tag:blogger.com,1999:blog-3468658467196737408.post1999633683410012619..comments2024-02-22T15:46:48.368+05:30Comments on हृदय गवाक्ष: भाग्यहीन कौनकंचन सिंह चौहानhttp://www.blogger.com/profile/12391291933380719702noreply@blogger.comBlogger10125tag:blogger.com,1999:blog-3468658467196737408.post-22136875855392346562009-08-09T00:09:32.743+05:302009-08-09T00:09:32.743+05:30तुमसे मिलने के बाद, तुम्हें जानने समझने के बाद, इस...तुमसे मिलने के बाद, तुम्हें जानने समझने के बाद, इस अद्भुत रचना का पूरा मंतव्य ही बदल गया है मेरे लिये तो......<br /><br />उफ़्फ़्फ़्फ़ !गौतम राजऋषिhttps://www.blogger.com/profile/04744633270220517040noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-3468658467196737408.post-2394179462636574112007-06-28T11:04:00.000+05:302007-06-28T11:04:00.000+05:30धन्यवाद दिनेश जी!धन्यवाद दिनेश जी!कंचन सिंह चौहानhttps://www.blogger.com/profile/12391291933380719702noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-3468658467196737408.post-3819621894458394342007-06-28T10:47:00.000+05:302007-06-28T10:47:00.000+05:30पसंद आई यह कविता,कविता के भाव, अभिव्यक्ति और उपसंह...पसंद आई यह कविता,<BR/>कविता के भाव, अभिव्यक्ति और उपसंहार...तीनों सटीक हैं और बहुत कुछ कहने में सक्षम हैंदिनेश पारतेhttps://www.blogger.com/profile/07532486672920525924noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-3468658467196737408.post-24825012045223136672007-06-21T11:04:00.000+05:302007-06-21T11:04:00.000+05:30मैथिली जी एवं शर्मा जी! उत्साहवर्द्धन के लिये हृदय...मैथिली जी एवं शर्मा जी! उत्साहवर्द्धन के लिये हृदय से धन्यवादकंचन सिंह चौहानhttps://www.blogger.com/profile/12391291933380719702noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-3468658467196737408.post-76011341848879681052007-06-20T05:49:00.000+05:302007-06-20T05:49:00.000+05:30"न कोई अर्जुन सा जीते, ना दुर्योधन सा हारे,ना कोई ..."न कोई अर्जुन सा जीते, ना दुर्योधन सा हारे,<BR/>ना कोई पुत्रों की बलि दे ना कोई साजन वारे,<BR/>क्या पूरा कर पाओगे प्रभु तुम ये मेरा मधुर सपन,<BR/>अब ना युद्ध करें धरती पर कोई भी मैं ना दुर्योधन!"<BR/><BR/>इस कविता को हम तक पहुंचाने के लिये धन्यवादमैथिली गुप्तhttps://www.blogger.com/profile/09288072559377217280noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-3468658467196737408.post-75923634422334714442007-06-20T01:58:00.000+05:302007-06-20T01:58:00.000+05:30सारी रचना बड़ी सुंदर है। अंतिम पंक्तियों में एक आद...सारी रचना बड़ी सुंदर है। अंतिम पंक्तियों में एक आदर्श-स्थिति दी गई है जहां दुःखदग्ध जगत और आनन्दपूर्ण स्वर्ग दोनों के एकीकरण का <BR/>आभास मिलता है।<BR/>सुंदर कविता के लिए धन्यवाद।महावीरhttps://www.blogger.com/profile/00859697755955147456noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-3468658467196737408.post-1011535694187883882007-06-19T14:05:00.000+05:302007-06-19T14:05:00.000+05:30यही तो मेरा मन भी अर्जुन बन के सोंच रहा था मनीष जी...यही तो मेरा मन भी अर्जुन बन के सोंच रहा था मनीष जी! और आज भी प्रश्न पर प्रश्न ही चले आ रहे हैं इस उम्मीद में कि कभी तो कोई कृष्ण बन कर उत्तर देगा !कंचन सिंह चौहानhttps://www.blogger.com/profile/12391291933380719702noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-3468658467196737408.post-62850518600781495202007-06-19T13:58:00.000+05:302007-06-19T13:58:00.000+05:30उत्साहवर्द्धन के लिये धन्यवाद मोहिन्दर जी! पौराणिक...उत्साहवर्द्धन के लिये धन्यवाद मोहिन्दर जी! पौराणिक अथवा समकालीन किसी भी विषय की वेदना जब आप जीने लगते हैं तब कविता स्वयं बह निकलती है ऐसा ही कुछ इस कविता के साथ भी हुआ |कंचन सिंह चौहानhttps://www.blogger.com/profile/12391291933380719702noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-3468658467196737408.post-76982419095513852482007-06-19T10:49:00.000+05:302007-06-19T10:49:00.000+05:30विचार कर रहा था उस वक्त कृष्ण क्या सोच रहे होंगे ?...विचार कर रहा था उस वक्त कृष्ण क्या सोच रहे होंगे ? सब तो उन्हीं का किया करवाया था एक व्यापक उद्देश्य की प्राप्ति के लिए ! पर उनके खुद के लिए क्या था इसमें ?Manish Kumarhttps://www.blogger.com/profile/10739848141759842115noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-3468658467196737408.post-31885194460284037122007-06-18T19:04:00.000+05:302007-06-18T19:04:00.000+05:30बहुत सुन्दर रचना है कंचंन जी,एक पौराणिक विषय पर लि...बहुत सुन्दर रचना है कंचंन जी,<BR/><BR/>एक पौराणिक विषय पर लिखना कुछ आसान नही होता... आप के लिखने से ही लगता है कि आप का शब्दकोष बहुत विस्त्रत है और लेखन में गहरायी हैMohinder56https://www.blogger.com/profile/02273041828671240448noreply@blogger.com