मीत के खो जाने का शोक ही कर रही हूँ।<br /><br /><B>प्रीति जी, वर्मा जी, अलीम जी, ओम जी...!</B> आप सब पहली बार आये इस झरोंखे पर ...! आने का शुक्रिया एवं पुनः आने का आमंत्रण। <br /><br /><B>अर्श, नीरज जी, ताऊ जी, प्रीति जी, दिगम्बर जी, रंजना जी, विनय जी, समीर जी, अनिलकांत जी, रेनू जी, राज जी, मीनाक्षी जी. योगेन्द्र जी, सिद्धेश्वर जी, मनीष जी, किशोर जी</B> आप सब की उत्साह वर्द्धक टप्पणियो का शुक्रियाकंचन सिंह चौहानhttps://www.blogger.com/profile/12391291933380719702noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-3468658467196737408.post-7865837002918009502009-05-19T11:57:00.000+05:302009-05-19T11:57:00.000+05:30तुम सा कौन पुजारी होगा, जो ले कर पत्थर अंजान
बिना ...तुम सा कौन पुजारी होगा, जो ले कर पत्थर अंजान<br />बिना तराशे ही मंदिर में , दे दे देवों का स्थान<br />ऐसा मीत पाने वाले सौभाग्यशाली को और क्या चाहिए कंचन जी ? बहुत भावपूर्ण रचना है ,मन की गहराईयों से उठी हूक पाठक को भी उसी ज़मीन पर खींच ले जाती है जहाँ से कविता जन्मी है !बहुत सुन्दर !ललितमोहन त्रिवेदीhttps://www.blogger.com/profile/00016270901781656893noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-3468658467196737408.post-28149994293465780272009-05-19T11:41:00.000+05:302009-05-19T11:41:00.000+05:30प्रेम और विशवास की बाहों को नागफनी सा क्यों कहा है...प्रेम और विशवास की बाहों को नागफनी सा क्यों कहा है आपने?<br />वैसे अगर अतीत में इतनी सुन्दर कविताएं छिपी हुई हैं तो बुरा नहीं है अतीतवादी होना भी..<br />सुन्दर भावपूर्ण कविता.. बस टंकण में एक दो मत्राए इधर उधर लगीं.पुनीत ओमरhttps://www.blogger.com/profile/09917620686180796252noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-3468658467196737408.post-51852077508780356772009-05-19T11:14:00.000+05:302009-05-19T11:14:00.000+05:30स्मृतियों के वातायन से कई उम्मीदें यदा कदा चमकती द...स्मृतियों के वातायन से कई उम्मीदें यदा कदा चमकती दिखाई दे जाती हैं <br />एक कविता के साथ कई पल जुड़े रहते हैं वे कभी पुराने नहीं होते, जैसे ये कविताके सी https://www.blogger.com/profile/03260599983924146461noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-3468658467196737408.post-61067429233209806192009-05-19T02:51:00.000+05:302009-05-19T02:51:00.000+05:30प्रिय चि. कँचन
कविता अभिव्यक्ति है -
नागफनी हो य...प्रिय चि. कँचन <br />कविता अभिव्यक्ति है -<br /> नागफनी हो या अमर बेल <br />अपनी ही है ना ?<br />ये चित्र बताऊँ,<br /> उषा मँगेशकर जी ने,<br /> लतादी की रेकार्ड <br />"प्रेम, भक्ति, मुक्ति " के लिये<br /> खुद पेन्ट किया है...<br /> और उसी रेकोर्ड के सारे गीत,<br /> मेरे पूज्य पापा जी ने लिखे हैँ - सोचा बतला दूँ -<br /> मेरा जालघर भी अवश्य देखना<br /> पसँद आयेगा :)<br />स ~ स्नेह,<br />- लावण्यालावण्यम्` ~ अन्तर्मन्`https://www.blogger.com/profile/15843792169513153049noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-3468658467196737408.post-28396759055323557822009-05-19T00:20:00.001+05:302009-05-19T00:20:00.001+05:30कंचन तुम,
सोचता हूँ, तुम्हें डांट लगाऊँ...फिर रुक ...कंचन तुम,<br />सोचता हूँ, तुम्हें डांट लगाऊँ...फिर रुक जाता हूँ। जाने कैसे शब्दों से {चाहे अतीत के शब्दों से ही } एक दुख की लकीर खींच देती हो तुम जो यहाँ तक-इस्स सुदूर दुर्गम टीले तक पहुँच आती है।<br />"कौ नही तुम्हारे जैसा, देख लिया हमने संसार"<br />इस अद्भुत मिस्रे को रचने वाली अनुजा को नमन !गौतम राजऋषिhttps://www.blogger.com/profile/04744633270220517040noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-3468658467196737408.post-17725884709991209322009-05-19T00:20:00.000+05:302009-05-19T00:20:00.000+05:30कंचन जी,
आपकी कविता पढता हूँ तो लगता है आपने जब ये...कंचन जी,<br />आपकी कविता पढता हूँ तो लगता है आपने जब ये कविता लिखी होगी तो जरूर आप ने एकबारगी लिखा होगा सोच कर लिखना तो असंभव है <br />बहुत सुन्दर भाव <br />दिल को छूते शब्द <br /><br />वीनस केसरीवीनस केसरीhttps://www.blogger.com/profile/08468768612776401428noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-3468658467196737408.post-55857660175519557732009-05-18T23:09:00.000+05:302009-05-18T23:09:00.000+05:30तुमने करी इबादत तो वो खुद को खुदा सम बैठा,
जो था द...तुमने करी इबादत तो वो खुद को खुदा सम बैठा,<br />जो था दुनिया की नज़रों रस्ते का पत्थर छोटा,<br />तुम सा कौन पुजारी होगा, जो ले कर पत्थर अंजान<br />बिना तराशे ही मंदिर में , दे दे देवों का स्थान<br /><br />ये पंक्तियाँ खास तौर पर पसंद आईं इस कविता में.. <br />जब व्यक्ति की भावनाओं में हिलोल उठता है तो ही कविता जन्म लेती है। इसलिए चाह कर भी ये लिखी नहीं जा पाती।Manish Kumarhttps://www.blogger.com/profile/10739848141759842115noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-3468658467196737408.post-78833134545504845462009-05-18T22:28:00.000+05:302009-05-18T22:28:00.000+05:30अगर बार-बार बुलाये अतीत... तो इसका मतलब मेरी समझ स...अगर बार-बार बुलाये अतीत... तो इसका मतलब मेरी समझ से यह है कि कुछ सृजनात्मक रचे जाने की व्यग्रता है और यह आपकी अभिव्यक्ति बता भी रही है.<br /><br />उम्दा और स्तरीय !!siddheshwar singhhttps://www.blogger.com/profile/06227614100134307670noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-3468658467196737408.post-27436774432976369802009-05-18T21:53:00.000+05:302009-05-18T21:53:00.000+05:30Wah..Wah..योगेन्द्र मौदगिलhttps://www.blogger.com/profile/14778289379036332242noreply@blogger.com