tag:blogger.com,1999:blog-3468658467196737408.post7291263836076477812..comments2024-02-22T15:46:48.368+05:30Comments on हृदय गवाक्ष: ना खुशी, ना ग़म....कंचन सिंह चौहानhttp://www.blogger.com/profile/12391291933380719702noreply@blogger.comBlogger16125tag:blogger.com,1999:blog-3468658467196737408.post-15261261984574198712012-06-19T17:48:39.637+05:302012-06-19T17:48:39.637+05:30कंचन, तुम्हारा लेख ऐसे लोगों पर है जिनका मनोविज्ञा...कंचन, तुम्हारा लेख ऐसे लोगों पर है जिनका मनोविज्ञान समझना हमारे लिए बहुत कठिन है. किन्तु तुमने फिर भी सम्वेदनशील तरीके से इस जटिल विषय को उठाया और हमें लेच्चर भी नहीं पिलाया. <br />तुम्हारा फोन लग नहीं रहा.<br />घुघूतीबासूतीghughutibasutihttps://www.blogger.com/profile/06098260346298529829noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-3468658467196737408.post-10848522220288212742012-06-15T09:15:32.673+05:302012-06-15T09:15:32.673+05:30बहुत बढ़िया लेखन......
साथ ही साथ टिप्पणियां भी रु...बहुत बढ़िया लेखन......<br />साथ ही साथ टिप्पणियां भी रुचिकर....<br />:-)<br /><br /><br />अनुANULATA RAJ NAIRhttps://www.blogger.com/profile/02386833556494189702noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-3468658467196737408.post-36330314538251089572012-06-14T13:09:40.331+05:302012-06-14T13:09:40.331+05:30बहुत ही रुचिकरबहुत ही रुचिकरVIJAY KUMAR VERMAhttps://www.blogger.com/profile/06898153601484427791noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-3468658467196737408.post-44554587349045571442012-06-03T14:33:46.335+05:302012-06-03T14:33:46.335+05:30सोंचने पर विवश करता सटीक आलेख, सुन्दर चित्रण...उम्...सोंचने पर विवश करता सटीक आलेख, सुन्दर चित्रण...उम्दा प्रस्तुति...बहुत बहुत बधाई...प्रसन्नवदन चतुर्वेदी 'अनघ' https://www.blogger.com/profile/03784076664306549913noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-3468658467196737408.post-26231058344177812392012-06-03T06:36:26.276+05:302012-06-03T06:36:26.276+05:30बहुत रोकते हुए भी कभी कभी कुछ देना ही पड़ जाता है ...बहुत रोकते हुए भी कभी कभी कुछ देना ही पड़ जाता है ...<br />समझाईश कर मैं तो हार मान गयी , लिखा था मैंने भी इसी मनोवृति पर !वाणी गीतhttps://www.blogger.com/profile/01846470925557893834noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-3468658467196737408.post-63515856107026050152012-06-02T19:50:37.115+05:302012-06-02T19:50:37.115+05:30यह भी खूब रही ... लेक्चर वाली आंटी ...
इस पोस्ट ...यह भी खूब रही ... लेक्चर वाली आंटी ... <br /><br /><a href="http://bulletinofblog.blogspot.in/2012/06/blog-post_02.html" rel="nofollow">इस पोस्ट के लिए आपका बहुत बहुत आभार - आपकी पोस्ट को शामिल किया गया है 'ब्लॉग बुलेटिन' पर - पधारें - और डालें एक नज़र - दा शो मस्ट गो ऑन ... ब्लॉग बुलेटिन </a>शिवम् मिश्राhttps://www.blogger.com/profile/07241309587790633372noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-3468658467196737408.post-91057661455740350222012-06-02T11:06:16.660+05:302012-06-02T11:06:16.660+05:30tum hamaarey blog par nahin aatii ho ham bhi nahin...tum hamaarey blog par nahin aatii ho ham bhi nahin aayae haen <br /><br />tum kament nahin daeti ho hamne bhi nahii diyaa <br /><br />sudharo madam sudharo <br />abhi bhi vakt haen sambhal jaao <br />varna :))रचनाhttps://www.blogger.com/profile/03821156352572929481noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-3468658467196737408.post-19056443257565385462012-06-02T00:07:06.324+05:302012-06-02T00:07:06.324+05:30sahi yaad dilaya Manish Ji :) :Dsahi yaad dilaya Manish Ji :) :Dकंचन सिंह चौहानhttps://www.blogger.com/profile/12391291933380719702noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-3468658467196737408.post-5897808946124484472012-06-01T20:05:24.728+05:302012-06-01T20:05:24.728+05:30" तुम तो पहले भी कउन दे देती थी। सब तो कहिते ..." तुम तो पहले भी कउन दे देती थी। सब तो कहिते हैं, ऊ चरपहिया स्कूटर वाली अंटी से ना माँगना कभौ देती नही हैं लेच्चर से अगल बगल वाल्यो भड़क जाउत हैं।"<br /><br />इसे पढ़कर सरिता का वो स्तंभ याद आ रहा है <i>ये भी खूब रही !</i>Manish Kumarhttps://www.blogger.com/profile/10739848141759842115noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-3468658467196737408.post-21656037526267761682012-06-01T16:02:50.625+05:302012-06-01T16:02:50.625+05:30लेच्चर से अगल बगल वाल्यो भड़क जाउत हैं. :)
हर किसी...लेच्चर से अगल बगल वाल्यो भड़क जाउत हैं. :)<br /><br />हर किसी की अपनी दुनिया है, अपने सच हैं, अपने झूठ हैं, और भी बहुत कुछ अपने-अपने से हैं. कभी भी, कहीं भी और कुछ भी दुसरे के लिए नहीं बच पाता.<br /><br />वैसे ये विज्ञान भी बड़ी अजीब चीज है, चाहे वो कोई सा भी वाला हो, सुलझाने में और उलझाए जाता है, और गर मन का हो तो ........ क्या कहने.Ankithttps://www.blogger.com/profile/08887831808377545412noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-3468658467196737408.post-31084588919256664862012-06-01T15:28:53.709+05:302012-06-01T15:28:53.709+05:30इस्मत दीदी ! असल में उनका मनोविज्ञान हम सिर्फ दो त...इस्मत दीदी ! असल में उनका मनोविज्ञान हम सिर्फ दो तरीके से समझते हैं, या तो इस तरह कि वे बड़े गरीब हैं और हम बड़े दयालु.. तो हम अपनी ४० ५० हजार की प्रति माह आमदनी से जब एक रुपया निकाल कर उनकी तरफ फेंकते हैं, तो खुद में संतुष्ट होते हैं, कि राजा बलि और कर्ण का द्वितीय अवतार हम खुद हैं और ये भी कि कई जन्मों के लिये पुण्य इकट्ठा हो गया, अब तो जब चित्रगुप्त हमारा एकॉउंट ओपेन करेंगे, तो सीधे स्वर्ग में रिज़र्व्ड लक्ज़री रूम में हमें स्थान मिलेगा।<br /><br />और दूसरा ये कि ये सब बहुत निकम्मे हैं, काहिल हैं और मेहनत ना करने के डर से भीख माँग रहे हैं ...<br /><br />मगर इसके बीच भी बहुत कुछ होता होगा शायद जिसे समझना होगा, क्योंकि उस समाज से एक भी लेखक नही मिला है हमको और उस समाज का सच हम सामान्य लेखक समझना भी नही चाहते, बड़ी मेहनत है, बहुत डर भी....!!<br /><br />वीनस...! बहुतन का सुनैके पड़त है ई लेच्चर काहें कि जउन मनई कुछू ना करिहै ऊ सबसे जियादा लेच्चर देईहै....!! तो उनही मा एक हमहू है, जुबानी जनजागरण लाये मा कऊनो हर्जा खर्चा लागे का डरौ तो नाही है।कंचन सिंह चौहानhttps://www.blogger.com/profile/12391291933380719702noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-3468658467196737408.post-37017689810964026642012-06-01T13:29:33.991+05:302012-06-01T13:29:33.991+05:30हमका तो लगत रहा के आपसे लेक्चर केवल हमहीं का सुनै ...हमका तो लगत रहा के आपसे लेक्चर केवल हमहीं का सुनै के पडत है :))वीनस केसरीhttps://www.blogger.com/profile/08468768612776401428noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-3468658467196737408.post-62293425575940194342012-06-01T12:19:44.438+05:302012-06-01T12:19:44.438+05:30सही कहा नीरा जी ! जिंदगी में किसी एक को ही बदलना क...सही कहा नीरा जी ! जिंदगी में किसी एक को ही बदलना कितना मुश्किल है... <br /><br />फिर कोई खुद को बदले भी क्यों किसी के कहने से... ? उसकी अपनी परिस्थितियाँ, उसका अपना समाज, सही और ग़लत के उसके अपने मायने.... और हम अचानक से राह चलते उस से मिलते हैं और बता देते हैं झूठ बोलना पाप है, चोरी करना ग़लत बात... भीख माँगने से अच्छा पढ़ाई करो, मेहनत करो....!! फिर बैठ जाते हैं, अपनी गाड़ी पर, लौट आते हैं, घर के ए०सी० में कोल्ड ड्रिंक के साथ समाज की कुरीतियों पर चर्चा स्नैक्स का काम करती है। <br /><br />वो जो झेल रहा है अब भी सब कुछ उसी सड़क पर, अपनी व्यथा तो वही जानता है ना...!!<br /><br />अनूप जी ! :) :)कंचन सिंह चौहानhttps://www.blogger.com/profile/12391291933380719702noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-3468658467196737408.post-47513718029105389192012-06-01T09:18:05.516+05:302012-06-01T09:18:05.516+05:30क्या बात है कंचन !!मज़ा आ गया लेकिन ये लेख सोचने प...क्या बात है कंचन !!मज़ा आ गया लेकिन ये लेख सोचने पर ज़रूर विवश कर रहा है कि इस मनोविज्ञान को कैसे और कौन बदलेगाइस्मत ज़ैदीhttps://www.blogger.com/profile/09223313612717175832noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-3468658467196737408.post-40129911796532679522012-06-01T07:45:34.413+05:302012-06-01T07:45:34.413+05:30क्या-क्या सीन हैं जी लेच्चर वाली आंटी! :)क्या-क्या सीन हैं जी लेच्चर वाली आंटी! :)अनूप शुक्लhttps://www.blogger.com/profile/07001026538357885879noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-3468658467196737408.post-91506955916230307212012-06-01T02:25:06.225+05:302012-06-01T02:25:06.225+05:30किसी एक को बदलना कितना मुश्किल पर होंसले दुनिया बद...किसी एक को बदलना कितना मुश्किल पर होंसले दुनिया बदलने के हमेशा बुलंद रहे...:-)neerahttps://www.blogger.com/profile/16498659430893935458noreply@blogger.com