tag:blogger.com,1999:blog-3468658467196737408.post5587446671825162669..comments2024-02-22T15:46:48.368+05:30Comments on हृदय गवाक्ष: मुक्ति भाग-4कंचन सिंह चौहानhttp://www.blogger.com/profile/12391291933380719702noreply@blogger.comBlogger8125tag:blogger.com,1999:blog-3468658467196737408.post-41030258192645865402007-08-22T16:46:00.000+05:302007-08-22T16:46:00.000+05:30एक ही सांस में पढ़ गया मुक्ति की चौथी कड़ी। कहानी ...एक ही सांस में पढ़ गया मुक्ति की चौथी कड़ी। कहानी बहुत ही रुचिकर तरीके से आगे बढ़ रही है। कहानी कहने के लिये आपने जो आत्मकथात्मक शैली चुनी है वह बेहद पसंद आई। अगली कड़ी का इंतजार रहेगा।Anonymoushttps://www.blogger.com/profile/09390660446989029892noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-3468658467196737408.post-83372655548318286882007-08-21T12:00:00.000+05:302007-08-21T12:00:00.000+05:30बासूती जी का मेरे गवाक्ष पर प्रथम आगमन का स्वागत। ...बासूती जी का मेरे गवाक्ष पर प्रथम आगमन का स्वागत। प्रोत्साहन हेतु धन्यवाद<BR/><BR/>उड़न तश्तरी, नीशू जी !, अजित जी !, मनीष जी ! का धन्यवाद।<BR/><BR/>उपन्यास तो नही ही कहा जायेगा महावीर जी ! लंबी कहानी ही है। लघु उपन्यास की सीमा तक न जाये शायद। अंत में आप ही निर्धारित कीजियेगा। लगातार प्रोत्साहित करते रहने का धन्यवादUnknownhttps://www.blogger.com/profile/16391664542571175020noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-3468658467196737408.post-20473622131738249652007-08-21T10:58:00.000+05:302007-08-21T10:58:00.000+05:30इंतजार है अगली कड़ी का !इंतजार है अगली कड़ी का !Manish Kumarhttps://www.blogger.com/profile/10739848141759842115noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-3468658467196737408.post-40629769310264873492007-08-21T03:36:00.000+05:302007-08-21T03:36:00.000+05:30मर्मस्पर्शी लेखन....मर्मस्पर्शी लेखन....अजित वडनेरकरhttps://www.blogger.com/profile/11364804684091635102noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-3468658467196737408.post-78508280555350415412007-08-20T22:31:00.000+05:302007-08-20T22:31:00.000+05:30यह तो अभी पता नहीं कि यह लघु उपन्यास है या आगे जाक...यह तो अभी पता नहीं कि यह लघु उपन्यास है या आगे जाकर पूर्ण उपन्यास बनेगा, किंतु जैसे जैसे कथा-वस्तु आगे बढ़ती जारही है, सस्पेंस और उत्सुक्ता के साथ साथ हृदय में एक टीस भी बढ़ती जाती है। <BR/>बहुत बड़ा सत्य हैः<BR/>"राक्षसों के सचमुच दस सिर या सींग या कोई और भयानक आकृति नही होती होगी। मुझे पता चल गया था कि ऐसे ही राक्षस होते होंगे जो दिखने में बिलकुल इंसान ही लगते होंगे।"महावीरhttps://www.blogger.com/profile/00859697755955147456noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-3468658467196737408.post-11702645456688392542007-08-20T22:06:00.000+05:302007-08-20T22:06:00.000+05:30ji aap ki kahani bahut hi marmik hai aur accha pra...ji aap ki kahani bahut hi marmik hai aur accha prash kariye jo bhi aap ne kiya wod saraniy hai ........Anonymoushttps://www.blogger.com/profile/16883786301435391374noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-3468658467196737408.post-42824028730798964582007-08-20T21:05:00.000+05:302007-08-20T21:05:00.000+05:30बहुत दर्दभरी कथा होती जा रही है. इन्तजार लग गया है...बहुत दर्दभरी कथा होती जा रही है. इन्तजार लग गया है अभी से अगली कड़ी का. बहुत बेहतरीन लिख रही हैं. बधाई.Udan Tashtarihttps://www.blogger.com/profile/06057252073193171933noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-3468658467196737408.post-64300779215832862032007-08-20T20:45:00.000+05:302007-08-20T20:45:00.000+05:30मर्मस्पर्शी कहानी है ।घुघूती बासूतीमर्मस्पर्शी कहानी है ।<BR/>घुघूती बासूतीghughutibasutihttps://www.blogger.com/profile/06098260346298529829noreply@blogger.com