tag:blogger.com,1999:blog-3468658467196737408.post1449949537431737453..comments2024-02-22T15:46:48.368+05:30Comments on हृदय गवाक्ष: मुझे नज़र से डर लगता है।कंचन सिंह चौहानhttp://www.blogger.com/profile/12391291933380719702noreply@blogger.comBlogger40125tag:blogger.com,1999:blog-3468658467196737408.post-84069441135077488682010-01-26T10:22:16.075+05:302010-01-26T10:22:16.075+05:30ek bahut achchhi rachna padhne ko mili.
really gr8...ek bahut achchhi rachna padhne ko mili.<br />really gr8अनिल कान्तhttps://www.blogger.com/profile/12193317881098358725noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-3468658467196737408.post-5232984954838699552010-01-23T21:21:16.662+05:302010-01-23T21:21:16.662+05:30इस रचना और उस पर विज्ञ संवाद अभिभूत कर देने वाला ह...इस रचना और उस पर विज्ञ संवाद अभिभूत कर देने वाला है.पर जो अद्भुत सुन्दरता और काव्य परिपक्वता इसमें दिखाई देती है वह प्रशसनीय है.काव्यरचना के विविध पक्षों की व्याख्या विवेचना करना अलग बात है और उसको पढ़कर उसकी सुन्दरता को आत्मसात करना अलग बात है.यही पूर्णता बहुत आनंद देने वाली है.आपकी रचना का यह पक्ष बहुत प्रबल है.प्रकाश पाखीhttps://www.blogger.com/profile/09425652140872422717noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-3468658467196737408.post-80493494881308612422010-01-19T21:33:11.279+05:302010-01-19T21:33:11.279+05:30@ अंकित तुम कह रहे हो तो होगा ही मेरे भाई....!
व...@ अंकित तुम कह रहे हो तो होगा ही मेरे भाई....! <br /><br />वैसे मुझे लगा कि फूल खिलाना सर्जना है और उन्हे तोड़ कर चुनना, उससे रंग निकाल कर खुद को रंगना, उस की खुशबू में घुलना फूल का मर्दन है....!कंचन सिंह चौहानhttps://www.blogger.com/profile/12391291933380719702noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-3468658467196737408.post-736453763232725742010-01-19T16:15:09.172+05:302010-01-19T16:15:09.172+05:30इस गीत की शुरूआती पंक्तियाँ जादू कर रही हैं,
ये बं...इस गीत की शुरूआती पंक्तियाँ जादू कर रही हैं,<br />ये बंद पढ़कर मज़ा आ गया,<br />तुमने मन में फूल खिलाये, चुनने का अधिकार तुम्हे है,<br />रंगो रंग में और गंध में घुलने का अधिकार तुम्हे है,<br />मर्दन का अधिकार उसे है,<br />जो सर्जन का दम भरता है।<br />किसे अंत से डर लगता है ??<br />मगर क्या पहली दो पंक्तियाँ और उसके बाद वाली अलग अलग नहीं जा रही.<br />मगर आखिरी में यही कहना चाहूँगा NICE, Very niceAnkithttps://www.blogger.com/profile/08887831808377545412noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-3468658467196737408.post-70229677951967371922010-01-18T22:47:04.079+05:302010-01-18T22:47:04.079+05:30समर्पण का वह भाव जहां"मैं, तुम" का विसर्...समर्पण का वह भाव जहां"मैं, तुम" का विसर्जन हो जाता है, हमेंशा मुझे प्रिय रहा है। और जब इतने खूबसूरत भाव को कोई उतने ही सुंदर शब्दों में पिरो दे तो मैं निःशब्द हो जाता हूं। मिलन की तीव्र उत्कंठा से जिन गीतों का जन्म होता है वो सहज ही प्रभावोत्पादक होते हैं। अब इनके बीच आपस में क्या संबंध है ये तो भगवान ही जानें, पर पलटूदास का वो गीत अभी याद आ रहा है जहां मिलन की एक अद्भुत कल्पना की गई है-<br /><br />जोगिया के लाली-लाली अंखिया नु हो<br />जइसे कमल के फूल।<br />हमरो जे लाली चुनरिया नु हो<br />दूनो तूलमतूल॥<br />जोगिया के सोहे मृगछालावा नु हो<br />हमरो पट चीर।<br />दूनों मिलाय करबो गंठजोरिया नु हो<br />होखबो अलख फ़कीर॥रविकांत पाण्डेयhttps://www.blogger.com/profile/14687072907399296450noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-3468658467196737408.post-1123178231435192802010-01-18T22:37:52.628+05:302010-01-18T22:37:52.628+05:30अच्छा गीत हैअच्छा गीत हैशरद कोकासhttps://www.blogger.com/profile/09435360513561915427noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-3468658467196737408.post-19569442123445088442010-01-18T21:47:02.975+05:302010-01-18T21:47:02.975+05:30...बहुत सुन्दर, बेहद प्रसंशनीय रचना !!!!...बहुत सुन्दर, बेहद प्रसंशनीय रचना !!!!कडुवासचhttps://www.blogger.com/profile/04229134308922311914noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-3468658467196737408.post-57422902969409187412010-01-17T23:48:58.084+05:302010-01-17T23:48:58.084+05:30gudiyaa raani..
badi sayaani....
paaye hameshaa.....gudiyaa raani..<br />badi sayaani....<br /><br />paaye hameshaa...<br /><br />plus...<br />+<br />:)manuhttps://www.blogger.com/profile/11264667371019408125noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-3468658467196737408.post-3374536599153671882010-01-17T17:58:09.672+05:302010-01-17T17:58:09.672+05:30सुबह बहुत छोटी होती है, लंबी होती रात, दुपहरी,
कौन...सुबह बहुत छोटी होती है, लंबी होती रात, दुपहरी,<br />कौन भला ऐसा जीवन है, जिसमें मधुॠत हर पल ठहरी,<br />मधुॠतु को सारथी बना कर,<br />पतझड़ अपना रथ धरता है,<br />अब बसंत से डर लगता है।<br /><br /><br />निशब्द कर देने वाला गीतश्रद्धा जैनhttps://www.blogger.com/profile/08270461634249850554noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-3468658467196737408.post-29803871336666566452010-01-17T10:32:46.382+05:302010-01-17T10:32:46.382+05:30मर्दन का अधिकार उसे है,
जो सर्जन का दम भरता है।
कि...मर्दन का अधिकार उसे है,<br />जो सर्जन का दम भरता है।<br />किसे अंत से डर लगता है ??<br /><br />अटल सत्य!!<br /><br />बेहद खूबसूरत रचना।<br /><br />बधाई स्वीकारें।<br /><br />-विश्व दीपकविश्व दीपकhttps://www.blogger.com/profile/10276082553907088514noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-3468658467196737408.post-2263708972141906862010-01-17T09:19:16.796+05:302010-01-17T09:19:16.796+05:30लाजवाब बहुत सुन्दर ..निशब्द कर देने वाला गीत है यह...लाजवाब बहुत सुन्दर ..निशब्द कर देने वाला गीत है यह ..शुक्रियारंजू भाटियाhttps://www.blogger.com/profile/07700299203001955054noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-3468658467196737408.post-40945430426512359002010-01-16T23:02:16.285+05:302010-01-16T23:02:16.285+05:30पहली बार पढ़ा तो लगा इसे ठहर कर समय लेकर पढ़ने की आव...पहली बार पढ़ा तो लगा इसे ठहर कर समय लेकर पढ़ने की आवश्यकता है। निसंदेह ये बहुत प्यारी कविता बनी है खासकर जिस काव्यात्मक गहराई से हर छंद की रचना हुई है कि उसकी अंतिम पक्ति पर आते ही मन से वाह निकलती है। <br />नए वर्ष में आपकी काव्यात्मक लेखनी माता सरस्वती के प्रताप से ऍसी ही रचनाओं को जीवन देती रहे ये मेरी शुभकामना है।Manish Kumarhttps://www.blogger.com/profile/10739848141759842115noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-3468658467196737408.post-28469472322408486582010-01-16T21:34:21.237+05:302010-01-16T21:34:21.237+05:30sundar geet hai... lay bana daali maine iski!!!sundar geet hai... lay bana daali maine iski!!!Ambarishhttps://www.blogger.com/profile/10523604043159745100noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-3468658467196737408.post-61558860377696666952010-01-16T20:34:01.474+05:302010-01-16T20:34:01.474+05:30bahut achaa, rochak,
aur prabhaavshaali geet ...
...bahut achaa, rochak, <br />aur prabhaavshaali geet ...<br />abhivaadan .daanishhttps://www.blogger.com/profile/15771816049026571278noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-3468658467196737408.post-36398138609159699522010-01-16T20:14:41.433+05:302010-01-16T20:14:41.433+05:30ultimate!!!! great, how it came true Di!ultimate!!!! great, how it came true Di!राकेश जैनhttps://www.blogger.com/profile/05865088324047258223noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-3468658467196737408.post-28269182587369056932010-01-16T17:27:10.815+05:302010-01-16T17:27:10.815+05:30डर के सारे द्वार तोड़ कर, प्रिय तुम मेरा साथ निभाना...डर के सारे द्वार तोड़ कर, प्रिय तुम मेरा साथ निभाना,<br />अंतहीन अपनापन ले कर, विरहहीन इक मिलन सजाना,<br />वह इक मिलन सॄष्टि की रचना<br />का आधार हुआ करता है,<br />और मिलन से डर लगता है..!!<br /><br />बेहतरीन शब्दों के फूलो से एक सुन्दर प्यारी गीत माला बुन दी आपने। अति सुन्दर।सुशील छौक्कर https://www.blogger.com/profile/15272642681409272670noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-3468658467196737408.post-70726872081540529792010-01-16T15:36:13.795+05:302010-01-16T15:36:13.795+05:30आंख में आंशू आ गए पर साथ में एक सुन्दर सा अहसास......आंख में आंशू आ गए पर साथ में एक सुन्दर सा अहसास... बहुत पवित्र ....<br />सिर्फ अपना.. एक ...<br />धत मैं बोल नहीं पा रहा हूँ . मेरी आँख ने सारी सत्ता अपने हाथ में ले ली है शब्द नहीं बचे .<br /><br /><br /><br />ये एक महान रचना है बस इतना ही कहना हैदेश अपरिमेयhttps://www.blogger.com/profile/08466553596909110498noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-3468658467196737408.post-59695591350201747812010-01-16T12:39:59.399+05:302010-01-16T12:39:59.399+05:30कंचन जी
बहुत खूब
सुन्दर रचना
बधाई कुबूल करेंकंचन जी <br />बहुत खूब <br />सुन्दर रचना <br />बधाई कुबूल करेंPushpendra Singh "Pushp"https://www.blogger.com/profile/14685130265985651633noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-3468658467196737408.post-2677685170996059492010-01-15T13:01:43.983+05:302010-01-15T13:01:43.983+05:30अंतहीन अपनापन ले कर, विरहहीन इक मिलन सजाना,:) ??? ...अंतहीन अपनापन ले कर, विरहहीन इक मिलन सजाना,:) ??? :)<br />sundar...sundar..bahut sundarपारुल "पुखराज"https://www.blogger.com/profile/05288809810207602336noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-3468658467196737408.post-4878778931216375142010-01-14T18:39:56.067+05:302010-01-14T18:39:56.067+05:30मुझ मूढ़ को तो पहले भी गुनगुनाने लायक लगा था और अब ...मुझ मूढ़ को तो पहले भी गुनगुनाने लायक लगा था और अब भी....किंतु तुमसे रश्क हो रहा है कि राकेश जी और शार्दुला दी ने समय दिया तुम्हारी रचना को। रवि से तो वक्त मैं भी निकाल लेता हूं, लेकिन ये दोनों....<br /><br />तो मैं जल-भुन रहा हूं तुमसे!!!गौतम राजऋषिhttps://www.blogger.com/profile/04744633270220517040noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-3468658467196737408.post-71160130462806740622010-01-14T12:40:59.984+05:302010-01-14T12:40:59.984+05:30श्रद्धेय श्री राकेश खण्डेलवाल जी के मार्ग दर्शन के...श्रद्धेय श्री राकेश खण्डेलवाल जी के मार्ग दर्शन के अनुसार ये पंक्तियाँ संशोधित कर दी गई हैं। <br /><br /><b>दो क्षण मिलने का सुख पीछे,( वह इक मिलन सॄष्टि की रचना<br />सदियों की पीड़ा रचता है। ( का आधार हुआ करता है )<br />मुझे मिलन से डर लगता है। (और मिलन से डर लगता है ) <br /><br />दो क्षण मिलने का सुख पीछे,<br />सदियों की पीड़ा रचता है।<br />मुझे मिलन से डर लगता है। ----यहां पहली दो पंक्तियों से विरोध है. आशा अगर अन्तहीन मिलन की है तो असमंजस के क्षण घिरने नहीं चाहिये, यह पंक्तियां अपने आप में तो सुन्दर हैं परन्तु अन्तरे की पन्क्तियों के साथ ताल मेल नहीं है</b><br /><br />राकेश जी का ये बड़प्पन है कि मुझ जैसे नौसिखिये के गीत पर भी ध्यान दिया और उस पर अपने सुझाव देकर गीत को पढ़ने के काबिल बनाया।<br /><br />उनके द्वारा दिया गया तर्क मुझे गीत लिखते समय ही अखर रहा था। मगर कभी कभी अपनी रचना से इतना मोह हो जाता है कि आप जानते बूझते गलती कर जाते हैं।<br /><br />क्षमा इस मोह के लिये और खण्डेलवाल जी को कोटिशः धन्यवादकंचन सिंह चौहानhttps://www.blogger.com/profile/12391291933380719702noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-3468658467196737408.post-54282078408751106372010-01-13T14:13:04.495+05:302010-01-13T14:13:04.495+05:30@) (@)
0
nice!!!!!@) (@)<br /><br />0<br /><br />nice!!!!!डॉ .अनुरागhttps://www.blogger.com/profile/02191025429540788272noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-3468658467196737408.post-4658521312796412042010-01-13T00:01:59.036+05:302010-01-13T00:01:59.036+05:30डर के सारे द्वार तोड़ कर, प्रिय तुम मेरा साथ निभान...डर के सारे द्वार तोड़ कर, प्रिय तुम मेरा साथ निभाना,<br />अंतहीन अपनापन ले कर, विरहहीन इक मिलन सजाना,<br />दो क्षण मिलने का सुख पीछे,<br />सदियों की पीड़ा रचता है।<br />मुझे मिलन से डर लगता है<br /><br /><br />कुछ कह पाने कि स्थिति मे नही हू क्योकि मेरे पास उचित शब्दो का टोटा है इस रचना के लिये<br /><br />दो क्षण मिलने का सुख पीछे,<br />सदियों की पीड़ा रचता है।<br /><br />क्या बात है<br /><br />- वीनसवीनस केसरीhttps://www.blogger.com/profile/08468768612776401428noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-3468658467196737408.post-20704932032075823602010-01-12T22:11:56.611+05:302010-01-12T22:11:56.611+05:30चश्मे बद्दूर.चश्मे बद्दूर.Anonymousnoreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-3468658467196737408.post-28887953305174240612010-01-12T19:04:11.377+05:302010-01-12T19:04:11.377+05:30खूबसूरत एहसास से बुनी सुन्दर रचना.....बधाईखूबसूरत एहसास से बुनी सुन्दर रचना.....बधाईसंगीता स्वरुप ( गीत )https://www.blogger.com/profile/18232011429396479154noreply@blogger.com