tag:blogger.com,1999:blog-3468658467196737408.post5218857571737915524..comments2024-02-22T15:46:48.368+05:30Comments on हृदय गवाक्ष: पद्मश्री श्री के०पी० सक्सेना का फलीभूत आशीर्वादकंचन सिंह चौहानhttp://www.blogger.com/profile/12391291933380719702noreply@blogger.comBlogger11125tag:blogger.com,1999:blog-3468658467196737408.post-80669832843408784502008-01-31T22:01:00.000+05:302008-01-31T22:01:00.000+05:30is me jo bhi likha wo mene nahi padha....kyun ki.....is me jo bhi likha wo mene nahi padha....kyun ki...meri aarzu apki tasveer dekhne ki thi jo puri hui..... main us chetna ka aavaran dekhna chahta tha jiske andar itni praval laun (Jyoti) hai....राकेश जैनhttps://www.blogger.com/profile/05865088324047258223noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-3468658467196737408.post-22170614479247844472008-01-25T13:03:00.000+05:302008-01-25T13:03:00.000+05:30अन्नपूर्णा जी एवं ओझा जी बहुत बहुत धन्यवादअनुराधा ...अन्नपूर्णा जी एवं ओझा जी बहुत बहुत धन्यवाद<BR/><BR/>अनुराधा जी एवं पारुल जी कविता तो मेरे ब्लॉग पर प्रकाशित ही हो चुकी है जिनके लिंक निम्नवत है... जब तक स्कैन्ड कविता नही आती तब तक इसी से काम चलाएं<BR/><BR/><BR/>http://kanchanc.blogspot.com/2007/06/blog-post_18.html<BR/>http://kanchanc.blogspot.com/2007/06/blog-post_19.html<BR/><BR/>अनिल जी आपका ब्लॉग हम लोगो के लिये अंजान नही है.... अक्सर वहाँ आना जाना होता रहता है...भले कोई सबूत न छोड़ा जाये।<BR/><BR/>मेरी प्यारी गरिमा तुम कहाँ खो गई थी....! मैने तुम्हे बहुत ढूढ़ा..और चलो खोज भी लिया!<BR/><BR/>हाँ यूनुस जी जिस तरह से उन्होने अपनी उम्र ७५ के लगभग बताई उसे देखते हुए कुछ अधिक वृद्ध अवश्य लग रहे है..लेकिन ५ जनवरी से आज २५ तक मैं उन्हें ढूढ़ नही पाई हूँ..तो समझ लीजिये कि कितनी ऊर्जा से काम कर रहे हैं अब तक।<BR/><BR/>रवीन्द्र जी आपके सुझाव पर ध्यान दूँगी..लेकिन पहले बाताया होता कि आपने क्या गलतफहमी पाल रखी है तो पोस्ट न पब्लिश करती भ्रम तो बरकार रहता.... ):p <BR/><BR/>मनीष जी पोस्ट आते आते बहुत सी बातें रह गईं या संपादित कर के पेश की गई, लेकिन सम्मानित होने के बाद आपको जो पहला मेल भेजा था वो बहुत ही natural था। इन सब चीजों में आपका मानसिक सहयोग बहुत काम आया...बहुत बहुत धन्यवादकंचन सिंह चौहानhttps://www.blogger.com/profile/12391291933380719702noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-3468658467196737408.post-47963384755486128522008-01-24T01:15:00.000+05:302008-01-24T01:15:00.000+05:30बहुत बहुत बधाई !काफी दिनों से इंतज़ार था इस वृत्ता...बहुत बहुत बधाई !<BR/>काफी दिनों से इंतज़ार था इस वृत्तांत का। सीनियर इंडिया का वो अंक तो मेरे हाथ नहीं लग सका, पर इसने जरूर एक टॉनिक का काम किया है आपके लिए. आपका लेखन जैसा है उस हिसाब से ऍसी कई उपलब्धियाँ आपका इंतज़ार कर रहीं हैं। रवीन्द्र जी की सलाह को ध्यान में रखें और सतत लेखन करती रहें यहीं मेरी कामना है।Manish Kumarhttps://www.blogger.com/profile/10739848141759842115noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-3468658467196737408.post-86514550795886384352008-01-23T00:05:00.000+05:302008-01-23T00:05:00.000+05:30बधाई हो कंचन जी। ऐसा हर किसी के साथ होता है। रचनाय...बधाई हो कंचन जी। ऐसा हर किसी के साथ होता है। रचनायें वापस आती हैं, इसका मतलब यह कतई नहीं कि वह रचना बेकार है, बल्कि हर अखबार या पत्रिका का अपना नेचर होता है। रचनायें चुनने का एक तरीका होता है। मैं एक टिप्स देना चाहूंगा जिसे अपनाकर मैं अपनी ढेर सारी रचनायें अच्छे पत्र-पत्रिकाओं में प्रकाशित करवा सका। ऐसा करें कि जिस पत्र या पत्रिका में आप रचना भेजना चाह रही हैं पहले उसकी रचनाओं को कुछ अंकों तक पढ़ें। आपको खुद ही पता चल जाएगा कि उसमें किस नेचर की रचनायें छपती हैं। इस तरह आप अपनी रचनाओं को वर्गीकृत कर लें और पत्र-पत्रिका के नेचर के हिसाब से प्रकाशनार्थ प्रेषित करें। मुझे उम्मीद है आपकी रचनायें अवश्य प्रकाशित होंगी। वह मैं इसलिये भी कह रहा हूं कि मैं खुद आपके लेखन से काफी प्रभावित हुआ। सच कहूं तो शुरू में मैं समझता था कि आप कोई बहुत ही वरिष्ठ लेखक होंगी। लेकिन इस उम्र में आप इतना अच्छा लिख रहीं तो यकीनन बधाई की पात्र हैं। एक बार फिर मुबारकबाद। केपी सक्सेना जी के साथ आपको देखकर बेहद अच्छा लगा।Anonymoushttps://www.blogger.com/profile/09390660446989029892noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-3468658467196737408.post-32433402534398798502008-01-22T00:06:00.000+05:302008-01-22T00:06:00.000+05:30bahut bahut badhaayi...hamari KANCHAN ko...kavita ...bahut bahut badhaayi...hamari KANCHAN ko...kavita ka intzaar rahegaa.......पारुल "पुखराज"https://www.blogger.com/profile/05288809810207602336noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-3468658467196737408.post-47300433278752993062008-01-21T21:08:00.000+05:302008-01-21T21:08:00.000+05:30मुबारक हो । के पी जी काफी वृद्ध लगे । बहुत दिनों ब...मुबारक हो । के पी जी काफी वृद्ध लगे । बहुत दिनों बाद उनकी तस्वीर दिखी ।Yunus Khanhttps://www.blogger.com/profile/12193351231431541587noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-3468658467196737408.post-25938063677343476382008-01-21T16:55:00.000+05:302008-01-21T16:55:00.000+05:30लो दीदी आपने बुलाया और मै चली आयी :)कविता छपने के ...लो दीदी आपने बुलाया और मै चली आयी :)<BR/><BR/>कविता छपने के लिये ले लो ढ़ेरो बधाई<BR/>और बताओ कब खिलाओगी मिठाई :P<BR/><BR/>दीदी आजकल याहू पर जाना बन्द है, जी मेल आई डी है "ए वी ग्रुप @ जीमेल. कॉम "<BR/><BR/>अगर आप वहॉ आती होगी तो फिर मिलते हैं :)गरिमाhttps://www.blogger.com/profile/12713507798975161901noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-3468658467196737408.post-64854982548432710762008-01-21T15:43:00.000+05:302008-01-21T15:43:00.000+05:30कचन जी,जिस दौर से आप गुजरी हैं, मैं भी उसी दौर से ...कचन जी,<BR/><BR/>जिस दौर से आप गुजरी हैं, मैं भी उसी दौर से गुजर चुका हूं - सालों-साल ।पर मैंने हिम्मत नहीं हारी थी । अंतत: मुझे सफलता मिली और मेरी कविताएँ सरिता/मुक्ता इत्यादि में छपीं । पर अंत में पाया कि साहित्य की ये दुनिया राजनीति से भरपूर है । इसलिये मैंने छपने के लिये भेजना बंद कर दिया । मैं समझता हूं कविता मैं अपनी संतुष्टि के लिये लिखता हूँ । मुझे अंतत: ब्लाग का माधय्म मिल गया ।अब जो कुछ भी लिखता हूँ, ब्लाग पर पोस्ट कर देता हूँ । यदि आप जैसे किसी पढ़ने वाले को पसंद आये तो मन को सुकुन मिल जाता है ।डॉ० अनिल चड्डाhttps://www.blogger.com/profile/05113649126978140864noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-3468658467196737408.post-54130017205516509882008-01-21T15:27:00.000+05:302008-01-21T15:27:00.000+05:30बधाई ......कविता भी पढवाती तो ज्यादा खुशी होती.बधाई ......कविता भी पढवाती तो ज्यादा खुशी होती.anuradha srivastavhttps://www.blogger.com/profile/15152294502770313523noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-3468658467196737408.post-24273348387256977082008-01-21T14:17:00.000+05:302008-01-21T14:17:00.000+05:30कविता छपने की बधाई !कविता छपने की बधाई !Abhishek Ojhahttps://www.blogger.com/profile/12513762898738044716noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-3468658467196737408.post-60142838087894495552008-01-21T13:43:00.000+05:302008-01-21T13:43:00.000+05:30बहुत भावुकता से लिखा आपने। अच्छा लगा।के पी सक्सेना...बहुत भावुकता से लिखा आपने। अच्छा लगा।<BR/><BR/>के पी सक्सेना के हम बहुत बड़े पंखे (फैन) है। उनका आशीर्वाद ज़रूर फलेगा।<BR/><BR/>शुभकामनाएं !<BR/><BR/>सस्नेह<BR/>अन्नपूर्णाannapurnahttps://www.blogger.com/profile/05503119475056620777noreply@blogger.com