tag:blogger.com,1999:blog-3468658467196737408.post3912345732417937085..comments2024-02-22T15:46:48.368+05:30Comments on हृदय गवाक्ष: बिखरी कहानी के बादकंचन सिंह चौहानhttp://www.blogger.com/profile/12391291933380719702noreply@blogger.comBlogger31125tag:blogger.com,1999:blog-3468658467196737408.post-6027120327185867682009-08-13T04:30:56.658+05:302009-08-13T04:30:56.658+05:30कंचनजी, एकही झटके मे मैने पुरी कहानी पढी। मसला गंभ...कंचनजी, एकही झटके मे मैने पुरी कहानी पढी। मसला गंभीर,सच्चे जीवनमान का होते हुए भी आपने संयत रूपसे सम्हाला हैं। रोनेधोनेसे जीवन की समस्याए हल नही होती उनसे जैसे तैसे जूझनाही पडता है,य आपकी दोनो किरदारोंमे अपने बखुबी दिखाया- मुझे बहोत पसंद आया। आपकी और भी रचनाए पढ रही हूं, टिप्पणीयां देती रहूंगी। प्रशंसा के साथ शुभकामनायें। मुलाकात होती रहेगी।भानसhttps://www.blogger.com/profile/06932709496057752574noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-3468658467196737408.post-17872510685508708402009-06-16T16:05:16.169+05:302009-06-16T16:05:16.169+05:30bahut hi achi kahani hai ......bahut hi achi kahani hai ......Swetahttps://www.blogger.com/profile/02619879171897952808noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-3468658467196737408.post-20552841818020655732009-06-09T15:26:38.452+05:302009-06-09T15:26:38.452+05:30kanchan ji kabhi apni awaaz mein koi rachna jarur ...kanchan ji kabhi apni awaaz mein koi rachna jarur sunayeeyega..podcasting mein koi help chaheeye to main jitna janti hun utni help kar sakti hun.Alpana Vermahttps://www.blogger.com/profile/08360043006024019346noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-3468658467196737408.post-1797014005633795732009-06-08T10:18:27.674+05:302009-06-08T10:18:27.674+05:30ज्यादा कुछ तो नहीं जानता मैं इस बारे में मगर इतना ...ज्यादा कुछ तो नहीं जानता मैं इस बारे में मगर इतना कहना चाहूंगा कि आपकी कहानी ने दिल को छू लिया...आरम्भ से अंत तक पढ़ते हुए रोचकता बनी रही, और इसी बीच कब कहानी ख़त्म हो गयी पता ही नहीं चला.....<br /><br />साभार<br /><a href="http://woyaadein.blogspot.com/" rel="nofollow">हमसफ़र यादों का.......</a>Anonymousnoreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-3468658467196737408.post-36337421691599549492009-06-06T07:47:28.701+05:302009-06-06T07:47:28.701+05:30ओह! तो आप इतनी अच्छी कहानियां लिखती हैं...कहानी का...ओह! तो आप इतनी अच्छी कहानियां लिखती हैं...कहानी का प्रवाह अंत तक बांधे रखता है। एक बार जो पढ़ना शुरू करे वो पूरा किये बिना बीच से नहीं छोढ़ सकता। लिखती रहें...यही आपका कलम के प्रति सच्चा न्याय होगा।रविकांत पाण्डेयhttps://www.blogger.com/profile/14687072907399296450noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-3468658467196737408.post-29658030796856608592009-06-05T23:45:03.842+05:302009-06-05T23:45:03.842+05:30ak achhi khaniak achhi khaniशोभना चौरेhttps://www.blogger.com/profile/03043712108344046108noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-3468658467196737408.post-76782086430876264172009-06-04T00:26:13.728+05:302009-06-04T00:26:13.728+05:30हम्म्म्म्म्म्म्म
दिलचस्प टिप्पणियां....हम्म्म्म्म्म्म्म<br />दिलचस्प टिप्पणियां....गौतम राजऋषिhttps://www.blogger.com/profile/04744633270220517040noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-3468658467196737408.post-87986207623894207582009-06-03T22:12:09.789+05:302009-06-03T22:12:09.789+05:30प्रिय कंचन
कटु प्रतिक्रिया को भी मीठे और सहज अंद...प्रिय कंचन <br /><br />कटु प्रतिक्रिया को भी मीठे और सहज अंदाज से स्वीकार करने के लिए आभार !<br /><br />स्पष्टीकरण दिल को बहुत भाया !<br /> <br />बहुत बार ऐसा होता है कि जब रचनाकार सामने आकर पाठक/आलोचक से संवाद करता है तो दूरियां सिमट जाती हैं ! इस तरह से पाठक / आलोचक भी रचना प्रक्रिया से जुड़ जाता है ! रचनाकार का मानसिक द्वंद और उसके भीतर उमड़-घुमड़ रहे भाव सामने आते हैं तो अनेक प्रश्न स्वतः समाप्त हो जाते हैं ! <br /><br />एक ही कहानी पर अगर बड़जात्या और गोविन्द निहलानी साहब फिल्म बनायेंगे तो दोनों का ट्रीटमेंट अलग होगा !हर एक की अपनी अलग शैली होती है हर एक की अपनी पसंद !प्रकाश गोविंदhttps://www.blogger.com/profile/15747919479775057929noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-3468658467196737408.post-11130693419996801452009-06-03T21:48:04.208+05:302009-06-03T21:48:04.208+05:30संजीदा कहानी है, पात्र मुखरित हैं परिदृश्य और परिव...संजीदा कहानी है, पात्र मुखरित हैं परिदृश्य और परिवेश का निर्माण कहानी सहजता से करती है चूँकि कहानी किसी अन्य लेखक के शब्दों को आगे बढाती है इसलिए और भी महत्वपूर्ण है कि किस तरह से आपने उसको आत्मसात किया होगा और आप अपनी संवेदना और समझ को उस स्तर तक कैसे ले गयी होंगी? कहानी की बधाईके सी https://www.blogger.com/profile/03260599983924146461noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-3468658467196737408.post-42697169914645056662009-06-03T17:28:07.332+05:302009-06-03T17:28:07.332+05:30कहानी प्रवाह लिए हुए है.. गौतम जी को अभी पढूंगा.. ...कहानी प्रवाह लिए हुए है.. गौतम जी को अभी पढूंगा.. मुझे कहानी अच्छी लगी.. अंत भी सही लगा.. पर कुछ लोगो का मूल भाव से हटकर किसी और सोच की तरफ जाना ठीक नहीं लगा.. स्क्रिप्ट राइटिंग के गुण तो है आपमें..कुशhttps://www.blogger.com/profile/04654390193678034280noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-3468658467196737408.post-8134013717046965972009-06-03T13:51:10.189+05:302009-06-03T13:51:10.189+05:30आप सभी लोगों का अपनी बेबाक एवं सच्ची टिप्पणी देने ...आप सभी लोगों का अपनी बेबाक एवं सच्ची टिप्पणी देने का शुक्रिया....!<br /><br />गौतम जी की पोस्ट का असर कुछ ऐसा था कि साज़िया बार बार आँखों के सामने से गुज़र जाती थी। पता नही उनकी साज़िया का व्यक्तित्व कैसा होगा, वो मेरी तरह ही जिंदगी के फलसफों को समझने में इतना समय लगाती होगी या नही, जितना विवश मैने उसे समझा, पता नही वो खुद को इतना विवश समझती होगी या नही, मगर मुझे बहुत विवश लगी वो। मुझे लगा कि अपने दो दो भाइयों को गँवाने के बाद जिस औरत को उसी की दी हुई रोटी पर जीना पड़ रहा है, जो उसकी घर की तबाही का कारण है। उसका वो शौहर जिस से उसने मुहब्बत की थी, उसे छोड़ के चला गया तो कहीं न कहीं ये फौजी भी जिम्मेदार थे उस के। इस के बावज़ूद वो विवश है उसी रोटी से अपना पेट भरने को। मुझे लगा कि ये उसका जिम्मेदार व्यक्तित्व ही है जो शब्बीर को शादीशुदा होने के बावजूद अपनी बहन से निक़ाह करने का बार बार निमंत्रण देता है, क्योंकि शायद वो जानती है कि उससे अच्छा शौहर उस की बहन को कोई मिल ही नही सकता या फिर उन भक्षक जिहादियों से बचाकर वो उसे किसी रक्षक के हाथ में सौपना चाहती है। फिर इस बात का भी दुःख हुआ कि जब उसे पता चलेगा कि जिस शब्बीर के ऊपर वो इतना विश्वास करती है कि अपनी नाजुक बहन को उसे सौंपने में भी नही हिचकती, जब उसे पता चलेगा कि उस शब्बीर की आइडेंटिटी ही गलत है तो शायद बहुत आहत हो उसका मन....! और फिर वो सकीना जो कहानी में कहीं है ही नही, मगर कहानी की मुख्य पात्र है, क्या उसने कभी शब्बीर के विषय में नही सोचा होगा..उस पर क्या बीतेगी जब वो हकीकत जानेगी। <br /><br />सच है..! आदमी इतना भी कमजोर नही होता कि इन छलावो के बाद अपनी जान दे दे। मगर अगर इस कहानी को कहानी ही बनाना था तो अंत तो करना ही था सुखांत सच कहूँ तो अब भी नही समझ में आ रहा, हाथ में कलम है तो कर तो कुछ भी दूँ लेकिन जब तक अपनी आत्मा ना गवाही दे कैसे कर दूँ। किसी और से मिलवा दूँ, तो गौतम जी तो सिर्फ सूत्रधार ही रह जायेंगे। अपने वीर जी को इतना गौड़ कैसे कर दूँ। जिनके लिये जब मैने साज़िया के पिता के मुँह से बद्दुआएं निकलवाईं तो हाथ कुछ देर को ठहर गये और फिर उन्हे बहुत ही संयत किया कि <b>"खुदा तेरा हिसाब करेगा।" </b> क्योंकि पता था खुदा के हिसाब में उनका पलड़ा भारी पड़ेगा। <br /><br />दूसरी कमी जो सब को लगी वो थी भावनात्मक अधिकता की। उसे शायद सब से अच्छी तरह समझा है अनुराग जी ने। अगर मैं भावनाओं के अलावा कुछ लिख पाती, तो इतने दिनो से हर बार लोगो की उलाहनाएं क्यो सुन रही होती ? मेरे लेखन की सबसे बड़ी कमजोरी ही ये है, कि मैं रोती धोती ज्यादा हूँ। मगर बदलना चाहो तो सच्चाई नही रह जाती। बिना सच्चाई के लिखूँ तो पाठ्यक्रम सा लगने लगता है और मैं हाथ पर हाथ धर के बैठ जाती हूँ।<br /><br />तो ये था इस कहानी के ड्राफ्ट को चाह कर भी ना बदल पाने का जस्टिफिकेशन।<br /><br /><b>रंजना (रंजू) जी, अशोक जी, प्रकाश जी, अनुमेहा जी </b> कहानी की उचित समीक्षा करने का धन्यवाद<br /><br /><b>अरविंद जी, योगेन्द्र जी, अर्श, घुघूती दी, लावण्या दी, अल्पना जी, दिगम्बर जी, अनिल जी, ओम जी, अभिषेक जी </b> कहानी की कमियों के बावजूद मेरा उत्साहवर्द्धन करने का शुक्रिया।<br /> <br />वीर जी की तो मजबूरी थी इतने वोरोधी देख कर अनुजा को संभालने की।<br /><br /><b>अनुराग जी </b> कहानी नही, मुझे और मेरी सीमाएं समझने का शुक्रिया। ..और संयोग से <b> यहाँ </b> फिल्म मैने गौतम जी को जानने के बाद देखी थी और उन्हे तुरंत मैसेज भी भेजा था कि ये फिल्म आपकी याद दिला रही है मुझे।<br /><br /><b>मनीष जी..। </b> कम से क आपको तो नही समझाना पड़ेगा कि कभी भी विषय मैं नही चुनती हमेशा विषय मुझे चुनते हैं।कंचन सिंह चौहानhttps://www.blogger.com/profile/12391291933380719702noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-3468658467196737408.post-24984752290167119692009-06-03T00:27:29.110+05:302009-06-03T00:27:29.110+05:30story sundar hai lekin 'prakash govind' ji kee baa...story sundar hai lekin 'prakash govind' ji kee baat sahi lag rahi hai ki bhaavukta jyada aa gayi hai. story ka 'the end' prabhavit nahi karta.Anumehahttps://www.blogger.com/profile/12776212589121963540noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-3468658467196737408.post-87861070591434804742009-06-03T00:24:15.656+05:302009-06-03T00:24:15.656+05:30कल ये पोस्ट पढ़ी थी. फिर गौतमजी की पोस्ट पढने चला ...कल ये पोस्ट पढ़ी थी. फिर गौतमजी की पोस्ट पढने चला गया... तब से कई बार ये दोनों पोस्ट दिमाग में घूम-फिर कर आये. और क्या कहूं ! मुझे तो एक-एक बात सच्ची घटना सी लग रही है... जीवंत कहानी!Abhishek Ojhahttps://www.blogger.com/profile/12513762898738044716noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-3468658467196737408.post-58272718920217706372009-06-02T20:18:10.832+05:302009-06-02T20:18:10.832+05:30जी हाँ मनीष जी यहाँ का ही जिक्र है ...जी हाँ मनीष जी यहाँ का ही जिक्र है ...डॉ .अनुरागhttps://www.blogger.com/profile/02191025429540788272noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-3468658467196737408.post-47922092845004128722009-06-02T19:48:18.127+05:302009-06-02T19:48:18.127+05:30कहानी का ताना बाना अच्छा बुना है पात्र के आपसी संव...कहानी का ताना बाना अच्छा बुना है पात्र के आपसी संवादों के साथ । पर विषय कुछ नया सा चुना होता तो ज़्यादा बेहतर होता। अनुराग जी आप शायद यहाँ फिल्म की बात कर रहे हैं।Manish Kumarhttps://www.blogger.com/profile/10739848141759842115noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-3468658467196737408.post-78379736694366471852009-06-02T17:42:46.684+05:302009-06-02T17:42:46.684+05:30बहुत ही सुन्दर रचनाबहुत ही सुन्दर रचनाओम आर्यhttps://www.blogger.com/profile/05608555899968867999noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-3468658467196737408.post-51286243713487914732009-06-02T14:23:31.838+05:302009-06-02T14:23:31.838+05:30behtreen likha hai...mujhe bahut bahut bahut pasan...behtreen likha hai...mujhe bahut bahut bahut pasand aayi yeअनिल कान्तhttps://www.blogger.com/profile/12193317881098358725noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-3468658467196737408.post-80708365670242693462009-06-02T13:57:42.215+05:302009-06-02T13:57:42.215+05:30गौतम की कहानी ऐसी कहानी है जिसमे लेखक स्वंय पात्र ...गौतम की कहानी ऐसी कहानी है जिसमे लेखक स्वंय पात्र रहते हुए भी कहानी में दखल नहीं करता .न्यूट्रल दृष्टि से एक घटना को ..गुजरते देखता है ....सच कहूँ तो मन होता है उस पर एक शोर्ट फिल्म बना लूँ ......<br /><br />अब आप पर आते है ....हर यथार्थ अपने भीतर अनेक सीक्रेट समेटे है ...एक घटना किसी एक काल में जब घटती है ..तो उसके आस पास ओर उस घटना से जुड़े सभी लोगो के लिए वो घटना अपने अपने रूपों में भिन्न होती है ..उसके बाद उनके जीवन में पड़ने वाले प्रभाव .....<br />यानी एक घटना की कई व्याख्या होती है....कई अर्थ होते है .....<br />आपकी कल्पनाओं की उडान ऊँची है .एक कहानी को पढ़कर तुंरत एक कहानी बुन लेना ..यानि अवचेतन मन में कही कुछ ऐसा था जो शायद कई दिनों से पड़ा था ..अचानक किन्ही पात्रो के जरिये ....हाँ थोडी भावुकता ज्यादा है .पर कंचन से वो स्वाभाविक है ...सिगरेट के वक़्त पहली मुलाकात बेहद दिलचस्प है ..उसके बाद भावुक हो गयी है.....<br /> इस कहानी का अंत सुखद नहीं हो सकता ....आपने इसमें एक ट्विस्ट दिया है ...आपकी कहानी पढ़कर एक फ्रेंच कहानी याद आ गयी....बस उसमे मुख्या पात्र डॉ ओर नर्सेस थे......डॉ .अनुरागhttps://www.blogger.com/profile/02191025429540788272noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-3468658467196737408.post-56160304772404753532009-06-02T12:16:07.709+05:302009-06-02T12:16:07.709+05:30कहानी बहुत ही संवेदनशील है.........मन को छूकर गुज़...कहानी बहुत ही संवेदनशील है.........मन को छूकर गुज़र गयी...............काश्मीर की वादियाँ उतर गयीं दिल में ...........दिगम्बर नासवाhttps://www.blogger.com/profile/11793607017463281505noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-3468658467196737408.post-82315539720659888322009-06-02T10:34:55.523+05:302009-06-02T10:34:55.523+05:30कंचन जी ,कल ही गौतम जी की कहानी पढ़ी थी और उनसे उस ...कंचन जी ,कल ही गौतम जी की कहानी पढ़ी थी और उनसे उस की अगली किस्त लिखने को कहा था..अभी आप की यह कहानी पढ़ी जो उस के अलगे भाग के रूप में है.<br />कल्पना के सहारे आप ने इतने कम समय में यह कहानी तैयार कर दी!बहुत खूब!<br />कहानी का अंत मार्मिक है और देर तक छाप छोडे हुए है.Alpana Vermahttps://www.blogger.com/profile/08360043006024019346noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-3468658467196737408.post-75967072093362428522009-06-02T01:11:52.539+05:302009-06-02T01:11:52.539+05:30गौतम भाई की कहानी अब देखूँगी ..ये कहानी मेँ माहौल ...गौतम भाई की कहानी अब देखूँगी ..ये कहानी मेँ माहौल बहुत सही पैदा किया है इस्लिये लेखन की सफलता ही कहूँगी मैँ इसे -<br /> स्नेहाशिष,<br />-- लावण्यालावण्यम्` ~ अन्तर्मन्`https://www.blogger.com/profile/15843792169513153049noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-3468658467196737408.post-85973525256534080362009-06-02T00:35:13.216+05:302009-06-02T00:35:13.216+05:30जहाँ धर्म आड़े आ जाए वहाँ चाहने पर भी कहानी को सुन्...जहाँ धर्म आड़े आ जाए वहाँ चाहने पर भी कहानी को सुन्दर मोड़ पर नहीं पहुँचाया जा सकता। वैसे शायद यह कहानी कोई और दिशा ले ही नहीं सकती थी चाहे मृत्यु न भी होती।<br />घुघूती बासूतीghughutibasutihttps://www.blogger.com/profile/06098260346298529829noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-3468658467196737408.post-86533860152138783402009-06-02T00:07:16.978+05:302009-06-02T00:07:16.978+05:30तुम्हारी अद्भुत कल्पनाशीलता का तुम्हारी लेखनी खूब...तुम्हारी अद्भुत कल्पनाशीलता का तुम्हारी लेखनी खूब साथ निभाती है...<br />दरअसल लोगों को दुखद अंत कभी नहीं भाता, अंत तो इस कहानी का और भी दुखद है, वैसा नहीं जैसा तुमने लिखा है। कुछ एकदम ही अलग...<br /><br />वो साहिर लुधियानवी साब ने लिखा है ना<br /><B>वो अफ़साना जिसे अन्जाम तक लाना न हो मुमकिन / उसे एक ख़ूबसूरत मोड़ देकर छोड़ना अच्छा</B>गौतम राजऋषिhttps://www.blogger.com/profile/04744633270220517040noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-3468658467196737408.post-30695277971788879222009-06-01T22:53:57.424+05:302009-06-01T22:53:57.424+05:30MAIN IS SOCH ME HUN KYA IS TARAH SE ANT KARAANA SA...MAIN IS SOCH ME HUN KYA IS TARAH SE ANT KARAANA SAHI HAI... MAGAR KYUN NAHI HO SAKTAA YE BHI SOCH RAHAA HUN...<br /><br />HAR KISI KO MUKAMAAL JAHAAN NAHI MILTAA... YE SHE'R BARBAS YAAD AAGAYAA... MAGAR AAPKI KHUSURAT AADAAKAARI LEKHANI KE SATH BETARTIB AUR BEHAD UMDAA HAI SALAAM AAPKI LEKHANI KO...<br /><br /><br />ARSH"अर्श"https://www.blogger.com/profile/15590107613659588862noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-3468658467196737408.post-59987371679659334522009-06-01T22:30:49.991+05:302009-06-01T22:30:49.991+05:30कल्पना के आधार पर कहानी को आगे बढाने का सराहनीय प्...कल्पना के आधार पर कहानी को आगे बढाने का सराहनीय प्रयास किया है !<br /> <br />कहानी में भावनाओं को उभारने का अतिरिक्त प्रयास प्रतीत होता है ! भावुकता का समावेश कुछ ज्यादा ही हो गया है ! <br /><br />साजिया कोई आम लडकी नहीं थी, यह तो स्पष्ट है फिर उसका इस तरह का अंत दिखाना उचित नहीं लगता !<br /><br />एक बात तय है कि आपके अन्दर स्क्रिप्ट राईटिंग के सभी गुण विद्यमान हैं !यह अपने आप में कमाल की बात है ! <br />बधाई ! <br /><br /><B><A HREF="http://aajkiaawaaz.blogspot.com" REL="nofollow"> आज की आवाज </A></B>प्रकाश गोविंदhttps://www.blogger.com/profile/15747919479775057929noreply@blogger.com