tag:blogger.com,1999:blog-3468658467196737408.post5445935517913158253..comments2024-02-22T15:46:48.368+05:30Comments on हृदय गवाक्ष: "मुझे चाँद चाहिये"कंचन सिंह चौहानhttp://www.blogger.com/profile/12391291933380719702noreply@blogger.comBlogger30125tag:blogger.com,1999:blog-3468658467196737408.post-83410077768771278962020-05-30T12:02:32.431+05:302020-05-30T12:02:32.431+05:30बहुत बढ़िया समीक्षा कंचन जी.... बहुत बढ़िया समीक्षा कंचन जी.... Nidhi Saxenahttps://www.blogger.com/profile/08217412550219252967noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-3468658467196737408.post-21928875750659154092016-11-22T15:19:45.643+05:302016-11-22T15:19:45.643+05:30bahut achha laga. likhna achhi bat hai.bahut achha laga. likhna achhi bat hai.Sanjay Kumar Shahhttps://www.blogger.com/profile/05074119856396248636noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-3468658467196737408.post-35886941256887998142009-11-01T19:04:40.036+05:302009-11-01T19:04:40.036+05:30आपने बहुत अच्छी समीक्षा प्रस्तुत की. उपन्यास पढने ...आपने बहुत अच्छी समीक्षा प्रस्तुत की. उपन्यास पढने का मौका नहीं मिला मगर उस पर आधारित टी वी सीरिअल देखा था. सारे चरित्र और परिस्थितियाँ अन्दर तक जाने-पहचाने हुए थे. उन बच्चियों को भी जानता हूँ जिन्होंने स्कूल में अपना नाम खुद बदला, सामान कारणों से, उस लड़के को भी जो खेल में नहीं चमक सका क्योंकि टीम के साथ जाने का पैसा नहीं था और पंडित जी की उन बेटियों को भी जिन्हें दहेज़ के दानव ने निगल लिया था. पहली बार उस पृष्ठभूमि पर इतनी बेबाकी से चित्रण देखा था. कुल मिलाकर सुरेन्द्र वर्मा और सीरिअल से जुड़े सभी लोगों ने बहुत प्रभावित किया था.Smart Indianhttps://www.blogger.com/profile/11400222466406727149noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-3468658467196737408.post-66678236454928539492008-11-20T07:06:00.000+05:302008-11-20T07:06:00.000+05:30बेहतरीन पोस्ट। इसे पढ़ना बहुत मजेदार अनुभव है। बार...बेहतरीन पोस्ट। इसे पढ़ना बहुत मजेदार अनुभव है। बार-बार इसके कुछ अंश पढ़ते हैं। मजा लेते हैं।Anonymousnoreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-3468658467196737408.post-18214130224829794472008-11-18T21:48:00.000+05:302008-11-18T21:48:00.000+05:30सुरेन्द्र वर्मा के उपन्यास'मुझे चाँद चाहिये'को १९९...सुरेन्द्र वर्मा के उपन्यास'मुझे चाँद चाहिये'को १९९६ का साहित्य अकादेमी पुरस्कार मिला था और यह काफी चर्चित हुआ था . मेरी जानकारी में तब तक सुरेन्द्र वर्मा की ख्याति एक नाटककार के रूप में ही थी किन्तु इस उपन्यास ने उन्हें एक शीर्ष कथाकार के रूप में में भी चर्चित कर दिया.<BR/><BR/>इस उपन्यास को मैंने कई बार पढा़ है .शुरू में तो इसकी नवीन कथाभूमि के कारण चमत्कॄत होता रहा किन्तु बाद में इसे अलग नजरिए से भी देखा , जहां कथ्य से ज्यादा अनकहे पर नजर रही.ाअज जब इस उपन्यास को समकालीन विमर्श से बाहर पाता हूं तो आश्चर्य होता है कि हिन्दी की पाठकीय बिरादरी की याददाश्त सचमुच कुछ छोटी है.<BR/><BR/>इस उपन्यास पर मैंने एक पर्चा तैयार किया था जो शिमला के एक कोर्स में प्रस्तुत किया गया था.आज आपकी समीक्षा पढ़कर लगा कि आप तो बहुत ही ऊँचे दरजे की एप्रिसिएशन क्वालिटी की मालिक हैं .अच्छा लगा , बहुत अच्छा. अपनी कुछ और पसंदीदा किताबों पर जरूर लिखें.siddheshwar singhhttps://www.blogger.com/profile/06227614100134307670noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-3468658467196737408.post-2767997809553602672008-11-18T21:07:00.000+05:302008-11-18T21:07:00.000+05:30आपने काफी मेहनत की है इस पोस्ट को लिखने में। इस कि...आपने काफी मेहनत की है इस पोस्ट को लिखने में। इस किताब को पढ़ने की उत्सुकता रखने वालों के लिए ये पोस्ट काफी उपयोगी होगी।<BR/><BR/>एक बात स्पष्ट करना चाहूँगा कि अपनी पोस्ट में मैंने उपन्यास के सिर्फ कुछ अंशों को बोझिल कहा था पूरे उपन्यास को नहीं। <BR/><BR/>वर्षा के अनूठे चरित्र के आलावा ये पुस्तक लेखक द्वारा रंगमंच और फिल्म जगत में कला के प्रति समर्पित कलाकारों की घुटन को ईमानदारी से उभारने के लिए याद की जाएगी।Manish Kumarhttps://www.blogger.com/profile/10739848141759842115noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-3468658467196737408.post-36991394783178974022008-11-18T14:20:00.000+05:302008-11-18T14:20:00.000+05:30अच्छी समीक्षा। इस उपन्यास को पढ़ते समय समय का ध्...अच्छी समीक्षा। इस उपन्यास को पढ़ते समय समय का ध्यान ही नहीं रहता। बहुत रोचक और संग्रहणीय उपन्यास है।Suneel R. Karmelehttps://www.blogger.com/profile/03638450569979915656noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-3468658467196737408.post-20864357959370070542008-11-18T11:27:00.000+05:302008-11-18T11:27:00.000+05:30ये किताब मेरी पसंदीदा किताबों में से एक है।आप इसे ...ये किताब मेरी पसंदीदा किताबों में से एक है।<BR/>आप इसे जितनी बार पढ़ेंगी, बहुत सी बातें कई नए आयाम खोलती नजर आएंगी।<BR/>समीक्षा वाकई अच्छी है।Sanjeet Tripathihttps://www.blogger.com/profile/18362995980060168287noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-3468658467196737408.post-73132735952493916212008-11-17T23:21:00.000+05:302008-11-17T23:21:00.000+05:30"मुझे चाँद चाहिए" वर्मा जयी कालजयी पुस्तक है...आप ..."मुझे चाँद चाहिए" वर्मा जयी कालजयी पुस्तक है...आप ने बहुत अच्छा विश्लेषण किया है...हर हिन्दी पुस्तक प्रेमी को ये उपन्यास पढ़ना चाहिए...साधुवाद आपको इस पुस्तक पर प्रकाश डालने पर.<BR/>नीरजनीरज गोस्वामीhttps://www.blogger.com/profile/07783169049273015154noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-3468658467196737408.post-61998492197041201732008-11-17T23:10:00.000+05:302008-11-17T23:10:00.000+05:30वाकई पढ़ना पड़ेगाअब तोखैर ढूंढते हैवाकई पढ़ना पड़ेगा<BR/>अब तो<BR/>खैर <BR/>ढूंढते हैयोगेन्द्र मौदगिलhttps://www.blogger.com/profile/14778289379036332242noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-3468658467196737408.post-79378562280072941132008-11-17T14:18:00.000+05:302008-11-17T14:18:00.000+05:30महक जी, महेंद्र जी, रतन जी, लावण्या दी, कुश जी, मक...<B>महक जी, महेंद्र जी, रतन जी, लावण्या दी, कुश जी, मकरंद जी, ज़ाकिर जी</B>धन्यवाद! <BR/><BR/><B>समीर जी !</B> अनूप जी अवश्य मेहरबान होंगे..! <BR/><BR/><B>रंजना जी </B>शीघ्र पढ़िये तो मिल कर चर्चा करे :)। <BR/><BR/><B>जी अनुराग जी</B> मैने इसका पेपरबैक संस्करण ही पढ़ा हैं।<BR/><BR/><B>अभीषेक जी </B> क्या पढ़ना पड़ेगा..? लंबी समीक्षा...या पुस्तक..??? :) <BR/><BR/><B>मसिजीवी जी!</B> आपके टिप्पणियाँ महत्वपूर्ण होती हैं मेरे लिये। धन्यवाद! <BR/><BR/><B>अजीत जी</B> किसी भी विषय पर स्वस्थ बहस कभी भी की जा सकती है.. दुस्साहसी होना एक आवश्यक तत्व है, यह कहना मेरा अर्थ नही था, लेकिन उपन्यास पढ़ेंगे तो जानेंगे कि वर्षा ने जो निर्णय लिया वो सामान्य लीक पर चलने वाले शायद नही ही ले पाए..! शुरू से स्वभाव में कुछ विशेष होना चाहिये था..! बाकि एक सार्थक बहस हेतु आपका सदैव स्वागत है :)<BR/><BR/><B>राजरिशी जी</B> बहुत अच्छा लगा आपके अनुभव में शरीक होना।<BR/><BR/>सही कहा <B>पारुल</B> तुम से चर्चा के बाद बहुत अलग अनुभव रहे उस दिन के..! चरित्र को समझने में तुमने बहुत मदद की।<BR/><BR/><B>सिद्धार्थ जी</B> अवश्य पढ़ेंकंचन सिंह चौहानhttps://www.blogger.com/profile/12391291933380719702noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-3468658467196737408.post-59003173112522980242008-11-17T14:14:00.000+05:302008-11-17T14:14:00.000+05:30समीक्षा का यह निराला अंदाज है, जो उपन्यास के बारे ...समीक्षा का यह निराला अंदाज है, जो उपन्यास के बारे में बहुत कुछ कह देता है।adminhttps://www.blogger.com/profile/09054511264112719402noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-3468658467196737408.post-61549860756029111642008-11-16T21:19:00.000+05:302008-11-16T21:19:00.000+05:30इस किताब के बारे में सुना तो था, लेकिन पढ़ना नहीं ह...इस किताब के बारे में सुना तो था, लेकिन पढ़ना नहीं हो पाया था। आप की समीक्षा पढ़ ली। अब उसे ढूँढता हूँ। आभार।सिद्धार्थ शंकर त्रिपाठीhttps://www.blogger.com/profile/04825484506335597800noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-3468658467196737408.post-12477012280614457442008-11-16T11:44:00.000+05:302008-11-16T11:44:00.000+05:30itminaan se padhna chaah rahi thii..isliye aaraam ...itminaan se padhna chaah rahi thii..isliye aaraam se aayi huun aaj..varsha ko lekar tumari uhaa-poh dekh chuki huun..paatron se jud janey ke baad ye svabhaavik bhi hai!!पारुल "पुखराज"https://www.blogger.com/profile/05288809810207602336noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-3468658467196737408.post-10150294774036012052008-11-15T16:53:00.000+05:302008-11-15T16:53:00.000+05:30कंचनजी धन्यवाद , इतनी प्यारी समीक्षा के लिए. मैने ...कंचनजी धन्यवाद , इतनी प्यारी समीक्षा के लिए. <BR/>मैने ये किताब दो साल पहले खरीदी थी और तबसे आजतक इसे 3 बार पढ़ चुकी हूँ. <BR/>सचमुच इसे पढ़ते हुए मै हर नई बात पर चकित हो जाती थी की लेखक ने ये कहानी कैसे लिखी होगी, <BR/>इसके लिए उनकी जानकारियों का स्तर कितना उँचा रहा होगा, एक आम ग़रीब परिवार से लेकर रंगमंच <BR/>और मुंबई नगरी तक पहुचने वालों का संघर्ष, मायानगरी के अंदर की जानकारियाँ और सबसे बढ़कर वर्षा वशिष्ठ का चरित्र-चित्रण, सचमुच सबकुछ बहुत ही अभिभूत करने वाला है, <BR/>ये मेरी भी बहुत पसंदीदा पुस्तकों मे से एक है जिसे फ़ुर्सत पाते ही मै फिर से पढ़ना चाहूँगी.latahttps://www.blogger.com/profile/16624392004441143785noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-3468658467196737408.post-90396994929611315152008-11-15T15:28:00.000+05:302008-11-15T15:28:00.000+05:30bahut acchi katha samiksaregardsbahut acchi katha samiksa<BR/>regardsmakrandhttps://www.blogger.com/profile/14750141193155613957noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-3468658467196737408.post-3698188132619378382008-11-15T13:39:00.000+05:302008-11-15T13:39:00.000+05:30शानदार समीक्षा मुझे चाँद चाहिए में एक शानदार प्रवा...शानदार समीक्षा <BR/>मुझे चाँद चाहिए में एक शानदार प्रवाह है जिससे इसका विस्तार पता ही नही चलताroushanhttps://www.blogger.com/profile/18259460415716394368noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-3468658467196737408.post-70841981830857171592008-11-15T10:39:00.000+05:302008-11-15T10:39:00.000+05:30शानदार समीक्षा... ढूँढ के लाकर पढ़नी पड़ेगी..शानदार समीक्षा... ढूँढ के लाकर पढ़नी पड़ेगी..कुशhttps://www.blogger.com/profile/04654390193678034280noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-3468658467196737408.post-3073676708364685332008-11-14T22:31:00.000+05:302008-11-14T22:31:00.000+05:30कुछ बिसरी यादें ताजा हो गई.....ल्गभग ग्यारह वर्ष प...कुछ बिसरी यादें ताजा हो गई.....ल्गभग ग्यारह वर्ष पहले मुझे भेंट में ये किताब मिली थी.जिसने दी , वो मेरी जीवन-संगिनी है अभी.और उन्हीम दिनों ये सिरियल के रूप में भी आता था<BR/><BR/>...वो जवां रुमानी दिन और स्वतंत्रता-दिवस का विलक्षण उद्धरण,मेरे दिलों दिमाग पर कई-कई दिन तक छाया रहा..<BR/><BR/>और आपने ये देवनागरी में टिप्पणी टाइप करके,मुझे बेबाक कर दिया,,,गौतम राजऋषिhttps://www.blogger.com/profile/04744633270220517040noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-3468658467196737408.post-79643211971888155382008-11-14T22:22:00.000+05:302008-11-14T22:22:00.000+05:30कँचन जी आप ही से पहली दफे इस "बिन्दास नायिका वर्षा...कँचन जी <BR/>आप ही से पहली दफे इस <BR/>"बिन्दास नायिका वर्षा " <BR/>के बारे मेँ सुन रही हूँ <BR/>मनीष भाई का लिखा नहीँ पढा था - ये नये विचारोँ को दर्शाती कथा है <BR/>समीक्षा अच्छी की आपने ..<BR/>भारतीय समाज <BR/>निस्चय ही बदल रहा है <BR/>- स स्नेह,<BR/>लावण्यालावण्यम्` ~ अन्तर्मन्`https://www.blogger.com/profile/15843792169513153049noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-3468658467196737408.post-63540847266649032132008-11-14T22:01:00.000+05:302008-11-14T22:01:00.000+05:30नमस्कार कंचन जी,समीक्षा बहुत ही भावपूर्ण और बहाव ल...नमस्कार कंचन जी,<BR/>समीक्षा बहुत ही भावपूर्ण और बहाव लिए हुए है और साथ में दूसरों को पढने के लिए प्रेरित भी करती है. आपकी समीक्षा ने मुझे सोचने पर मजबूर कर दिया है और शायद ये उपन्यास पढने को लेकर एक अजीब सी बेचैनी भी.<BR/>और अंत में आपका ये कहना कि बड़े निर्णय लेने के लिए किसी का दुस्साहसी होना जरूरी है, एक नई बहस शुरू कर सकता है. <BR/><BR/>अजीतAnonymousnoreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-3468658467196737408.post-11180027568341060822008-11-14T21:57:00.000+05:302008-11-14T21:57:00.000+05:30अच्छी समीक्षा की है..अब पढ़ के बताएँगे!अच्छी समीक्षा की है..अब पढ़ के बताएँगे!pallavi trivedihttps://www.blogger.com/profile/13303235514780334791noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-3468658467196737408.post-31729593860213489152008-11-14T21:45:00.000+05:302008-11-14T21:45:00.000+05:30अच्छी समीक्षाअच्छी समीक्षाAnonymousnoreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-3468658467196737408.post-35299246515171491542008-11-14T21:14:00.000+05:302008-11-14T21:14:00.000+05:30यह पुस्तक जिन अलग अलग वजहों से अलग अलग पाठकों को ...यह पुस्तक जिन अलग अलग वजहों से अलग अलग पाठकों को झिंझोड़ती है वह मजेदार है। कई पाठक तो वर्षा के उस मौलिक आख्यान के परे ही नही जा पाते जो वह नैतिकता को लेकर खड़ा करती है।<BR/><BR/>पुस्तक पर आपके विचार और उथल पुथल अच्छी लगीमसिजीवीhttps://www.blogger.com/profile/07021246043298418662noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-3468658467196737408.post-69045302742661798232008-11-14T19:50:00.000+05:302008-11-14T19:50:00.000+05:30बड़ी लम्बी और अच्छी समीक्षा है. पढ़नी पड़ेगी.बड़ी लम्बी और अच्छी समीक्षा है. पढ़नी पड़ेगी.Abhishek Ojhahttps://www.blogger.com/profile/12513762898738044716noreply@blogger.com